उद्योगों में महिला भागीदारी बढ़ने से देश का होगा आर्थिक विकास : प्रेमल उदानी

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नई दिल्ली: अपैरल, मेड-अप एंड होम फर्निशिंग सेक्टर स्किल काउंसिल (एएमएच एसएससी) और मार्क्स एंड स्पेंसर (एम एंड एस) ने उद्योगों में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और परिधान कारखाने के श्रमिकों को सशक्त बनाने के लिए हाथ मिलाया है। महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से एम एंड एस और एएमएचएसएससी ने औपचारिक रूप से 22 फरवरी 2022 को वर्चुअल सत्र के माध्यम से कार्यक्रम पावर -1 का औपचारिक रूप से शुभारंभ किया।

इस मौके पर पर एएमएचएसएससी के चेयरमैन श्री प्रेमल उदानी, एएमएचएसएससी के सीईओ व महानिदेशक डॉ. रूपक वशिष्ठ, सीईओ, एएमएचएसएससी, इंडस्ट्री के तरफ से एईपीसी/एटीडीसी के चेयरमैन नरेंद्र गोयनका, उपाध्यक्ष, एईपीसी श्री राकेश वैद, कार्यकारी निदेशक, एटीडीसी श्री विजय माथुर, एम एंड एस इंडिया और श्रीलंका के अनुपालन और सीएसआर प्रमुख श्री रंजीब शर्मा, एम एंड एस के क्षेत्रीय प्रमुख भारत और श्रीलंका – भारत सोर्सिंग परिप्रेक्ष्य की सुश्री निधि दुआ आदि उपस्थित थे।

आभासी सत्र में श्री प्रेमल उदानी ने कहा कि इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य अपैरल एंड गारमेंट्स इंडस्ट्री में महिलाओं के लिए एक सुरक्षित कार्य वातावरण देने के साथ उन्हें सशक्त बनाना है। उदानी ने कहा कि सही मायने में समानता तभी हासिल की जा सकती है जब महिलाओं को देश की अर्थव्यवस्था के निर्माण में भाग लेने का अधिकार हो और यह कौशल प्रशिक्षण के माध्यम से ही हासिल किया जा सकता है। कौशल प्रशिक्षण से महिलाओं को नौकरियों में भागीदारी बढ़ेगी और महिला उद्यमियों के लिए नयी राह खुलेग। कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ने से देश की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

एएमएचएसएससी के सीईओ डॉ. रूपक वशिष्ठ ने कहा कि इस परियोजना में कुल 15 कारखाने, कम से कम 100 श्रमिक (कुल 1500) और 14 सहकर्मी प्रशिक्षक शामिल होंगे। मध्य और वरिष्ठ प्रबंधन सहित सभी श्रमिकों, पर्यवेक्षकों और प्रबंधकों के लिए प्रशिक्षण आयोजित किया जाएगा और इसका उद्देश्य महिलाओं के लिए एक सुरक्षित काम का माहौल देना इस परियोजना का आधार है। इस परियोजना से आने वाले वक़्त में इंडस्ट्री में कई बदलाव दिखेंगे।

उन्होंने कहा कि लैंगिक समानता कार्यक्रम लैंगिक समानता के बारे में जागरूकता पैदा करने, कारखाने में काम करने वाले पुरुषों और महिलाओं दोनों को लैंगिक समानता पर सशक्त बनाने, लिंग आधारित उत्पीड़न के खिलाफ रोकथाम, निषेध और निवारण से संबंधित कानूनों और नीतियों पर फोकस करेगी।

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