ऐग्रीज़ी ने आर्थिक रूप से मजबूत होने पर जोर दिया; घरेलू एग्री-फूड प्रोसेसिंग क्षमताओं को बढ़ाने का अनुरोध किया

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New Delhi : कृषि-खाद्य प्रसंस्करण (एग्री-फूड प्रोसेसिंग) उद्योग की प्रमुख कंपनी, ऐग्रीज़ी ने घरेलू कृषि-खाद्य प्रसंस्करण की क्षमताओं को बढ़ाने का अनुरोध किया है। ऐग्रीज़ी के विशेषज्ञों के अनुसार, इस महत्‍वपूर्ण कदम से निर्यात बढ़ेगा, देश पर आयात का बोझ कम होगा और भारतीय अर्थयवस्था को मजबूत करने में काफी मदद मिलेगी।

हम लाल मिर्ची का उदाहरण लेते हैं। भारत में लाल मिर्ची की तरह-तरह की किस्‍में हैं जिनमें सन्नम, तेजा, ब्याड्गी, और कश्मीरी मिर्च शामिल हैं। लाल मिर्ची की इन किस्मों का भारत की कृषि पैदावार में महत्वपूर्ण योगदान है। भारत में वर्ष 2021-22 के लिए लाल मिर्ची का अनुमानित उत्पादन लगभग 1.8 मिलियन टन था, और इस प्रकार से यह देश विश्व में लाल मिर्ची का सबसे बड़ा उत्पादक है। साथ ही, भारत लाल मिर्ची का प्रमुख निर्यातक भी है और इसने चीन, थाईलैंड, इंडोनेशिया, श्रीलंका तथा यूएसए जैसे देशों को लगभग 0.6 मिलियन टन लाल मिर्ची का निर्यात किया।

विरोधाभास यह है कि दुनिया के सबसे बड़े लाल मिर्ची उत्पादक और निर्यातक देशों में से एक होने के बावजूद, भारत प्रसंस्करण क्षमताओं में पिछड़ रहा है और ढेरों आर्थिक अवसरों से चूक रहा है। चीन जैसे देश भारत से कच्ची लाल मिर्ची का आयात करते हैं, उन्हें प्रोसेस करके चिली पाउडर, फ्‍लेक्स और नैचुरल कलरेंट सहित विभिन्न तैयार उत्पाद बनाते हैं और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में इनका निर्यात करते हैं। विश्व में लाल मिर्ची के सबसे बड़े उपभोक्ताओं में एक होने के नाते, भारत भी इन प्रोसेस्‍ड प्रोडक्‍ट्स का आयात करता है और इस प्रकार निर्भरता की जाल में फंस जाता है जिससे घरेलू आर्थिक वृद्धि में बाधा आती है।

ऐग्रीज़ी का मानना है कि भारत को अपनी कच्ची पैदावार में बढ़ोतरी करते हुए एक सर्व-समावेशी वैश्विक बाज़ारस्थल का निर्माण करने के लिए लाल मिर्ची के सबसे बड़े उत्पादक, निर्यातक, और उपभोक्ता की अपनी विशिष्ट स्थिति का लाभ उठाना चाहिए। इसे एक बहुआयामी समाधान तैयार करने के लिए मजबूत घरेलू कृषि-खाद्य प्रसंस्करण क्षमताओं का विकास करके हासिल किया जा सकता है। देश में अत्‍याधुनिक प्रोसेस्‍ड फैक्ट्रियों में निवेश करके भारत आयात पर अपनी निर्भरता काफी हद तक कम कर सकता है और इस प्रकार अपनी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बना सकता है।

इस प्रकार के नजरिये के अनेक फायदे हैं, जिनमें रोजगार का सृजन, तकनीकी प्रगति, निर्यात की ज्यादा संभावना और खेती की बेहतर वैल्‍यू चेन शामिल है। यह सरकार द्वारा प्रचारित आत्मनिर्भर भारत के सपने से बखूबी मेल खाती है। यह दुनिया भर की अनिश्चितताओं के मद्देनजर, स्वदेशी उद्योगों को प्रोत्साहन देने और आर्थिक लचीलेपन को बढ़ावा देने की धारणा के भी अनुरूप है। ऐग्रीज़ी पुरजोर तरीके से नीति-निर्धारकों, उद्योग के लीडरों और विशेषज्ञों से सहयोग करने का आग्रह करते हुए, एग्री-फूड प्रोसेसिंग में भारत की आत्मनिर्भरता की वकालत करता है।

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