May 3, 2025

महारानी वैष्णोदेवी मंदिर में छठे नवरात्रे पर मां कात्यायनी की भव्य पूजा हुई

0
8463
Spread the love

Faridabad News, 04 Oct 2019 : सिद्धपीठ महारानी वैष्णोदेवी मंदिर में छठे नवरात्रे पर मां कात्यायनी की भव्य पूजा अर्चना की गई। इस अवसर पर प्रातकालीन पूजा में सैंकड़ों भक्तों ने मंदिर में पहुंंचकर मां की आरती में हिस्सा लिया। मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने सभी श्रद्धालुओं के साथ मंदिर में हुए यज्ञ में आहुति डाली। इस अवसर पर श्री भाटिया ने बताया कि शारदीय नवरात्रि के छठवें दिन देवी कात्यायनी की आराधना की जाती है। देवी पार्वती ने यह रूप महिषासुर का वध करने के लिए धारण किया। देवी सिंह की सवारी करती हैं। उनके चार हाथ हैं, दाहिने दोनों हाथों में से एक अभय मुद्रा व दूसरा वरद मुद्रा में रहता है और बाएं दोनों हाथों में से एक में तलवार व दूसरे में कमल का पुष्प धारण करती हैं। यह माना जाता है कि वह बृहस्पति ग्रह का संचालन करती हैं।

मां दुर्गा के छठवें रूप कात्यायनी की पूजा से राहु जनित व काल सर्प दोष दूर होते हैं। देवी की विधिपूर्वक आराधना करने से कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है व मार्ग में आने वाली कठिनाइयों पर विजय प्राप्त होती है। यह विश्वास है कि मां कात्यायनी की पूजा से मस्तिष्क, त्वचा, अस्थि, संक्रमण आदि रोगों में लाभ मिलता व कैंसर की आशंका कम हो जाती है। शारदीय नवरात्रि के छठवें दिन मां कात्यायनी के पूजन में कदंब का पुष्प देवी को अर्पित करें। कथा है कि देवी पार्वती का जन्म ऋषि कत्य के घर हुआ था इसीलिए वह कात्यायनी कहलाईं। यह भी कहा जाता है कि यह रूप उन्होंने महिषासुर के वध के लिए धरा है। जिसमें वह युद्ध के लिए तैयार नजर आती हैं। श्री भाटिया ने बताया कि सच्चे मन से मां की अराधना करने से जो मुराद होती है वह शीघ्र पूरी हो जाती है।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *