होम आइसोलेशन: हल्के लक्षणों वाले कोविड-19 रोगियों के लिए फ़ायदेमंद

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New Delhi News, 30 July 2020 : भारत में अस्पताल आधारित स्वास्थ्य सेवा वितरण की हमेशा से कमी रही है। और कोविड-19 के मामलों में तेज वृद्धि से देश के स्वास्थ्य सेवा के सीमित बुनियादी ढांचे पर बोझ बढ़ गया है। हालांकि, इस महामारी ने भारत में स्वास्थ्य सेवा वितरण की श्रृंखला के आयामों को भी बदल दिया है, क्योंकि कोविड-19 के अस्सी प्रतिशत मरीज लक्षणहीन हैं या उनमें मामूली लक्षण दिखाई दे रहे हैं। यह केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की एक रिपोर्ट से पता चलता है।

इन रोगियों को अस्पताल आधारित उपचारों के लिए जाने की आवश्यकता नहीं है और इस संबंध में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के दिशा-निर्देश कहते हैं कि जिन लोगों को चिकित्सीय रूप से कोविड-19 के बहुत मामूली लक्षण या पूर्व-लक्षात्मक श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है, उनके पास होम आइसोलेशन (घर पर ही पृथक्करण) का विकल्प होगा। बशर्ते उनके घर पर अपेक्षित सुविधाएं हो। ज़ाहिर है, सरकार अस्पतालों पर बोझ कम करने के अभिप्राय से होम आइसोलेशन की सिफारिश कर रही है।

हेल्थकेयर एटहोम (एचसीएएच) के सह-संस्थापक और सीईओ, श्री विवेक श्रीवास्तव, ने कहा, “सरकारी दिशा-निर्देशों के लिए धन्यवाद, हम देशभर में फोर्टिस हॉस्पिटल के लिए होम आइसोलेशन सेवाएं दे रहे हैं। हम अपने एचआईपी के लिए टाटा, डॉबर, एबीएफएल और बीमा कंपनियों जैसे कार्पोरेट्स के साथ मिलकर उन मरीजों के प्रबंधन के लिए काम कर रहे हैं जिनमें कोई लक्षण दिखाई नहीं देने से लेकर मामूली लक्षण दिखाई दे रहे हैं। हमने कस्टमाइज़ होम आइसोलेश प्रोग्राम (एचआईपी) दो रूपों में विकसित किए हैं – ‘कोविड-अनिवार्य’ ’कोविड-विकसित‘। पहला वाला ‘कम जोखिम वाले लोगों के लिए ’ और दूसरा ‘उच्च जोखिम वाले लोगों के लिए’। होम आइसोलेशन सभी के लिए संभव और किफायती है। और इससे अस्पतालों पर बोझ भी कम होगा।”

जैसे-जैसे उन कोविड-19 के रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है जिनमें कोई लक्षण नहीं या मामूली लक्षण दिखाई दे रहे हैं, ऐसा लगता है कि होम आइसोलेशन की किफायतता और व्यवहार्यता को देखते हुए नब्बे प्रतिशत रोगियों का उपचार होम आइसोलेशन केयर के माध्यम से किया जाएगा। इस आवश्यकता को पूरी करने के लिए, हेल्थकेयर एट होम (एचसीएएच) पहली कंपनी है, जिसने सावधानीपूर्वक होम आइसोलेशन प्रोग्राम (एचआईपी) डिजाइन किया है।

हेल्थकेयर एट होम (एचसीएएच) के सीओओ, डॉ.गौरव ठुकराल ने कहा, “हमें कोविड-19 की घबराहट/के संत्रास के दौरान मरीजों से बहुत अच्छी प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं, क्योंकि वो होम आइसोलेशन प्रोग्राम (घर पर ही पृथक्करण के दौरान देखभाल) की व्यवहार्यता को देखते हुए हमसे संपर्क कर रहे हैं। दो हफ्ते पहले, कोविड-19 के मामूली लक्षणों से पीड़ित रोगियों में से एक हमारी हेल्पलाइन पर पहुंचा था, हमारी एचआईपी की टीम ने धैर्यपूर्वक उसकी समस्याएं सुनने के बाद अपनी प्रतिक्रिया दी। तुरंत उसका संबंधित फिजिशियन से संपर्क स्थापित किया गया, इसके बाद उसके मानसिक तनाव को कम करने के लिए मनोवैज्ञानिक की सेवाएं उपलब्ध कराई गई और फिर आहार विशेषज्ञ से बात कराई। इसके बाद, बिना किसी परेशानी के उसके घर से ही जांच के लिए नमूने लिए गए। बाद में, मरीज की तेज रिकवरी के लिए दूर से ही सारी जरूरतों का प्रबंधन किया गया।”

डॉ. गौरव ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, “पिछले तीन महीनों में हमारे होम आसोलेशन कार्यक्रम के बारे में जानकारी प्राप्त करने वाले लोगों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है, क्योंकि प्रतिदिन 250-300 लोग हम से संपर्क कर रहे हैं। अब तक, हमने अपने एचआईपी के माध्यम से चार हजार से अधिक मरीजों का उपचार किया है। एचआईपी शुरू करने के लिए, सबसे पहले हम मरीजों और उनके परिवार के सदस्यों के साथ प्रशिक्षित कोविड विशेषज्ञों की एचआईपी प्रोटोकॉल लागू करने के बारे में चर्चा कराते हैं। आईईसी सामाग्री के साथ ‘होम आइसोलेशन में कैसे रहें’ पर पूर्ण प्रशिक्षण और जानकारी उपलब्ध कराई जाती है। देखभाल करने वाले भी चौबीसों घंटे उपलब्ध रहते हैं।”

हमारे देश में लगभग हर जगह अस्पताल के बेडों की हमेशा से चली आ रही कमी के बीच, होम आसोलेशन सेवाएं सबसे पसंदीदा और व्यवहार्थ विकल्प बनकर उभर रही है। हाल ही में, उत्तर प्रदेश सरकार ने कुछ शर्तों के साथ घर पर ही पृथक्करण की अनुमति देने का निर्णय लिया है।

लक्षणहीन कोविड-19 के मरीजों के लिए घर पर ही पृथक्करण की अनुमति देने के बारे में, अपर मुख्य सचिव (गृह), अवनीश कुमार अवस्थी ने मीडियाकर्मियों से कहा, “अभी तक राज्य में घर पर पृथक्करण की अनुमति नहीं थी। लेकिन अब हमने कुछ शर्तों और मानकों के साथ अनुमति देने का निर्णय लिया है। उन्होंने यह भी कहा है कि राज्य में कोविड के लिए नामित अस्पतालों में पर्याप्त संख्या में बेड हैं और घर पर पृथक्करण की अनुमति देने का निर्णय ‘लोगों से अनुरोध’ के आधार पर लिया जाएगा। ”

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