धूम्रपान और शराब कमजोर कर सकती है आपकी हड्डियां: डॉक्टर राजेश कुमार वर्मा

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New Delhi News, 05 Aug 2021 : पोस्ट कोविड सिंड्रोम में बहुत सी बीमारियाँ व समस्याएं देखने को मिल रहीं हैं। आजकल इस सन्दर्भ में अवास्क्युलर नेक्रोसिस के भी केसेज़ देखने को मिल रहे हैं। अवास्क्युलर नेक्रोसिस दरअसल एक प्रकार का हड्डी का रोग है जिसके तहत खून का प्रवाह रुकने या बहुत कम हो जाने के कारण हड्डियों की कोशिकाएं मृत होने लगतीं हैं। यह हड्डियों के जोड़ों में और अधिकतर हिप जॉइंट में देखने को मिलता है। कोविड संक्रमण के बाद इसके होने की यदि चर्चा करें तो कोविड की वजह से बहुत से केसेज़ में थ्रोम्बोसिस भी होता है जो एक प्रकार से खून को गाढ़ा कर देता है, इसलिए बहुत मुमकिन है कि इस कारण रक्त प्रवाह प्रभावित होने की वजह से मरीज़ को अवास्क्युलर नेक्रोसिस हो, दूसरा कारण कोविड के इलाज के दौरान ली गईं स्टेरॉयड की खुराक भी हो सकती हैं, जिसके कारण भी बहुत से मामलों में अवास्क्युलर नेक्रोसिस हो जाता है। मेरे अनुभव में अभी तक कोविड रिकवरी के बाद इस बीमारी से जूझने वाले तकरीबन 3 से 4 मरीज़ देखने को मिले हैं।
क्योंकि इलाज के दौरान डॉक्टर की सलाह के अनुसार स्टेरॉयड दिया जाना भी ज़रूरी है इसलिए मरीज़ को चाहिए कि वह रिकवरी के बाद भी अपने शरीर में होने वाले बदलावों और बहुत मामूली दिखने वाली समस्याओं को भी गंभीरता से ले और किसी भी प्रकार के दर्द या असहजता को तुरंत डॉक्टर के संज्ञान में लाये ताकि आने वाले जोखिम को रोका जा सके। अवास्क्युलर नेक्रोसिस की यदि बात करें तो इसके प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं :-
• जोड़ों में तीव्र दर्द
• जोड़ों को मोड़ने आदि में समस्या
• चलते समय लचक महसूस होना या दिक्कत महसूस होना

केस स्टडी :-
हाल ही में लगभग 35 वर्षीय विवेक (बदला हुआ नाम) ने कोविड रिकवरी के कुछ समय बाद हमारे अस्पताल में जोड़ों के दर्द के साथ रिपोर्ट किया। जांच के बाद उन्हें अवास्क्युलर नेक्रोसिस की समस्या निकली। दरअसल विवेक को कोविड संक्रमण ने बहुत गंभीर रूप से प्रभावित किया था और उनका इलाज भी लम्बा चला था। संक्रमण के लगभग 4 महीने बाद उन्हें अवास्क्युलर नेक्रोसिस हुआ। हालाँकि विवेक के लक्षण बहुत मामूली हैं और लगातार इलाज व दवाओं के सेवन से वे बिलकुल ठीक हो जायेंगे। पोस्ट कोविड किसी भी मामूली असहजता या दर्द को नज़रअंदाज़ न करें और तुंरत डॉक्टर से सलाह लें ताकि आने वाले जोखिम को रोका जा सके।

डॉक्टर राजेश कुमार वर्मा, निदेशक आर्थोपेडिक्स एंड स्पाइन सर्जरी, नारायणा सुपरस्पेशेलिटी हॉस्पिटल

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