विश्व मिर्गी दिवस : तनाव के चलते युवाओं में बढ़ रहा मिर्गी रोग

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Faridabad News : भागदौड़ भरी जीवनशैली में मॉर्डन लाइफस्टाइल युवाओं को मिर्गी का रोगी बना रहा है। काम को अगले दिन पर टालना, रात को देर से घर पहुंचना, धुम्रपान और तनाव से बचने के लिए शराब का सेवन करना इस बीमारी की मुख्य वजह है। समय पर इलाज न होने पर यह घातक रूप भी ले सकती है। यह कहना है कि सेक्टर 16ए मेट्रो अस्पताल के वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ रोहित गुप्ता का। न्यूरोलॉजिस्ट डॉ रोहित गुप्ता ने कहा कि आज विश्व के 5 करोड़ से ज्यादा लोग इस बीमारी के शिकार हैं। सिर्फ भारत में एक करोड़ लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं।

बीमारी की सही जानकारी के अभाव में यह बढ़ती जा रही है। उन्होंने बताया कि मिर्गी दो प्रकार की होती है। आंशिक मिर्गी में दिमाग के एक भाग में दौरा पड़ता है और व्यापक मिर्गी में दिमाग के पूरे भाग में दौरा पड़ता है। 2-3 साल तक दवाइयां खाने से मिर्गी की बीमारी ठीक हो जाती है। सिर्फ 20 से 30 पर्सेंट लोगों को ही मिर्गी ठीक करने के लिए पूरी जिंदगी दवाई खानी पड़ती है। डॉक्टर को दिखाने के बाद ही मिर्गी की दवाइयां शुरू करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सिर्फ 10 से 20 फीसदी लोगों को ही ऑपरेशन की जरूरत पड़ती है। ब्रेन ट्यूमर और ब्रेन हैमरेज से भी मिर्गी होने के चांस रहते हैं।

मिर्गी के लक्षण
बात करते हुए दिमाग ब्लैंक हो जाना।
बॉडी के किसी अंग की मांसपेशियों में अचानक फड़कना।
तेज रोशनी से आंखों में परेशानी होना।
अचानक से बेहोश हो जाना।
अचानक से मांसपेशियों पर नियंत्रण खो देना।
मिर्गी के प्रमुख कारण।
सिर पर चोट लगना।
दिमागी बुखार आना।
दिमाग में कीड़े की गांठ बनना।
ब्रेन ट्यूमर और ब्रेन स्ट्रोक।
शराब या नशीली दवाइयों का ज्यादा इस्तेमाल करना।
अगर किसी को दौरा आता है तो रखे कुछ ध्यान।
रोगी को सुरक्षित जगह पर एक करवट लेटा दें।
कपड़े ढीले करें।
खुली हवा में रखें और आसपास भीड़ न लगाएं।
सिर के नीचे मुलायम कपड़ा रखें।
मिर्गी के दौरे के समय रोगी के मुंह में कुछ न डालेे।

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