May 2, 2025

पूर्ण व्यक्तित्व के निर्माण के लिए बाहरी शिक्षा के साथ आंतरिक दीक्षा भी आवश्यक : साध्वी श्रेया भारती

0
458219635
Spread the love

New Delhi News : गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्गदर्शन में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा 7 से 13 नवंबर तक रामलीला ग्राउन्ड, कंझावला रोड, सेक्टर-21, रोहिणी, दिल्ली में भव्य श्री राम कथा का आयोजन किया जा रहा है।कथा के तीसरे दिवस कथा व्यास साध्वी श्रेया भारती जी ने समस्त धार्मिक ग्रन्थों के समन्वय से युक्त इस भव्य आयोजन में प्रभु के जन्म एवं उनके जीवन की लीलाओं के भीतर छिपे आध्यात्मिक रहस्यों को उजागर किया। जो केवल मात्र प्रभु की जीवन गाथा व ग्रन्थों की चौपाईयों का सरसपूर्ण गायन नहीं वरन एक विश्लेषणात्मक आध्यात्मिक अंतर दृष्टि से परिपूर्ण प्रभु के अवतरण व प्राकट्य के दिव्य रहस्यों को परिलक्षित करता प्रसंग है। उन्होंने बताया कि श्री रामचरितमानस की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने चाहे कितने ही वर्ष पूर्व क्यों न की हो परन्तु धर्म स्थापना के जिस संदेश को वह धारण किए हुए हैं। वह हर युग, काल व देश की सीमाओं से परे हैं व वर्तमान युग की समस्त समस्याओं का निवारण प्रस्तुत करता है। संसार में नाना प्रकार के रोग, शोक, जन्म, मृत्यु इत्यादि में पड़े काम, क्रोध, लोभ, मोह, अंहकार में अन्धे हो चुके मानव को सन्मार्ग पर लाने के लिए प्रभु अवतीर्ण होते हैं। उपद्रव को शान्त करने हेतु नित्यधाम से अनुरूप हो कार्य को सम्पादित करने हेतु जन्म लेते हैं।

साध्वी जी ने प्रभु के अवतरण के संबंध में बताते हुए कहा कि प्रभु श्री राम जग पालक व सृष्टि के नियामक तत्व हैं, जो साकार रुप धारण कर अयोध्या में अवतरित होते हैं। निराकार परमात्मा धर्म की स्थापना के लिए साकार रूप धारण करता है। साध्वी जी ने राम जी की गुरुकुल शिक्षा की ओर इंगित करते हुये कहा कि शिक्षा मानव के लिये अतिआवश्यक है पर मात्र शिक्षा कभी भी पूर्ण व्यक्तित्व के निर्माण नहीं कर सकती उसके लिये हमें अपनी गुरुकुल की परिपाटी का पालन करते हुये शिक्षा के साथ साथ दीक्षा के समन्वय को अपनाना होगा तभी मानव अपना पूर्ण विकास कर पयेगा।

इस भव्य राम कथा आयोजन में संस्थान की ओर से अन्य साध्वियाँ भी अपने वाद्य वृंद समूह के साथ विशेष रूप से पधारी हैं। जिनके द्वारा प्रभु श्री राम की इस कथा को श्री रामचरितमानस की सुमधुर चौपाईयों के गायन और समस्त धार्मिक ग्रन्थों के समन्वय से प्रस्तुत किया जा रहा है।

 

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *