डेरों की जांच से संबंधित रिपोर्ट HC में पेश, अगली सुनवाई 20 दिसंबर को

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Chandigarh News : गुरमीत राम रहीम प्रकरण में अधिवक्ता रविंद्र सिंह ढुल द्वारा दायर जनहित याचिका पर बीते दिन पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। जिस दौरान हाईकोर्ट द्वारा डेरा सिरसा की जांच के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किए गए रि. जज ए.के. पवार ने अपनी रिपोर्ट पेश की। डेरा सिरसा से जुड़े 17 डेरों के साधुओं की ओर से इन डेरों की संपत्ति अटैच न किए जाने की मांग पर पवार ने कहा है कि यह डेरे गुरमीत राम रहीम द्वारा दिए जाने वाले फंड से चलाए जाते थे। ऐसे में इनके स्वतंत्र रूप से वजूद का कोई सबूत नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है कि शाह मस्ताना के उपरांत शाह सतनाम सिंह ने डेरे की कमान संभाली थी व 1990 में उन्होंने सभी डेरों की वसीयत गुरमीत राम रहीम के नाम कर दी थी।

इससे पहले 17 साधुओं ने इस मुख्य केस में अर्जी दायर करते हुए कहा था कि यह डेरे गुरमीत राम रहीम के नियंत्रण से बाहर हैं व यह शाह मस्ताना की आध्यात्मिक सोच के तहत चलते हैं। इससे पहले फुल बैंच ने कोर्ट कमिश्नर से रिपोर्ट मांगी थी कि क्या यह डेरे शाह मस्ताना के समय 1960 से पहले के स्थापित हैं। इनके रिकार्ड सम्बंधी जानकारी जांचने को कहा गया था। कोर्ट कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट में कोर्ट कमिश्नर ने कहा कि इन 17 डेरों से संबंधित व्यक्तियों को डिप्टी कमिश्नर सिरसा के समक्ष बुलाया गया था। वहीं, सिरसा डेरे की चेयरमैन विपासना को भी बुलाया गया था।

डेरे के साधु कोई लिखित दस्तावेज पेश नहीं कर सके कि डेरों का प्रबंध वह खुद चलाते हैं। ऐसे में कोर्ट कमिश्नर ने बताया कि यह कहना गलत होगा कि 17 डेरों का निजी रूप में कोई वजूद था व यह डेरा सच्चा सौदा के नियंत्रण में नहीं थे। कोर्ट कमिश्नर ने डेरों की जांच, सिरसा डेरे में बनी इमारतों (स्कूल, हॉस्पिटल, दुकानों) व डेरे की जमीन आदि के सम्बंध में 1000 से अधिक पन्नों की रिपोर्ट पेश की है। हाईकोर्ट ने यह रिपोर्ट मामले में पार्टियों को देने के आदेश देते हुए उन्हें केस की अगली सुनवाई पर अपना पक्ष रखने को कहा है। वहीं, मामले में सिरसा डी.सी. ने भी अपना जवाब पेश किया। केस की अगली सुनवाई 20 दिसम्बर को होगी।

नेपाल-बिहार तक ढूंढतेे रहे, आरोपी पड़ोस में था
साध्वियों के साथ हुए रेप केस में गुरमीत राम रहीम को दोषी ठहराने के बाद पंचकूला में हुई हिंसक वारदात में कथित रूप से साजिशकर्त्ताओं को ढूंढ न पाने पर हाईकोर्ट ने अप्रत्यक्ष रुप से हनीप्रीत पर टिप्पणी करते हुए हुए कहा कि पुलिस नेपाल-बिहार तक जाकर ढूंढती रही जबकि आरोपी पड़ोस(पंजाब) में मिला, साथ ही कोर्ट ने हैरानी जताई कि अभी तक पंचकूला में हुई हिंसा के साजिशकर्त्ताओं को पुलिस पकड़ नहीं पाई। ऐसे में पुलिस कार्रवाई पर सवाल खड़े किए गए। वहीं, बैंच ने पंचकूला में दर्ज हुई एफ.आई.आर. को लेकर स्टेटस रिपोर्ट एस.आई.टी. से तलब की है।

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