May 1, 2025

ऑनलाइन टीचिंग-लर्निंग मॉडल ने उच्चतर शिक्षा के लिए खोले नए रास्ते : प्रो. दिनेश कुमार

0
202
Spread the love

Faridabad News, 29 July 2020 : जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने आज कहा कि कोरोना महामारी से उत्पन्न परिस्थितियों ने टीचिंग और लर्निंग का एक नया मिश्रित मॉडल विकसित किया है, जिसमें विद्यार्थियों को पारम्परिक कक्षाओं के साथ-साथ आनलाइन कक्षाओं का विकल्प मिला है। इसके साथ प्रैक्टिकल और वर्कशाप प्रशिक्षण में भी बदलाव आया है। हालांकि फिजिकल प्रैक्टिकल प्रशिक्षण का स्वरूप पहले जैसा ही रहने वाला है। अब उच्च शिक्षा का भविष्य टीचिंग और लर्निंग का यह नया मिश्रित मॉडल ही होगा।

कुलपति प्रो. दिनेश कुमार आज मुख्य वक्ता के रूप में अग्रवाल वैश्य समाज, हरियाणा द्वारा “आगामी शिक्षा परिदृश्य – चुनौतियाँ और संभावनाएँ” विषय पर आयोजित एक वेबिनार सत्र को संबोधित कर रहे थे। वेबिनार के दौरान, उन्होंने शिक्षा में बदलते परिदृश्य पर प्रतिभागियों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर दिया। ऑनलाइन टीचिंग-लर्निंग मॉडल को एक बड़ी सफलता बताते हुए कुलपति ने कहा कि ऑनलाइन टीचिंग-लर्निंग मॉडल ने शिक्षा क्षेत्र, विशेष रूप से उच्च शिक्षा में नए रास्ते खोले हैं और इसने शिक्षण को और अधिक प्रतिस्पर्धी बना दिया है। अब विश्वविद्यालय ऐसा हो सकता हैं कि आने वाले दिनों में विश्वविद्यालय विशेषज्ञता के क्षेत्र में ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज जैसे प्रतिष्ठित शैक्षिक संस्थानों अथवा शीर्ष अनुसंधान प्रयोगशालाओं के संकायों और वैज्ञानिकों की सेवाओं पर विचार करें और यह अवसर हमारे संकाय सदस्यों के साथ उपलब्ध भी हो गया हैं। उन्होंने विश्वविद्यालयों में फ्रंटलाइन अनुसंधान सुविधाओं को विकसित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

संसाधनों से वंचित या ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लेने में असमर्थ विद्यार्थियों के लिए सुविधा पर बल देते हुए कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालयों को ऐसे विद्यार्थियों के लिए परिसर खोलने के विकल्प दिया जाना चाहिए। विश्वविद्यालय द्वारा किए गए सर्वेक्षण का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में केवल 40 विद्यार्थी ही ऐसे मिले हैं जिनके पास मोबाइल फोन की सुविधा नहीं हैं। विश्वविद्यालय ऐसे विद्यार्थियों को सुविधा देने के लिए प्रत्यनशील है, ताकि उनके अध्ययन का नुकसान न हो।

परीक्षा के बारे में पूछे जाने पर कुलपति ने कहा कि डिग्री प्रदान करने के लिए परीक्षा का आयोजन उच्च शिक्षा में मूल्यांकन का सबसे अच्छा और स्वीकृत मॉडल है। उनका विचार है कि मेडिकल और इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों के लिए प्रैक्टिकल परीक्षा फिजिकल मोड में आयोजित होनी चाहिए जबकि लिखित परीक्षा ऑनलाइन या ऑफलाइन मोड में आयोजित की जा सकती है। उन्होंने कहा कि किसी भी विश्वविद्यालय द्वारा प्रैक्टिकल परीक्षा के बिना डिग्री देना एक तरह का अपराध है। उन्होंने कहा कि अगर स्थिति सामान्य होती है तो जेसी बोस विश्वविद्यालय भी दिसंबर के महीने में प्रैक्टिकल परीक्षा आयोजित करने की योजना रखता है। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे अपने कोरोना काल को अपने अध्ययन अवकाश (सब्बाटिकल लीव) के रूप में मानकर चले और भविष्य के अवसरों के लिए कौशल विकसित करने पर ध्यान दे। उन्होंने कहा कि स्थिति सामान्य होने पर रोजगार के नये अवसर सृजित होंगे, जिसके लिए युवाओं को कौशलवान बनना होगा।

इस बारे में पूछे जाने पर कि क्या ऑनलाइन टीचिंग-लर्निंग मॉडल शिक्षा की लागत को कम करेगा, कुलपति ने कहा कि निश्चित रूप से यह शिक्षा की लागत को कम करेगा, लेकिन इसमें अभी समय लगेगा। फीस-माफी के मुद्दे पर कुलपति ने कहा कि अधिकांश विश्वविद्यालय सेल्फ-फाइनेंसिंग मोड पर अपने प्रोफेशनल पाठ्यक्रम चलाते हैं और विद्यार्थियों की फीस से ही शिक्षकों का वेतन दिया जाता है। इसलिए, विश्वविद्यालयों के लिए इस स्थिति का सामना करना मुश्किल है। हालांकि, जेसी बोस विश्वविद्यालय ने फीस नियमों में ढील दी है, जिसमें विद्यार्थियों को दो समान किस्तों में अपनी सेमेस्टर फीस का भुगतान करने का विकल्प दिया गया है। विश्वविद्यालय ने सेमेस्टर फीस में इंटरनेट डेटा शुल्क के रूप में 447 रुपये की छूट दी है ताकि विद्यार्थी को ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। इसके अलावा, विश्वविद्यालय जल्द ही आर्थिक रूप से कमजोर और जरूरतमंद विद्यार्थियों के लिए एक पोलिसी लेकर आयेगा, जिसमें जरूरतमंद विद्यार्थियों के लिए विश्वविद्यालय द्वारा 20 से 100 प्रतिशत ट्यूशन फीस माफी का प्रावधान किया जाएगा।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *