श्री बजरंग दल दशहरा कमेटी द्वारा 25वां दशहरा बराही तालाब ओल्ड फरीदाबाद में बड़ी ही धूमधाम मनाया जाएगा
श्री बजरंग दल दशहरा कमेटी(रजि.) द्वारा 25वां दशहरा बराही तालाब ओल्ड फरीदाब…
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क्विक हील ने दी चेतावनी: भारत में तेज़ी से बढ़ रहा है एआई चैटबॉट फ्रॉड
(भारत), 24 सितम्बर 2025: साइबरसिक्योरिटी समाधान उपलब्ध कराने वाली अग्रणी कंपनी क्विक हील टेक्नोलॉजीज़ लिमिटेड ने एक चौंकाने वाली रिपोर्ट जारी की है। इसमें खुलासा हुआ है कि भारत में एआई चैटबॉट फ्रॉड के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं। रिपोर्ट बताती है कि अब साइबर अपराधी आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर ऑटोमेटिक फ्रॉड फैक्ट्रियाँ बना रहे हैं। ये चैटबॉट्स बैंकों, डिलीवरी सेवाओं और सरकारी एजेंसियों जैसी भरोसेमंद संस्थाओं की हूबहू नकल करते हैं और एक ही समय में हज़ारों लोगों को निशाना बना सकते हैं।
भारत की सबसे बड़ी मैलवेयर जांच लैब सेक्योराइट लैब्स के शोधकर्ताओं ने पाया है कि हर महीने हज़ारों नए एआई-आधारित धोखाधड़ी टूल सामने आ रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, एआई चैटबॉट स्कैम 2025 की सबसे बड़ी डिजिटल चुनौतियों में से एक बन चुके हैं। पारंपरिक फ़िशिंग से अलग, ये चैटबॉट बातचीत के दौरान खुद को बदल लेते हैं—कभी नकली डिलीवरी चार्ज, कभी झूठे कस्टम शुल्क या फर्जी टेक सपोर्ट फीस का बहाना बनाकर। खतरनाक बात यह है कि एक ही सर्वर से एक साथ हज़ारों फर्जी चैट चलाए जा सकते हैं।
क्विक हील के विश्लेषण के मुताबिक, लोग चैटबॉट और वॉयस असिस्टेंट पर जो भरोसा करते हैं, अपराधी उसी का फ़ायदा उठा रहे हैं। सबसे ज़्यादा मामले फर्जी कस्टमर सपोर्ट चैटबॉट्स के हैं, जो अकाउंट हैक या ब्लॉक जैसी बनावटी स्थिति दिखाकर बैंकिंग डिटेल चुरा लेते हैं। वहीं, रोमांस स्कैम अब एआई भाषा मॉडल से हफ़्तों तक भावनात्मक बातचीत करते हैं, एआई से बनी तस्वीरें भेजते हैं और फिर पीड़ित से “लोन” या फर्जी क्रिप्टो एक्सचेंज पर पैसा लगाने को कहते हैं। इसके अलावा, वॉयस असिस्टेंट फ्रॉड में अपराधी नकली ऐप्स बनाते हैं और वॉयस क्लोनिंग से परिवारजनों की आवाज़ नकल कर इमरजेंसी का बहाना बनाकर ठगी करते हैं।
इन स्कैम्स की सबसे बड़ी चिंता है उनकी स्मार्ट और चालाक तकनीक। ठग असली जैसी दिखने वाली नकली वेबसाइट डोमेन बना लेते हैं—जैसे dhl.com की जगह dhi-delivery.com—और मिनटों में असली ब्रांड का लोगो व डिज़ाइन कॉपी कर लेते हैं। वे पुराने डेटा से लोगों का नाम निकालकर चैटबॉट को और असली जैसा बनाते हैं। फ्रॉडजीपीटी जैसे अंडरग्राउंड एआई टूल्स उन्हें ऐसे फ़िशिंग किट बनाने में मदद करते हैं जो बैंकिंग ग्राहकों से बात करते समय औपचारिक भाषा और गेमिंग यूज़र्स से बात करते समय कैज़ुअल भाषा अपनाते हैं।
हाल ही में देखे गए उदाहरणों में—डीएचएल-ब्रांडेड चैटबॉट्स कस्टम शुल्क मांगते हैं, व्हाट्सएप बॉट्स “मेटा सिक्योरिटी” बनकर पेज लॉगिन और पेमेंट डिटेल चुराते हैं, और वॉयस क्लोनिंग स्कैम्स परिवार की आवाज़ की नकल कर झूठे रिफंड कॉल्स करते हैं।
यूज़र्स को कुछ संकेतों पर सतर्क रहना चाहिए। अगर कोई चैटबॉट ओटीपी, बैंकिंग जानकारी या पासवर्ड माँगता है तो यह साफ़ तौर पर धोखाधड़ी का इशारा है, क्योंकि असली कंपनियाँ कभी भी चैट के ज़रिए संवेदनशील जानकारी नहीं मांगतीं। इसके अलावा, अजीब वाक्य संरचना, जल्दी निर्णय लेने के लिए दबाव डालने वाली भाषा, या गलत स्पेलिंग वाले संदिग्ध यूआरएल्स पर रीडायरेक्ट होना—ये सभी संभावित फ्रॉड के संकेत हैं। क्विक हील टेक्नोलॉजीज़ लिमिटेड का कहना है कि यदि कोई भी ऐसा संकेत दिखे, तो तुरंत बातचीत बंद कर देनी चाहिए।
ऐसे खतरों से बचाने के लिए क्विक हील ने Antifraud.AI लॉन्च किया है। यह भारत का पहला एआई-आधारित फ्रॉड प्रिवेंशन सॉल्यूशन है, जो यूज़र्स को कई स्तरों पर सुरक्षा देता है। यह क्लाउड-आधारित सिस्टम हर चैट लिंक को लाइव थ्रेट इंटेलिजेंस से मिलाकर जांचता है, संदिग्ध वेबसाइटों को तुरंत ब्लॉक करता है और डार्क वेब पर लीक हुए यूज़र डेटा की निगरानी करता है। इसमें कई उन्नत सुविधाएँ शामिल हैं, जैसे कि फ़िशिंग डिटेक्शन और तुरंत अलर्ट भेजना; बिना अनुमति माइक्रोफोन या कैमरा एक्टिव होने पर चेतावनी देना और धोखाधड़ी वाले ऐप्स की पहचान कर उन्हें रोकना।
आजकल एआई-जनरेटेड कंटेंट इतना असली जैसा लगने लगा है कि इसे इंसानी बातचीत से अलग करना मुश्किल हो गया है। ऐसे में क्विक हील टेक्नोलॉजीज़ लिमिटेड ने चेतावनी दी है कि केवल “अपनी समझ पर भरोसा करें” वाली सलाह अब पर्याप्त नहीं है। इस नए डिजिटल खतरे से बचने के लिए तकनीकी सुरक्षा उपाय, सत्यापन प्रक्रियाएँ और लोगों में जागरूकता—तीनों का होना ज़रूरी है। यह बढ़ते साइबर अपराध और अपराधियों की नई तरकीबों को देखते हुए एक अहम कदम है।