“स्पॉटलाइट कार्यक्रम” महिला सशक्तिकरण की दिशा में सराहनीय पहल: विधायक सीमा त्रिखा

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फरीदाबाद, 08 जून। बड़खल की विधायक सीमा त्रिखा ने कहा दुनिया भर में हर महीने 1.8 अरब लोगों को मासिक धर्म होता है। इनमें से लाखों लड़कियां, महिलाएं, ट्रांसजेंडर पुरुष और नॉन-बाइनरी व्यक्ति अपने मासिक धर्म चक्र को गरिमापूर्ण, स्वस्थ तरीके से प्रबंधित करने में असमर्थ हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार हर माह नौ तारिख को पिंक दिवस के रूप में मनाती है।

विधायक सीमा त्रिखा आज वीरवार को स्थानीय अमृता अस्पताल के ऑडिटोरियम में यूनेस्को नई दिल्ली द्वारा आयोजित पीएंडजी वाइपर/ स्पेशल मासिक धर्म के प्रबंधन बारे सी-20 कार्यक्रम के तहत कार्यशाला में उपस्थित महिलाओं और छात्राओं तथा अन्य लोगों को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रही थी।

विधायक सीमा त्रिखा ने कहा कि मासिक धर्म की शुरुआत का अर्थ है किशोरों के जीवन में एक नया चरण – और नई कमजोरियाँ।  फिर भी, कई किशोर लड़कियों को मासिक धर्म के दौरान कलंक, उत्पीड़न और सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता है। वहीं  ट्रांसजेंडर पुरुषों और गैर-बाइनरी व्यक्तियों को भी अपनी लैंगिक पहचान के कारण भेदभाव का सामना करना पड़ता है, जिससे वे आवश्यक सामग्री और सुविधाओं तक पहुंच से वंचित हो जाते हैं।

उन्होंने कहा कि लैंगिक असमानता, भेदभावपूर्ण सामाजिक मानदंड, सांस्कृतिक वर्जनाएं, गरीबी और शौचालय और स्वच्छता उत्पादों जैसी बुनियादी सेवाओं की कमी के कारण मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता की जरूरत पूरी नहीं हो सकती है। इसके करोड़ों लोगों पर दूरगामी परिणाम होंगे। यह उनकी गतिशीलता और व्यक्तिगत विकल्पों को प्रतिबंधित करता है।

विधायक सीमा त्रिखा ने कहा कि  यह स्कूल में उपस्थिति और सामुदायिक जीवन में भागीदारी को प्रभावित करता है और यह उनकी सुरक्षा से समझौता करता है, जिससे अतिरिक्त तनाव और चिंता पैदा होती है। ये चुनौतियां मानवीय संकटों में विशेष रूप से तीव्र हैं।

उन्होंने कहा कि मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता हस्तक्षेप इन बाधाओं को दूर करने में मदद कर सकते हैं। न केवल वे मासिक धर्म स्वच्छता उत्पादों की अपूर्ण मांग को पूरा करते हैं। बल्कि  वे विशेष रूप से किशोरों के बीच गरिमा की रक्षा करते हैं, आत्मविश्वास का निर्माण करते हैं और यौन और प्रजनन स्वास्थ्य को मजबूत करते हैं।

यूनेस्को और अमृता विश्व विद्यापीठम ने मिलकर मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता का अभियान शुरू किया गया है।

विधायक श्रीमती सीमा त्रिखा ने दर्शकों को सम्बोधित करते हुए कहा, कि “किसी भी वर्ग या जाती से आने वाली हर महिला को सेनेटरी पैड्स और मासिक धर्म को स्वच्छ और सही तरीके से मैनेज करने का अधिकार है। स्कूलों में पढ़ाने वाले और दुसरे अन्य स्टाफ को माहवारी स्वच्छता के बारे में जागरूकता बढ़ानी चाहिए। एनजीओ, अस्पतालों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और हरियाणा सरकार को मिलकर इस पहल को फैलाने के लिए साथ मिलकर काम करना चाहिए। हम सबको मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा की माहवारी के कारण कोई भी महिला पीछे न रहे और हम साथ मिलकर एक ऐसा समाज बनाएंगे, जहां माहवारी स्वच्छता को प्राथमिकता दी जाए और सबके लिए सुलभ हो।”

