स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती के उपलक्ष्य में कार्यक्रम का आयोजन

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Faridabad News, 05 Feb 2019 : जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद द्वारा महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती की 195वीं जयंती के उपलक्ष्य में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विवेकानंद मंच द्वारा व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसमें वैदिक साहित्य के विद्वान एवं गुजरात के दर्शन योग कालेज में द्रोणाचार्य स्वामी विश्वांग परिव्राजक मुख्य वक्ता रहे तथा स्वामी दयानंद सरस्वती के जीवन दर्शन पर प्रकाश डाला।

इस उपलक्ष्य में अपने संदेश में कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने कहा कि स्वामी दयानंद महान शिक्षाविद्, समाज सुधारक एक सांस्कृतिक राष्ट्रवादी थे, जिन्होंने भारतीय समाज का पुनजार्गरण किया और आधुनिक भारत की नींव रखी। स्वामी दयानंद सिद्धांत व आदर्श आज भी युवाओं के लिए प्रासंगिक तथा मार्गदर्शक है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को स्वामी जी के विचारों का अनुकरण करना चाहिए।

अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. नरेश चैहान की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ स्वामी विश्वांग ने दीप प्रज्वलन द्वारा किया तथा स्वामी दयानंद के चित्र के समक्ष नमन करते हुए श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने स्वामी दयानंद द्वारा रचित ग्रंथ ‘सत्यार्थ प्रकाश’ के माध्यम से उनकी शिक्षाओं पर प्रकाश डाला। विद्यार्थियों ने कविता एवं संगीतमय प्रस्तुति द्वारा भी स्वामी दयानंद को याद किया। कार्यक्रम का आयोजन निदेशक युवा कल्याण डाॅ. प्रदीप डिमरी तथा डिप्टी डीन स्टूडेंट वेलफेयर डाॅ. सोनिया बंसल की देखरेख में किया गया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्वामी विश्वांग ने महर्षि दयानंद द्वारा प्राप्त अध्यात्मिक ज्ञान तथा युवाओं में वैदिक भावना को प्रोत्साहित करने में उनके योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने विद्यार्थियों को महर्षि दयानंद द्वारा रचित साहित्य सत्यार्थ प्रकाश का नियमित अध्ययन करने का आह्वान किया ताकि वे अपने जीवन में स्वामी जी के विचारों को आत्मसात कर सके।

स्वामी विश्वांग ने अपने उत्तेजक भाषण में विद्यार्थियों को सुखमय जीवन जीने का मंत्र दिया। जानकारी और ज्ञान के बीच अंतर बताते हुए उन्होंने कहा कि धैर्य और दृढ़ता के माध्यम से शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर सभी दोषों को दूर किया जा सकता है जोकि जीवन में सबसे जरूरी है। उन्होंने जानकारी को ज्ञान में बदलने और फिर इसे आत्मसात करने पर बल दिया। उन्होंने विद्यार्थियों के प्रश्नों के भी उत्तर दिये।

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