May 1, 2025

हरियाणा के गाँवों में तालाबों के जीर्णोद्धार में मदद करेंगे तकनीकी संस्थान

0
105
Spread the love

Faridabad News, 27 Aug 2020 : जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद ने हरियाणा तकनीकी शिक्षा विभाग के सहयोग से तलाबों की आर्किटेक्चरल ड्राइंग पर राज्य के तकनीकी संस्थानों के लिए दो दिवसीय ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया।

कार्यशाला का उद्घाटन कुलपति प्रो दिनेश कुमार ने किया और प्रतिभागियों को संबोधित किया। गाँवों में तालाबों को पानी का प्रमुख स्रोत बताते हुए उन्होंने राज्य में ग्रामीण क्षेत्रों में तालाबों के विकास और जीर्णोद्धार की आवश्यकता पर बल दिया और ग्रामीण क्षेत्रों में तालाबों के जीर्णोद्धार के लिए राज्य सरकार द्वारा की गई पहल की सराहना की।

कार्यशाला में यह बताया गया कि वर्तमान में हरियाणा में 18 हजार तालाब हैं, जो कई तकनीकी और सामाजिक कारणों से सीमित उपयोग में हैं। इस कार्यशाला का उद्देश्य इन तालाबों की उपयोगिता बढ़ाने के लिए राज्य तकनीकी संस्थानों के संकाय और विद्यार्थियों के माध्यम से एक तंत्र विकसित करना या समाधान प्राप्त करना था। कार्यशाला के दौरान विभिन्न समाधान प्रदान किए गए।

जे.सी. बोस विश्वविद्यालय के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष डॉ. एम.एल. अग्रवाल ने इस अवसर पर तालाबों का उपयोग करके सिंचाई के लिए अभिनव जल आपूर्ति प्रणाली ट्रेडिल पंप का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया। यह तकनीक किसी टैंक या तालाब में संचयित पानी का विभिन्न सुविधाओं में उपयोग के लिए मदद करती है। इस प्रणाली में ट्रेडिल पंप को पैर से संचालित किया जा सकता है और इसे आसानी से बिना बिजली के चलाया जा सकता है। स्मार्ट सिंचाई प्रणाली विकसित करने के लिए इसमें इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) की सहायता से मोबाइल के माध्यम से मॉनिटर का विकल्प भी दिया गया है। वर्षा जल के भंडारण और उपयोग की इस प्रणाली के लिए किसी बिजली से संचालित ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होती है। इसका पंपिंग तंत्र जिम में होने वाले अभ्यास से मिलता जुलता है। यह प्रणाली ऊर्जा कुशल, पर्यावरण के अनुकूल और सस्ती है। यह एक तालाब से प्रति घंटे 3000 लीटर पानी उठाने के लिए उपयुक्त है। इस पंप को तालाब से 5 से 50 मीटर की दूरी पर स्थापित किया जा सकता है और यह 0.5 किमी के दायरे में पानी की आपूर्ति कर सकता है।

जे सी बोस विश्वविद्यालय के एक अन्य संकाय डॉ. विशाल पुरी ने तालाब में पानी की गहराई खोजने के लिए इको-साउंड उपकरण का प्रदर्शन किया। यह पानी की गहराई से प्रत्यक्ष डिजिटल रीडिंग देता है। डॉ. कृष्ण वर्मा ने कंप्यूटर एडेड टेक्नोलॉजी का उपयोग करके पानी की मात्रा खोजने की विधि का प्रदर्शन किया। योगेश कुमार मोर्या और सत्यम कुमार ने कंप्यूटर एडेड ऑटोकैड सॉफ्टवेयर का उपयोग करके तालाब के आर्किटेक्चर ड्राइंग बनाने की प्रक्रिया के बारे में बताया। सिविल इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि रखने वाले बहुतकनीकी संस्थानों, कॉलेजों और तकनीकी विश्वविद्यालयों के 200 से अधिक प्रतिभागियों ने इस प्रशिक्षण कार्यशाला में भाग लिया।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *