स्टूडेंट्स को नोट्स देते-देते नोट्स के गुल्लीबाबा बन गए दिनेश वर्मा

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New Delhi : स्टूडेंट्स को नोट्स देते-देते अपनी वेबसाइट गुल्लीबाबा डॉट कॉम बना दी. आज इस वेबसाइट पर नोट्स के लिए 32 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स विजिट करते हैं. सक्सेस स्टोरी में आज हम बात कर रहे हैं नोट्स की दुनिया में गुल्लीबाबा के नाम से मशहूर दिनेश वर्मा की.

बारहवीं के बाद कंप्यूटर फील्ड चुना. इग्नू में BCA कोर्स जॉइन किया. लेकिन ना तब कंप्यूटर के अच्छे टीचर्स थे और ना ही प्रैक्टिस के लिए कंप्यूटर. फिर खुद का कंप्यूटर बनाने का फैसला किया. इसके लिए बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया. ट्यूशन के पैसों से हर महीने कंप्यूटर के कुछ पार्ट्स खरीद कर लाते थे. इस तरह कंप्यूटर बनने में ही 6 महीने लग गए. दूसरे स्टूडेंट्स की भी यही परेशानी थी. तब स्टूडेंट्स को अपने नोट्स की कॉपी कराकर देना शुरू किया और उसके बदले कुछ पैसे लेने शुरू किया. इसका बहुत अच्छा रिस्पॉन्स मिला. स्टूडेंट्स को नोट्स देते-देते अपनी वेबसाइट गुल्लीबाबा डॉट कॉम बना दी. आज इस वेबसाइट पर नोट्स के लिए 32 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स विजिट करते हैं. सक्सेस स्टोरी में आज हम बात कर रहे हैं नोट्स की दुनिया में गुल्लीबाबा के नाम से मशहूर दिनेश वर्मा की. दिनेश ने 2020 के लॉकडाउन में पैनडाउन प्रेस (Pendown Press) पोर्टल भी शुरू किया जिसके तहत वे आज 500 से ज्यादा प्रोफेशनल्स (Professionals) को बुक पब्लिश (Publish) करना भी सिखा रहे हैं. चलिए जानते हैं दिनेश वर्मा की सक्सेस स्टोरी.

पिता थे एयरपोर्ट पर जनरल मैनेजर:
दिनेश का जन्म वर्ष 1978 में दिल्ली में हुआ. उनके पिता दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर जनरल मैनेजर थे. परिवार में माता-पिता, पत्नी और दो बेटियां हैं. उनकी एक बहन हैं जिनकी शादी हो चुकी है.

इग्नू से हासिल की उच्च शिक्षा:-

दिनेश ने 12वीं के बाद इग्नू से उच्च शिक्षा हासिल की. उन्होंने यहां से BCA और MCA किया. इसके बाद US से जावा में सर्टिफिकेशन हासिल किया. साथ ही उन्होंने रेकी और एस्ट्रोलॉजी में डिप्लोमा भी किया है. एस्ट्रोलॉजी पर उनकी एक बुक भी आई है जिसका टाइटल है- ‘वृक्ष लगाएं और ग्रहों को अपने अनुकूल बनाएं’.

इग्नू के नोट्स पर बुक पब्लिश करने का फैसला किया:-

जब दिनेश के नोट्स की कॉपीज को अच्छा रिस्पांस मिलने लगा तो उन्होंने इन नोट्स पर ही एक बुक पब्लिश करने का फैसला किया. इसके लिए वे दर्जनों पब्लिशर्स के पास गए, लेकिन कोई रिस्पांस नहीं मिला. तब उन्होंने खुद ही अपनी बुक पब्लिश करने की ठानी. खुद के कंप्यूटर पर बुक लिखी और जगह-जगह जाकर पब्लिशिंग की जानकारी जुटाई. एक साल के संघर्ष के बाद 2004 में इग्नू के नोट्स पर उनकी पहली बुक बाजार में आई. उसके बाद आज तक उनकी 2000 से ज्यादा बुक्स पब्लिश हो चुकी हैं.
साल 2002 में आया गुल्लीबाबा डॉट कॉम:
इस दौरान जब उनका नोट्स का काम चल निकला पड़ा तो साल 2002 में उन्होंने अपनी वेबसाइट गुल्लीबाबा डॉट कॉम शुरू की. शुरुआत में इस वेबसाइट पर सिर्फ नोट्स उपलब्ध कराए. आज इस वेबसाइट पर इग्नू के 32 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स के लिए 2000 से अधिक बुक्स उपलब्ध हैं. इग्नू के स्टूडेंट्स के बीच ये वेबसाइट खासी लोकप्रिय है.

2020 लॉकडाउन में शुरू किया पैनडाउन प्रेस:

कोविड के चलते 2020 में पहला लॉकडाउन लगा. इसी दौरान उनके दिमाग में आइडिया आया कि तमाम लोग अपनी बुक्स पब्लिश कराना चाहते हैं. क्यों ना ऐसे लोगों को खुद से अपनी बुक्स पब्लिश करना सिखाया जाए. इसलिए 2020 में उन्होंने पैनडाउन प्रेस नामक वेबसाइट शुरू की. इसके अंतर्गत प्रोफेशनल्स को बुक पब्लिशिंग की बारीकियां सिखाई जाती हैं. इसके अंतर्गत प्रोफेशनल्स को बताया जाता है कि बुक क्यों लिखनी है, कैसे लिखनी है, कब लिखनी है और कितनी लिखनी है. इस वेबसाइट के जरिये वे अभी तक करीब 500 ट्रेनर्स, कंसलटेंट, स्पीकर्स, बिज़नेस ऑनर्स, कोच, एंटरप्रेन्योर आदि को बुक पब्लिशिंग की बारीकियां सिख चुके हैं. उनका लक्ष्य है कि 2025 तक 10 हजार लोगों को बुक पब्लिश करानी है.

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