Faridabad News, 17 March 2021 : एनआइटी क्षेत्र से कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा का कहना है कि प्रशासनिक व राजनीतिक संरक्षण में भू माफिया औद्योगिक नगरी फरीदाबाद की सूरत बिगाड़ रहे हैं। बड़े शहर के नियोजित विकास को दरकिनार कर भूमाफिया अवैध कालोनियां विकसित कर रहे हैं। इसके अलावा बंद पड़ी औद्योगिक इकाईयों में अवैध रूप से वाणिज्यिक प्लाट काटे जा रहे हैं। इससे औद्योगिक नगरी का न सिर्फ स्वरूप बिगड़ रहा है बल्कि महंगी जमीन होने के कारण उद्यमी अपने पुराने मगर चालू उद्योग बंद करके दूसरी सस्ती जमीन पर शिफ्ट कर रहे हैं। जबकि उद्यमियों ने यह जमीन उद्योग चलाने के लिए सरकार से सस्ती दरों पर ली थी। जमीन महंगी के होने कारण कुछ उद्यमी भी अपने प्लाट बेचकर प्रापर्टी डीलिंग करने में जुट गए हैं। वर्षाें से बंद पड़ी आयशर फैक्ट्री में भी प्लाटिंग की तैयारी चल रही है। नीरज शर्मा ने विधानसभा में सरकार को बताया कि फरीदाबाद में मेट्रो रेल लाइन से लगती हुई फैक्ट्री डूरेबल जैसी अनेक फैक्ट्रियों में अवैध प्लाटिंग कर दी गई। यही कारण है कि फरीदाबाद में मेट्रो के साथ टीओडी पालिसी के तहत एक भी लाइसेंस नहीं लिया गया। क्योंकि अवैध काम में सिर्फ राजनीतिक व प्रशासनिक रिश्वत देनी होती है जबकि टीओडी पालिसी के तहत 19 करोड़ 40 लाख रुपये की राशि सरकार को एक एकड़ पर लाइसेंस के लिए देनी होती है।
नीरज शर्मा ने कहा कि हरियाणा के बजट में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने फरीदाबाद के लिए कुछ नहीं दिया जबकि यह आशा व्यक्त की जा रही थी कि फरीदाबाद-गुरुग्राम मेट्रो लाइन के लिए राशि का प्रावधान होगा। उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष ने इस बजट पर टिप्पणी की है कि खोदा पहाड़ निकली चूहिया मगर वे कहते हैं कि इसमें तो मरी हुई चूहिया भी नहीं निकली।
नीरज शर्मा ने इसके लिए मुख्यमंत्री की संगति को दोष दिया और कहा कि सरकार जिस दल के गठबंधन के साथ चल रहा है,उसमें फरीदाबाद के लिए यह होना तय था। क्योंकि सभी लोग जानते हैं कि फरीदाबाद को फकीराबाद किसने बनाया।
विधायक ने कहा कि फरीदाबाद से कितना राजस्व मिलता है मगर फरीदाबाद को इसकी एवज में विकास कार्यों के लिए कितना मिलता है। इस बाबत सरकार को श्वेत पत्र जारी करना चाहिए। नीरज ने मांग कि सरकार फरीदाबाद को उसके राजस्व का 10 फीसद हिस्सा भी दे देगी तो उनके क्षेत्र में सड़क के गड्ढों में लोग नहीं मरेंगे। विधायक ने मांग की कि एनआइटी 86 के विकास के लिए कम से कम 110 करोड़ रुपये दिए जाने चाहिए। नगर निगम क्षेत्र के प्रत्येक वार्ड में विकास के लिए दस करोड़ रुपये की राशि दी जानी चाहिए और एक-एक करोड़ रुपये गांव के विकास के लिए दिए जाने चाहिए।