राजनीतिक और कानूनी जगत ने जंगली पिक्चर्स की ‘हक़’ की तारीफ़ की, समानता पर राष्ट्रीय चर्चा को आगे बढ़ाने वाला बताया
New Delhi : रिलीज़ से पहले ही जंगली पिक्चर्स की फ़िल्म हक़ को राजनीति, कानून और मीडिया जगत के प्रमुख व्यक्तित्वों से प्रशंसा मिल रही है। कई नेताओं और दिग्गजों ने इसे संविधानिक अधिकारों, लैंगिक न्याय और व्यक्तिगत क़ानूनों पर चल रही राष्ट्रीय बहस को मजबूत करने वाला कदम कहा है।
ऐतिहासिक सुप्रीम कोर्ट फ़ैसले से प्रेरित हक़ एक महिला की उस लड़ाई पर आधारित है, जो त्वरित ट्रिपल तलाक़ के बाद न्याय के लिए संघर्ष करती है। सुपर्ण वर्मा निर्देशित और रेशु नाथ लिखित यह फ़िल्म इस शुक्रवार रिलीज़ हो रही है।
बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने इसे “शक्तिशाली और भावनात्मक” फ़िल्म बताया। उन्होंने कहा कि यह शाह बानो केस से प्रेरित कहानी समाज में महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई को उजागर करती है। साथ ही उन्होंने ट्रिपल तलाक़ कानून को ऐतिहासिक सुधार बताया और कहा कि देश को अब समान नागरिक संहिता (UCC) की ज़रूरत है।
पूर्व केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने फ़िल्म को “समानता और सच्चे सेक्युलरिज़्म पर ज़रूरी संवाद” बताया। स्क्रीनिंग में पूर्व मुख्य न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) डॉ. डी.वाई. चंद्रचूड़, उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना और केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी भी शामिल हुए।
पूर्व CJI डॉ. चंद्रचूड़ ने कहा कि फ़िल्म उनसे व्यक्तिगत रूप से जुड़ती है, क्योंकि शाह बानो फ़ैसला उनके पिता न्यायमूर्ति वाई.वी. चंद्रचूड़ ने लिखा था। उन्होंने इसे “समान अधिकारों और संविधानिक मूल्यों की पुष्टि” बताया और कहा कि महिलाओं को हर स्तर पर बराबरी मिलनी चाहिए—क़ानून से लेकर सामाजिक सोच तक।
बढ़ते समर्थन के साथ हक़ संविधानिक समानता, महिलाओं के अधिकार और धर्म-क़ानून के संतुलन पर राष्ट्रीय चर्चा का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी है।
जंगली पिक्चर्स, बावेजा स्टूडियोज़ और इंसॉम्निया फ़िल्म्स द्वारा निर्मित, यामी गौतम धर और इमरान हाशमी अभिनीत हक़ इस शुक्रवार देशभर में रिलीज़ होगी।