बिना मान्यता के चला रहे थे स्कूल, ऐसे करते थे सर्टिफिकेट का जुगाड़

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Fatehabad News :  जिले में एक प्राइवेट स्कूल द्वारा बिना मान्यता से कई सालों तक स्कूल चलाने और अभिभावको के साथ ठगी करने का मामला सामने आया है। अभिभावको की ओर से मांगी गई एसएलसी के बाद मामले का खुलासा हुआ।

फतेहाबाद मे अपेक्स स्कूल के संचालको पर बिना मान्यता के स्कूल को चलाने और स्कूल मे पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने के आरोप लगे हैं। जिसके बाद बच्चों के अभिभावको की ओर से मामले की शिकायत शिक्षा विभाग से की गई, लेकिन कई महीनों तक तो विभाग की ओर से मामले को दबाकर रखा गया लेकिन अब जब अभिभावकों की ओर से लगातार मामले की पैरवी की जा रही है शिक्षा विभाग की ओर से जांच को आगे बढ़ाया गया है।

जांच के दौरान जब शिक्षा विभाग ने अपैक्स स्कूल संचालको से स्कूल की मान्यता संबधी दस्तावेज मांगे तो स्कूल संचालको ने दस्तावजे देने से मना कर दिया। जिसके बाद अब शिक्षा विभाग की ओर से निदेशालय को पत्र लिखकर स्कूल के खिलाफ कार्रवाई करने और जांच मे सहयोग नहीं करने की बात कही गई है। निदेशालय ने मामले की गंभीरता को भांपते हुए पूरे मामले की जांच डीसी की अध्यक्षता मे करवाने के आदेश शिक्षा विभाग को दिए है।

फतेहाबाद के ही रहने वाले एडवोकेट राजेश कुमार ने आरोप लगाया कि अपैक्स स्कूल में उसके बच्चे पढ़ते थे। साल 2010 से लेकर 2016 तक उसके बच्चे अपेक्स स्कूल मे ही पढ़े। जब उसकी ओर से स्कूल की मान्यता के बारे मे पूछा गया तो स्कूल ने आईसीआई पेटर्न की मान्यता का भरोसा दिया। वर्ष 2016 मे जब स्कूल से बच्चों के सर्टिफिकेट मांगने गए तो वह अपेक्स पब्लिक स्कूल के थे। जिसके बाद राजेश कुमार की ओर से स्कूल पर आरटीआई लगाकर दस्तावजे एकत्र किए गए तो सामने आया कि अपेक्स पब्लिक स्कूल की मान्यता के नाम पर स्कूल मैनेजमेंट अपेक्स कान्वेंट स्कूल का संचालन भी कर रही है।

शिकायकर्ता राजेश कुमार ने बताया कि अपेक्स कान्वेंट स्कूल के पास वर्ष 2010 से लेकर 2016 तक कोई मान्यता नही थी अब अप्रैल 2017 मे शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने मिलीभगत करके स्कूल को हरियाणा बोर्ड की मान्यता दिलवाई है जब कि नियम के अनुसार किसी भी पैडिंग जांच के दौरान स्कूल को मान्यता नहीं दी जा सकती। वहीं, स्कूल के पास फायर की एनओसी भी नहीं है ऐसे मे उसे कैसे मान्यता दी जा सकती है। राजेश कुमार का कहना है कि इस स्कूल की प्रिंसिपल चाईल्ड वेल्फेयर कमेटी की चैयरपर्सन है, ऐसे मे अभिभावक सुनवाई के लिए कहां जाए। इस मामले मे जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी संगीता बिश्नोई के मुताबिक बार-बार रिमाइंडर नोटिस देने पर भी स्कूल की ओर से जांच में सहयोग नहीं किया गया। जिसके बाद मामले की जानकारी निदेशालय को दी गई। निदेशालय की ओर से अब इस मामले मे डीसी की अध्यक्षता मे जांच कमेटी बनाकर स्कूल पर कारवाई करने की बात कही गई है। जांच मे इतना समय लगने का सवाल जब अधिकारियों से किया गया तो उनका कहला था कि उनकी पोस्टिंग अभी कुछ दिन पहले ही हुई है।

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