उन्होंने आगे कहा, “हम, भारतीय के रूप में, मातृत्व के महत्व को पहचानते हैं, जो हमारे जीवन का सार है। महिलाओं को सशक्त बनाकर हम यह सुनिश्चित करते हैं कि भविष्य में किसी भी बेटी को किसी भी तरह की कमजोरी नहीं रहेगी। यूनेस्को इंडिया और अमृता विश्व विद्यापीठम, जिसे एनआईआरएफ 2023 रैंकिंग द्वारा भारत के शीर्ष दस विश्वविद्यालयों में शामिल किया गया है, मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता प्रबंधन के बारे में महिलाओं, विशेष रूप से युवा और स्कूल जाने वाली लड़कियों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए एक अभियान शुरू करने के लिए एक साथ आए हैं। फरीदाबाद के अमृता अस्पताल में आयोजित इस कार्यक्रम में एक कॉफी टेबल बुक, एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण और गैप एनालिसिस रिपोर्ट, और यूनेस्को इंडिया द्वारा पांच लर्निंग-टीचिंग मॉड्यूल के राष्ट्रीय लॉन्च को चिह्नित किया गया, जिसमें मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता प्रबंधन, विकलांगता, शिक्षकों, युवा वयस्कों और पोषण से संबंधित चुनौतियों का समाधान शामिल है।

स्पॉटलाइट रेड नामक टीचिंग-लर्निंग मॉड्यूल शिक्षार्थियों, शिक्षकों, माहवारी और समुदाय के नेताओं को मासिक धर्म के प्रबंधन और इसके सामाजिक प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए व्यापक समझ और कौशल विकास के लिए संसाधनों और रण नीतियां प्रदान करता है। उनका उद्देश्य विकलांग लड़कियों सहित विविध समूहों के किशोरों को अवधि और युवावस्था की शिक्षा तक पहुंच के साथ सशक्त बनाना है और उन्हें अपनी शिक्षा जारी रखने में मदद करने के लिए स्कूल, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर हस्तक्षेप के साथ एक सहायक वातावरण बनाना है।

यूनेस्को इंडिया द्वारा ‘कीप गर्ल्स इन स्कूल’ पहल के तहत मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता प्रबंधन पर एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण और गैप विश्लेषण रिपोर्ट भी लॉन्च की गई थी। लॉन्च इवेंट में फरीदाबाद के एक अनाथालय की 35 लड़कियों को मासिक धर्म स्वास्थ्य किट दिए गए। लैंगिक समानता और महिला अधिकारिता के लिए यूनेस्को अध्यक्ष, अमृता विश्व विद्यापीठम, और सिविल 20 के वर्किंग ग्रुप जेंडर इक्वलिटी और इंटीग्रेटेड होलिस्टिक हेल्थ ‘कीप गर्ल्स इन स्कूल’ पहल में भागीदार हैं।

स्पॉटलाइट रेड के लॉन्च के दौरान गणमान्य लोगों में यूनेस्को नई दिल्ली बहुक्षेत्रीय कार्यालय की कार्यक्रम विशेषज्ञ और शिक्षा प्रमुख जॉयस पोन, यूनेस्को नई दिल्ली बहुक्षेत्रीय कार्यालय की जेंडर स्पेशलिस्ट डॉ. हुमा मसूद, एमएलए /विधायक श्रीमती सीमा त्रिखा, अमृता अस्पताल, फरीदाबाद के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की प्रमुख डॉ. प्रतिमा मित्तल और सीनियर कंसलटेंट डॉ. श्वेता मेंदीरत्ता, सी20 के वर्किंग ग्रुप जेंडर इक्वलिटी की कोऑर्डिनेटर और महिला सशक्तिकरण के लिए यूनेस्को की अध्यक्ष डॉ. भवानी राव, सी20 के वर्किंग ग्रुप इंटीग्रेटेड होलिस्टिक हेल्थ की कोर्डिनेटर डॉ. प्रिया नायर, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, फरीदाबाद की प्रेजिडेंट डॉ पुनीता हसीजा, अमृता हॉस्पिटल, फरीदाबाद के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. संजीव सिंह और पी एंड जी की ब्रांड डायरेक्टर कृति देसाई जैसे लोग शामिल हुए।

यूनेस्को नई दिल्ली बहुक्षेत्रीय कार्यालय की जेंडर स्पेशलिस्ट डॉ. हुमा मसूद ने कहा, “मासिक धर्म एक प्राकृतिक जैविक प्रक्रिया है, लेकिन इससे जुड़ी शर्म, कलंक और गलत धारणाएं आज भी प्रचलित हैं। माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 2020 में स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में इस विषय का उल्लेख अप्रत्याशित और अभूतपूर्व था। भारत सरकार ने अपनी विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से मासिक धर्म उत्पादों और शिक्षा में समावेश और समान पहुंच सुनिश्चित की है। यूनेस्को की ‘कीप गर्ल्स इन स्कूल’ पहल इन योजनाओं के माध्यम से उत्पन्न गति को बढ़ाएगी और सभी के लिए मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता प्रबंधन के बारे में शिक्षा तक समान पहुंच को प्रोत्साहित करेगी।”

फोटो कैप्शन : विधायक सीमा त्रिखा अमृता अस्पताल में यूनेस्को की ओर आयोजित मासिक धर्म के प्रबंधन बारे कार्यशाला में उपस्थित महिलाओं और छात्राओं तथा अन्य लोगों को सम्बोधित करते हुए।

– विधायक सीमा त्रिखा व गणमान्य नागरिक पुस्तक का विमोचन करते हुए।

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