वैष्णों देवी मंदिर द्वारा धूमधाम से हुआ तुलसी-शालीग्राम विवाह का आयोजन

0
1394
Spread the love
Spread the love

Faridabad News : वैष्णों देवी मंदिर 5F, A block की ओर से तुलसी-शालीग्राम विवाह का आयोजित किया गया। इस अवसर पर मंदिर प्रांगण से बड़ी धूमधाम से साथ शोभा यात्रा का आयोजन किया गया। इस मौके पर कीर्तन भजन आदि भी किया गया। शोभा यात्रा मंदिर प्रांगण से शुरू होकर 5 नंबर राम मंदिर के आगे से होते हुए 5 नंबर की मैन मार्किट से निकलते हुए वापिस मंदिर पहुंची। जगह जगह पर भक्तो द्वारा शोभा यात्रा का स्वागत किया गया। इस अवसर पर मंदिर की प्रधान माता जी सुभद्रा खेड़ा, प्रधान बाबा आरती और सेवादार मंडली जिसमें पिंकी कपूर, अम्बिका, नेहा पॉल, मंजीत कौर, संगीता, जूही शर्मा तथा मंदिर के पुजारी रामानंद शास्त्री व अनेकों गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।

मंदिर के पुजारी रामानंद शास्त्री ने बताया कि देवउठनी एकादशी को देवशयनी और प्रबोधनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पुराणों के अनुसार देवउठनी एकादशी को ही भगवान विष्णु का विवाह तुलसी के साथ हुआ था। इसलिए इस दिन को लोग तुलसी विवाह के नाम से भी जानते हैं। इस दिन खास यह होता है कि भगवान विष्णु के जगने के बाद ही माता तुलसी का विवाह इनके साथ होता है। ऐसे में भगवान विष्णु और तुलसी माता के विवाह से संबंधित अहम बातों को जानना बेहद जरूरी हो जाता है।

विवाह के समय तुलसी के पौधे को आंगन, छत या जहां भी पूजा करना चाहते हैं उसके बिल्कुल बीच में रखें।
तुलसी का मंडप सजाने के लिए गन्ने का प्रयोग अच्छा माना गया है।
विवाह-विधि शुरू करने से पहले माता को चुनरी अवश्य चढ़ाना चाहिए।
अब गमले में सालिग्राम भगवान को रखें लेकिन उनपर अक्षत ना चढाएं। क्योंकि उन्हें तिल चढ़ाया जाता है।
माता तुलसी और सालिग्राम भगवान के ऊपर दूध में हल्दी मिलकर चढ़ाना चाहिए।
विवाह के समय बोला जाने वाला मंगलाष्टक अवश्य बोलना चाहिए।
माता तुलसी और भगवान विष्णु की विवाह के दौरान 11 बार तुलसी जी की परिक्रमा करनी चाहिए।
भोग लगाए हुए प्रसाद को भोजन के साथ ग्रहण करना चाहिए और बांटना भी चाहिए।

 

 

 

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here