वाईएमसीए विश्वविद्यालय विजन-2030 के अंतर्गत बनायेगा अगले दस वर्षाें की कार्य योजना

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Faridabad News : वाईएमसीए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, फरीदाबाद द्वारा विजन-2030 के दृष्टिगत विश्वविद्यालय में अगले 10 वर्षाें की कार्य योजना का प्रारूप तैयार किया जायेगा, जिसमें विश्वविद्यालय का विस्तार, नये पाठ्यक्रम शुरू करना, अनुसंधान सुविधाएं विकसित करना तथा शैक्षणिक व अनुसंधान गुणवत्ता में सुधार लाना शामिल हैं।
यह निर्णय कुलपति प्रो. दिनेश कुमार की अध्यक्षता में हुई विश्वविद्यालय योजना बोर्ड की पहली बैठक में लिया गया। बैठक में बोर्ड के अन्य सदस्यों में गुरू जम्भेश्वर विश्वविद्यालय, हिसार के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार, कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के.सी. शर्मा, हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस.पी. बंसल, हरियाणा विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति श्री राज नेहरू, आईपी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. के.के. अग्रवाल तथा मानव रचना शिक्षण संस्थान के अध्यक्ष डॉ. प्रशांत भल्ला भी उपस्थित थे। बैठक में सदस्यों ने विश्वविद्यालय में विगत तीन वर्षाें के दौरान करवाये गये कार्याें के लिए कुलपति प्रो. दिनेश कुमार की सराहना की तथा विश्वविद्यालय की भावी योजनाओं को लेकर सुझाव दिये।
सदस्यों ने नये विकास कार्याें के लिए कार्य योजना तैयार करने तथा नये एवं मौजूदा पाठ्यक्रमों को ध्यान में रखते हुए प्राथमिकताएं तय करने पर बल दिया। इसके अलावा, इनोवेटिव लैब तथा इंक्यूबेशन सेंटर जैसी सुविधाएं सृजित करने, अनुसंधान व विकास गतिविधियों को बढ़ावा देने तथा संबद्ध कालेजों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने की दिशा में कार्य करने का सुझाव दिया।
विश्वविद्यालय की शैक्षणिक तथा ढांचागत विकास गतिविधियों का ब्यौरा प्रस्तुत करते हुए कुलपति ने बताया कि वर्ष 2015 में अंडर ग्रेजुएट तथा पोस्ट ग्रेजुएट स्तर पर विभिन्न पाठ्यक्रमों में सीटों की कुल संख्या 714 थी, जो शैक्षणिक सत्र 2018 में बढ़कर दोगुनी हो गई है। इसी प्रकार, कुल विद्यार्थी क्षमता 2500 से बढ़कर मौजूदा शैक्षणिक सत्र में 3500 विद्यार्थी तक हो गई है, जिसका अगले तीन वर्षाें में लगभग पांच हजार विद्यार्थी क्षमता तक पहुंचना अपेक्षित है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग के साथ-साथ विज्ञान, प्रबंधन, कम्प्युटर्स तथा एम.ए. सहित 11 नये पाठ्यक्रम शुरू किये गये है और कई मौजूदा पाठ्यक्रमों की सीटें भी बढ़ाई गई है। विश्वविद्यालय अलगे शैक्षणिक सत्र से बॉयो टेक्नोलॉजी तथा माइक्रो बायोलॉजी में एमएससी शुरू करने पर भी विचार कर रहा है। विश्वविद्यालय ने एआईसीटीई मॉडल पाठ्यक्रम को लागू करने में भी पहल की है।
कुलपति ने बताया कि अनुसंधान गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा अनुसंधान प्रोत्साहन बोर्ड का गठन किया गया है। विश्वविद्यालय में लगभग 90 लाख रुपये की अनुसंधान परियोजनाओं पर कार्य चल रहा है। नये अनुसंधान उपकरणों की खरीद की गई है तथा केन्द्रीकृत अनुसंधान केन्द्र स्थापित करने की योजना पर कार्य किया जा रहा है। इसके अलावा, विश्वविद्यालय में डेनफोस व डेकिन कंपनी की सहभागिता में दो उत्कृष्ट केन्द्र स्थापित किये गये है तथा एडोर कंपनी के साथ एक और उत्कृष्ट केन्द्र स्थापित करने की योजना है।
कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गुणवत्ता को मान्यता एजेंसियों नैक तथा एनबीए द्वारा मान्यता प्रदान की गई है। विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) में भी उपस्थिति दर्ज करवाई है। विश्वविद्यालय को तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम के तीसरे चरण के अंतर्गत सात करोड़ रुपये तथा राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के अंतर्गत 20 करोड़ रुपये का अनुदान प्राप्त हुआ है।
ढांचागत विकास कार्याें का उल्लेख करते हुए कुलपति ने बताया कि विगत तीन वर्षों के दौरान नये ऑडिटोरियम के निर्माण, स्मॉर्ट क्लास रूप, नई लैब तथा मौजूदा सुविधाओं के नवीनीकरण के कार्याें पर लगभग 10 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई है। इसी प्रकार, नये अकादमिक खण्ड, आवासीय परिसर, छात्रावास, विभिन्न विभागों के नये कार्यालय, मुख्य द्वार सहित लगभग 70 करोड़ रुपये विकास परियोजनाओं पर भी कार्य किया जा रहा है।

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