मेडिकैप्स यूनिवर्सिटी के छात्रों ने गांव में रहकर जैविक खेती को दिया बढ़ावा

New Delhi : मेडिकैप्स यूनिवर्सिटी, इंदौर के एग्रीकल्चर विभाग ने पर्यावरणीय संतुलन, टिकाऊ खेती और जैविक खेती को बढ़ावा देने की दिशा में एक उल्लेखनीय पहल की है। विश्वविद्यालय ने तसल्सील तहसील के अंतर्गत आने वाले पांडा गांव को गोद लेकर छात्रों को वहां रहने और स्थानीय किसानों के साथ मिलकर खेती के प्रैक्टिकल अनुभव प्राप्त करने का अवसर प्रदान किया।
इस कार्यक्रम के अंतर्गत लगभग 50 छात्रों ने तीन महीने तक गांव में रहकर किसानों के साथ दैनिक खेती-बाड़ी के कामों में भागीदारी की। छात्रों ने जैविक खाद, प्राकृतिक कीटनाशकों, कम जल उपयोग वाली सिंचाई विधियों, और सतत कृषि तकनीकों का प्रशिक्षण दिया और किसानों को रसायनों से मुक्त खेती की ओर प्रेरित किया।
मेडिकैप्स यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. दिलीप के.पटनायक ने कहा, “हमारा उद्देश्य छात्रों को केवल किताबों तक सीमित न रखकर उन्हें जमीनी स्तर की वास्तविकताओं से जोड़ना है। यह कार्यक्रम ग्रामीण समुदायों के साथ सहयोग कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।”
एग्रीकल्चर विभाग के डीन डॉ. एस.एस. उपाध्याय ने बताया कि इस अनूठी पहल से छात्र न केवल कृषि की व्यावहारिक समझ विकसित कर रहे हैं, बल्कि समाज सेवा और पर्यावरणीय जिम्मेदारी की भावना भी उनमें जागृत हो रही है। यह ट्रेनिंग यूनिवर्सिटी के 12,500 छात्रों के लिए एक्सपीरिएंशियल लर्निंग फ्रेमवर्क का हिस्सा है जिसमें सत्र के अंत में छात्रों को मूल्यांकन, सर्टिफिकेट और अनुभव आधारित क्रेडिट भी दिए जाते हैं।
यह पहल न केवल ग्रामीण विकास में योगदान दे रही है बल्कि मेडिकैप्स यूनिवर्सिटी को सामाजिक नवाचार और समावेशी शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी बना रही है।