ओटीटी प्लेटफार्म के लिए सेल्फ-सेंसरशिप मॉडल ही सही : जयदीप अहलावत

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Faridabad News, 15 June 2020 : नेटफ्लिक्स, अमेजॅन और हॉटस्टार जैसे ओवर-द-टॉप (ओटीटी) प्लेटफार्मों पर दिखाई जाने वाली सामग्री में हिंसा, नग्नता और भाषा के कारण इस पर सेंसरशिप लगाने को लेकर बहस जारी है। इस बहस से जुड़ते हुए प्रसिद्धि बॉलीवुड अभिनेता जयदीप अहलावत ने इन प्लेटफार्मों के सेल्फ-रेगुलेशन या सेल्फ-सेंसरशिप माॅडल को उचित बताया है। जयदीप अहलावत वेब सीरीज पाताल लोक में अपने बेहतरीन अभियन के कारण चर्चा में है।

जयदीप अहलावत जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के लिबरल आर्ट्स और मीडिया स्टडीज विभाग द्वारा आयोजित ‘सिनेमा बनाम वेब सीरीज’ अवसर और चुनौतियां’ विषय पर ई-पैनल चर्चा के दौरान मीडिया के विद्यार्थियों से रूबरू थे। चर्चा सत्र में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के मीडिया संकाय के डॉ. पवन सिंह मलिक ने भी हिस्सा लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो दिनेश कुमार ने की। इस अवसर पर विभाग के अध्यक्ष डॉ. अतुल मिश्रा भी उपस्थित थे। पैनल सत्र का संचालन डॉ. तरुण नरूला द्वारा किया गया।

जयदीप अहलावत ने कहा कि वह ऑनलाइन सामग्री के सेंसरशिप के विचार का समर्थन नहीं करते हैं। ओटीटी स्पेस रचनात्मकता के साथ कहानी को अधिक यथार्थवादी तरीके से प्रस्तुत करने की अनुमति देता है और यही इसे विशेष बनाता है। उन्होंने कहा कि ओटीटी प्लेटफार्म एक वैश्विक माध्यम है जो इसे सिनेमा से अधिक सशक्त बनाता है।

सिनेमा में अपने अनुभव को मीडिया के विद्यार्थियों के साथ साझा करते हुए हरियाणा के बहुमुखी अभिनेता जयदीप अहलावत, जिन्होंने गैंग्स ऑफ वासेपुर, कमांडो, विश्वरूपम, राजी जैसी फिल्मों और कई वेब सीरीज में बेहतरीन अभिनय का परिचय दिया है, ने कहा कि भारतीय उपमहाद्वीप वेब श्रृंखला और ओटीटी प्लेटफॉर्म के विकास के शुरूआती चरण में हैं। हम पश्चिम सिनेमा की तुलना में पीछे हैं। पश्चिम का सिनेमा हमारे सिनेमा की तुलना में अधिक अभिव्यंजक है। वे अपने वयस्क को एक वयस्क के रूप में मानते हैं और उन्हें पूरी स्वतंत्रता देते हैं। वे यह निर्णय दर्शकों पर छोड़ते हैं कि उनके लिए क्या सही है और क्या गलत है। सेंसरशिप को रचनात्मकता पर हस्तक्षेप बताते हुए उन्होंने कहा कि अगर हम अपने सिनेमा में समाज का सिर्फ एक पक्ष और अच्छाई ही दिखायेंगे तो जल्द ही नाकार दिये जायेंगे क्योंकि मीडिया के कारण आज कुछ भी छिपा नहीं है। इसलिए, हमें सेल्फ-सेंसरशिप मोडल को ही अपनाना होगा।

वेब सीरीज की सिनेमा से तुलना करते हुए अहलावत ने कहा कि वेब सीरीज लेखक को चरित्र के बारे में कहानी लिखने की पूरी स्वतंत्रता देती है, ताकि कहानी को अधिक रोचक और अधिक प्रसार के साथ बताया जा सके। वेब सीरीज में नए कलाकारों के लिए एक बड़ा अवसर है जो सीमित समय एवं अपर्याप्त अवसर के कारण पारंपरिक सिनेमा में अपनी प्रतिभा नहीं दिखा पाते। उन्होंने मीडिया के विद्यार्थियों को इन अवसरों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित किया।

इस अवसर पर बोलते हुए कुलपति प्रो दिनेश कुमार ने मीडिया एवं संचार के क्षेत्र में उभरते नए रुझानों एवं अवसरों को ध्यान में रखते हुए मीडिया स्टडीज के पाठ्यक्रमों में संशोधन करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि मीडिया के विद्यार्थियों का नवीनतम तकनीकों और रूझानों से परिचित होना जरूरी है। उन्होंने बताया कि मीडिया के विद्यार्थियों को बेहतर प्रशिक्षण सुविधाएं प्रदान करने के लिए विश्वविद्यालय की एक अत्याधुनिक स्टूडियो स्थापित करने की योजना है।
नए उभरते ओटीटी प्लेटफार्मों को लेकर अध्ययन से जुड़े पहलुओं पर चर्चा करते हुए डॉ. पवन सिंह मलिक ने एक शोध अध्ययन का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में आज लगभग 40 करोड़ स्मार्टफोन उपयोगकर्ता ओटीटी प्लेटफार्मों को अपने मोबाइल पर देख रहे हैं जो अगले दो या तीन में दोगुने से अधिक होने जा रहे हैं। इस प्रकार, दुनिया भर में व्यापक पहुंच के कारण ओटीटी प्लेटफार्म आने वाले दिनों में मीडिया के विद्यार्थियों के लिए अधिक अवसर पैदा करेगा। डॉ. मलिक ने कहा कि मीडिया और मनोरंजन में प्रत्येक नया रूझान जहां लोग रुचि लेते हैं, मीडिया अध्ययन का हिस्सा होना चाहिए।

सत्र में विभाग के संकाय सदस्यों, विद्यार्थियों के साथ-साथ विभिन्न शिक्षण संस्थानों के प्रतिभागी भी शामिल हुए तथा पैनल के सदस्यों के साथ परिचर्चा में हिस्सा लिया। छात्रों ने भाग लिया।

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