स्टडी ग्रुप ने ग्लोबल हायर एजुकेशन में इंटरनेशनल स्टूडेंट रिक्रूटमेंट ट्रेंड्स पर अपने श्वेत पत्र से महत्वपूर्ण जानकारी को साझा किया

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New Delhi, 01 March 2021 : स्टडी ग्रुप एक ग्लोबल एजुकेशन प्रोवाइडर है जो विश्वविद्यालय के डिग्री कार्यक्रमों के लिए अंतरराष्ट्रीय छात्रों को तैयार करता है और अंग्रेजी भाषा के कोर्सेस प्रदान करता है। ग्लोबल हायर एजुकेशन में अंतरराष्ट्रीय छात्रों की भर्ती के रुझान पर महामारी के दौरान ग्लोबल और लोकल मार्केट रिसर्च, इनसाइट और डेटा एनालिसिस पहल की एक विस्तृत श्रृंखला का आयोजन करता है। विदेशों में अध्ययन के बारे में छात्रों और माता-पिता की मुख्य चिंताओं और शोध के माध्यम से उनके पढ़ाई के विकल्पों पर कोविड-19 के प्रभाव को समझने के बाद एजुकेशन प्रोवाइडर का लक्ष्य महामारी के बाद की दुनिया के लिए उन्हें तैयार रहना है।

नवीनतम इनसाइट्स प्राप्त करने के लिए स्टडी ग्रुप ने 3000 छात्रों का सर्वेक्षण किया। ऑन-कैंपस और शिक्षा के ऑनलाइन रूप पर प्राथमिकताओं का विश्लेषण करने के संदर्भ में 43% उत्तरदाताओं ने विदेशों में विश्वविद्यालय परिसर में पारंपरिक, आमने-सामने अध्ययन के अनुभव के प्रति अपना झुकाव दिखाया। इस बीच, 31% ने ऑनलाइन लर्निंग को चुना और 26% ने मिश्रित शिक्षा पद्धति को बेहतर बताया।

अंतरराष्ट्रीय मोबिलिटी को रोकने वाली महामारी के बावजूद कई छात्रों ने अपने चुने हुए विश्वविद्यालय में नए शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत ऑन-कैंपस और ऑनलाइन पढ़ाई के जरिए की। स्टडी ग्रुप के सर्वेक्षण के अनुसार, छात्र अब तक अपने विदेश में अपने सीखने के अनुभवों को लेकर समग्र रूप से सकारात्मक थे। 86% छात्रों ने कहा कि वे एंगेज रखने में सक्षम थे, 85% ने अपने कोर्स इंडक्शन प्रोग्राम का आनंद लिया और 88% पाठ्यक्रम सामग्री से संतुष्ट थे। हालाँकि, आमने-सामने की पढ़ाई के स्थान पर दी जा रही ऑनलाइन शिक्षा पर संदेह है।

रिपोर्ट से पता चलता है कि महामारी के कारण अंतरराष्ट्रीय पढ़ाई के प्रति उत्साह कम नहीं हुआ है। 2021 में अपना प्रोग्राम शुरू करने की अपनी योजनाओं को दुनियाभर के छात्रों ने सिर्फ देरी की या टाला है। 2021 में 75% से ज्यादा भावी छात्र अपना विदेशी अध्ययन कार्यक्रम शुरू करने का इरादा रखते हैं। 2020 में एच-2 में स्टडी ग्रुप की पेशकश को अस्वीकार करने वाले पांच में से एक आवेदक निकट भविष्य में फिर आवेदन करने की योजना बना रहे हैं। वास्तव में, सर्वेक्षण से पता चला कि छात्रों को घर से ‘पुश’ फेक्टर के बजाय प्रमुख डेस्टिनेशन के ‘पुल’ फेक्टर ने इन जगहों पर जाने को प्रेरित किया है। यह ही उन्हें विदेशों में अवसरों की तलाश करने के लिए प्रेरित करते हैं। इसके अलावा यूकेवीआई की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल 5% छात्र अपने देश में पढ़ाई करने के लिए विदेश में पढ़ाई करने की योजना को रद्द करने पर विचार कर रहे हैं। हालांकि, आने वाले वर्षों में बाजार की हिस्सेदारी में बदलाव की अपेक्षाओं के साथ स्टडी डेस्टिनेशंस को लेकर पसंद बदल रही है, जहां ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा के प्रति रुझान बढ़ रहा है।

स्टडी ग्रुप के चीफ रेवेन्यू ऑफिसर मनोज शेट्टी ने सर्वेक्षण से उत्पन्न इनसाइट्स पर अपने विचार साझा करते हुए कहा, “हर कोई महामारी द्वारा प्रस्तुत चुनौती को पार करते हुए वर्तमान और भावी अंतरराष्ट्रीय छात्रों को अपने शिक्षा लक्ष्यों को हासिल करने में समर्थन करने की कोशिश कर रहा है। अतिरिक्त धन मुहैया कराने वाली सरकारों और छात्रों के लिए देश को फिर से खोलने और वर्चुअल स्टडी अब्रॉड फेयर चलाने के लिए नियुक्तियों तक, हम सभी यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं कि छात्र वह शिक्षा हासिल करने में सक्षम रहे जिनके वे हकदार हैं। हम गुणवत्ता शिक्षा पर समझौते के रूप में ऑनलाइन लर्निंग को लेकर उनकी चिंता को स्वीकार करते हैं, यह सिर्फ एक अस्थायी समाधान है। दुनियाभर में टीके लगाए जाने के साथ, हम महामारी के बाद के उज्ज्वल भविष्य की उम्मीद कर रहे हैं, जहां हम हाई-क्वालिटी अवसरों के साथ अपने विदेशी शिक्षा लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए छात्रों का समर्थन जारी रख सकते हैं। ”

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