दिव्य ज्योति वेद मंदिर द्वारा शुक्ल यजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी के अंतर्गत “ज्ञानांजन शलाकया” कार्यशाला का आयोजन

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New Delhi News, 08 Feb 2022 : हर मनुष्य जीवन के उद्धार के लिए यह अति आवश्यक है की मनुष्य अपने जीवन में नैतिक एवं आध्यात्मिक मूल्यों को धारण कर अपने साथ साथ अपने समाज के विकास में योगदान दे। कन्फ्यूशियस के अनुसार– “यदि आपका चरित्र अच्छा है तो आपके परिवार में शांति रहेगी, यदि आपके परिवार में शांति रहेगी तो समाज में शांति रहेगी, यदि समाज में शांति रहेगी तो राष्ट्र में शांति रहेगी”।

गुरुदेव सर्व श्री आशुतोष महाराज जी द्वारा संस्थापित दिव्य ज्योति वेद मंदिर एक शोध व अनुसंधान संस्था है जिसका एकमात्र ध्येय प्राचीन भारतीय संस्कृति के पुनरुत्थान द्वारा सामाजिक रूपांतरण करना है। वैदिक संस्कृति के प्रसार एवं वेदमंत्रोच्चारण की मौखिक परम्परा को कायम करने तथा संस्कृत भाषा को व्यवहारिक भाषा बनाने हेतु दिव्य ज्योति वेद मंदिर देश भर में कार्यरत है। वैश्विक महामारी COVID-19 के लॉकडाऊन के समय से ही दिव्य ज्योति वेद मंदिर द्वारा विश्व स्तर पर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से शुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी तथा संस्कृत संभाषण की वैश्विक स्तर पर नियमित कक्षाएं प्रारंभ की गई जिनमें वेद मंत्रों के विशुद्ध व सस्वर उच्चारणपाठ सिखाया गया।इसी सन्दर्भ में DJVM के विद्यार्थियों में नैतिक एवं आध्यात्मिक मूल्यों को रोपित करने के लिए”ज्ञानांजन शलाकया” कार्यशाला का आयोजन किया गया।

30 जनवरी- 5 फ़रवरी 2022 के मध्य दिव्य ज्योति वेद मंदिर द्वारा शुक्ल यजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी के अंतर्गत चल रहे सभी 17 बैचों में “ज्ञानांजन शलाकया” कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला मंे देश भर से 1200 से अधिक विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया तथा दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के 11 आदरणीय प्रचारक शिष्य- साध्वी भागीरथी भारती जी,साध्वी चिन्मया भारती जी,साध्वी नीमा भारती जी,साध्वी हरअर्चना भारती जी,साध्वी योगदिव्या भारती जी,साध्वी सुरजीता भारती जी,साध्वी मृदुला भारती जी,साध्वी वेदवानी भारती जी,साध्वी मेदिनी भारती जी, स्वामी चिदानंद जी, स्वामी अर्जुनानन्द जी तथा स्वामी महादेवानन्द जी ने सभी विद्यार्थियों को नैतिक एवं आध्यात्मिक मूल्यों से संबंधित शिक्षा प्रदान की।अंत में सभी ने सर्व श्री आशुतोष महाराज जी का धन्यवाद दिया जिनकी कृपा से सभी को प्रेरणादायक विचार प्रदान किये गए तथा “ज्ञानांजन शलाकया” कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन संभव हुआ।

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