पौधारोपण ही है प्रकृति के पुनरुत्थान का एकमात्र संभव उपाय: डॉ जगदीश चौधरी

0
529
Spread the love
Spread the love

फरीदाबाद, 12 जुलाई 2022- प्रकृति ने हमें अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए सब कुछ दिया है और अब समय आ गया है कि हम इसे हरा-भरा बनाये और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का सबसे अच्छा तरीका पौधारोपण है। पौधारोपण ही प्रकृति को पुनरुत्थान का एकमात्र संभव उपाय है।

यह बात शिक्षाविद् और पर्यावरणविद् डॉ. जगदीश चौधरी ने कही। बालाजी पब्लिकेशन के निदेशक डॉ. जगदीश चौधरी विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित पौधरोपण अभियान में मुख्य अतिथि थे। उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय द्वारा जुलाई माह को हरियाली पर्व के रूप में मनाया जा रहा है और इस अवसर को चिह्नित करते हुए वृक्षारोपण अभियान शुरू किया गया है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों की प्रतिष्ठित हस्तियों को वृक्षारोपण अभियान में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जा रहा है।

विश्वविद्यालय आगमन पर कुलपति प्रो. एस.के. तोमर ने डॉ चौधरी को एक पौधा भेंट कर स्वागत किया। इस अवसर पर डीन (कॉलेज) प्रो. तिलक राज, एनएसएस समन्वयक प्रो प्रदीप डिमारी, और डीएसडब्ल्यू कार्यालय एवं वसुंधरा ईसीओ क्लब के अन्य सदस्य भी उपस्थित थे। डॉ चौधरी ने विश्वविद्यालय के मुख्य मैदान पर एक पौधा भी लगाया।

फरीदाबाद में आम और मेहंदी के पारंपरिक पौधों जोकि अतीत में इस स्थान पर बड़ी संख्या में उगाए जाते थे, का उदाहरण देते हुए डॉ चौधरी ने कहा कि फरीदाबाद की भूमि सबसे प्राचीन अरावली पर्वत और यमुना नदी के मैदानों के बीच स्थित है और अपनी उर्वरता के लिए जानी जाती रही है। लेकिन अब मिट्टी और भूजल में क्षरण के कारण इन पौधों को उगाना मुश्किल हो गया है।

जगदीश चौधरी, जो विश्व जल परिषद के सदस्य और ग्रीन इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट (गिफ्ट), फरीदाबाद के अध्यक्ष भी हैं, ने कहा कि फरीदाबाद भूजल के अत्यधिक दोहन के लिए डार्क जोन में आता है, और सबसे प्रदूषित शहर में से एक है। यह शहर देश में लगभग 35 लाख आबादी की जरूरत को पूरा करता है। अगर ये 35 लाख लोग एक पेड़ लगाने का संकल्प लें तो यह स्थिति काफी हद तक बदल सकती है।
इस अवसर पर बोलते हुए कुलपति प्रो. एसके तोमर ने कहा कि पौधारोपण अभियान के माध्यम से जे.सी. विश्वविद्यालय ने अधिक से अधिक लोगों को पर्यावरण के मुद्दों के प्रति जागरूक करने की पहल की है। उन्होंने कहा कि हमें यह समझना होगा कि अगर पेड़ नहीं है तो जीवन नहीं है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here