लगातार बुखार आना हो सकता दिमाग की टीबी का लक्षण

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Faridabad News, 27 Sep 2018 : व्यक्ति को लगातार बुखार आना और सिर दर्द होना दिमाग की टीबी का लक्षण हो सकता है। अगर समय पर इसका इलाज नहीं करवाया जाए तो व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है। यह कहना है सेक्टर 16ए स्थित मेट्रो अस्पताल के वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ रोहित गुप्ता का। उन्हाेंने कहा कि बुखार में लापरवाही दिमाग पर भारी पड़ सकती है। बच्चों में यह बीमारी ज्यादा देखने को मिल रही है।

मेट्रो अस्तपाल में बेटी के लिए पहुंचे पलवल निवासी वीर सिंह ने बताया कि उनकी 7 साल की बेटी तीसरी क्लॉस में पढ़ती है। पिछले तीन माह से उसे बुखार आ रहा था। पहले दिन जब बुखार आया तो मैंने डॉक्टर से उसे दवा दिलाई और वह ठीक हो गई। दो दिन बाद सिर में तेज दर्द के साथ फिर बुखार आ गया। मेडिकल स्टोर से दवा दिलाने पर ठीक हो गया। 4 दिन बाद भी बेटी ने फिर सिर में तेज दर्द की बात कही। डॉक्टर से जांच करवाने पर बुखार बताया गया। कमजोरी भी लगातार बढ़ती जा रही थी। इसके बाद मैं बेटी को लेकर मेट्रो अस्पताल आया। डॉक्टर रोहित गुप्ता ने बताया कि प्राथमिक जांच में दिमाग की टीबी (मिनिनजाइटिस ) की शिकायत सामने आई है। बच्ची का इलाज किया जा रहा है। जल्द ही वह ठीक हो जाएगी। उन्हाेंने कहा कि अच्छा खान-पान न करने वालों को टीबी ज्यादा होती है क्योंकि कमजोर इम्यूनिटी से उनका शरीर बैक्टीरिया का वार नहीं झेल पाता। जब कम जगह में ज्यादा लोग रहते हैं तब इन्फेक्शन तेजी से फैलता है। अंधेरी और सीलन भरी जगहों पर भी टीबी ज्यादा होती है क्योंकि टीबी का बैक्टीरिया अंधेरे में पनपता है। यह किसी को भी हो सकता है क्योंकि यह एक से दूसरे में संक्रमण से फैलता है। स्मोकिंग करने वाले को टीबी का खतरा ज्यादा होता है। डायबीटीज के मरीजों, स्टेरॉयड लेने वालों और एचआईवी मरीजों को भी खतरा ज्यादा। कुल मिला कर उन लोगों को खतरा सबसे ज्यादा होता है जिनकी इम्यूनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता ) कम होती है।

बुखार-सिर दर्द को न करें नजरअंदाज
डॉ रोहित गुप्ता ने बताया कि लंबे समय तक बुखार और सिर में दर्द हो तो डॉक्टर को दिखाएं। दिमागी बुखार को सबसे पहले डायग्नोस करें। रीढ़ की हड्डी से पानी निकालकर इसकी जांच करवाई जाती है। दिक्कत बढ़ने पर दिमाग के पानी का प्रवाह कम हो जाता है। दिमाग में पानी की थैली का साइज बढ़ जाता है जिससे मरीज कोमा में जा सकता है। सर्जरी करके एक्सट्रा पानी को नली के जरिए बाइपास करके पेट से बाहर निकाला जाता है।

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