पारंपरिक साँझी कला को संजोतीं बहादुरगढ़ की हुनरबाज़ बिटिया - साक्षी गर्ग!

दिल्ली : भारत देश है वृहद् कलाओं और हुनरों से समृद्ध एक देश! यहाँ पर हर घर में कोई-ना-कोई अद्भुत कला आपको देखने को मिल जाएँगी।

और, सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण बात यह है कि अपनी-अपनी अनूठी कलाओं में निपुणता के लिए इन कलाकारों की कोई उम्र सीमा नहीं होतीं! फिर, चाहे वो एक बुज़ुर्ग व्यक्ति हों, जवान हों या चाहे फिर, वो एक छोटा-सा बच्चा या छोटी-सी बच्ची ही क्यों ना हों! अपनी-अपनी अनूठी कलाओं में सभी के हाथ कुछ ऐसे चलते हैं कि आप और हम देखते ही रह जाएँ!

कुछ ऐसा ही नज़ारा देखने को मिल रहा है 44वें भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में! जहाँ पर भारत मंडपम के हॉल नंबर - 6 में साक्षी गर्ग नाम की छोटी-सी बच्ची हरियाणा की पारंपरिक साँझी कला को बख़ूबी सहेजतीं हुईं नज़र आ रहीं हैं। और-तो-और इनकी इस कला को यहाँ पर आने वाले आगंतुकों द्वारा काफ़ी सराहा भी जा रहा है।

साक्षी को इस कला में अपने हुनर के लिए हरियाणा सरकार द्वारा स्टेट अवॉर्ड से भी नवाज़ा जा चुका है।

एक बिल्कुल पतले-से पेपर पर बेहद बारीक़ी से एक-एक डिज़ाइन को पूरी ख़ूबसूरती से आकार देतीं साक्षी की यह कला-कृतियाँ वाक़ेई क़ाबिल-ए-तारीफ़ हैं!

साक्षी बतातीं हैं कि साँझी कला के अंतर्गत किसी भी कला-कृति को तैयार करने में उन्हें 6 घंटे से लेकर एक हफ़्ते तक का समय लग जाता है। लेकिन, यक़ीन मानिए! इस कला को देखकर अगर आपके मुँह से “वाह! क्या कला है!” - यह शब्द ना निकल जाएँ, ऐसा तो, हो ही नहीं सकता!

तो, अगर आप भी इस अद्भुत कला से होना चाहते हैं अभिभूत; तो, यह मौक़ा है आपके पास सिर्फ़ 27 नवंबर - 2025 तक ही!

तो, फिर देर किस बात की? अभी पहुँचें भारत मंडपम के हॉल नंबर - 6 में और रूबरू हों हरियाणा राज्य की इस अद्भुत कला से!