संस्कृत भाषा भारत की आत्मा तथा भारतीय संस्कृति की संवाहिका है : दिव्य ज्योति वेद मंदिर

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New Delhi, 06 Aug 2020 : संस्कृत मात्र एक भाषा नहीं है,अपितु भारत की आत्मा तथा भारतीय संस्कृति की संवाहिका है। संस्कृत भाषा वैदिकी संस्कृति के प्राण है परंतु भौतिकवाद व पाश्चात्यता के कुप्रभाव से प्राणों की यहगति अवरुद्ध हुई जान पड़ती है। भारतीय सभ्यता की इस प्राण वायु को पुनः गति देने हेतु सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के पावन मार्ग दर्शन में दिव्य ज्योति वेद मंदिर (DJVM) की संस्थापना की गई। वैदिक कालीन गुरुकुल शिक्षण पद्यति का अनुसरण करते हुए वैदिक संस्कृत के प्रसार एवं वेद मंत्रोच्चारण की मौखिक परम्परा को अवलंबन हेतु तथा संस्कृत भाषा को व्यवहारिक भाषा बनाने हेतु दिव्य ज्योति वेद मंदिर नियमित रूप से देश भर में कार्यरत है। क्रमानुसार, संस्कृत भाषा के ज्ञानवर्धन हेतु विभिन्न सम्भाषण शिविर, वेद मंत्रोच्चारण कक्षाएं, शिक्षण–प्रशिक्षण सत्र इत्यादि नियमित रूप से चलाई जा रहे हैं। कोरोना महामारी के चलते कुछ समय से ये कक्षाएँ आधुनिक तकनीकों के ज़रिए ऑनलाइन ही आयोजित की जा रही हैं।

इसी क्रम में वेद मंदिर द्वारा 31 जुलाई 2020 से लेकर 6 अगस्त 2020 तक सप्त दिवसीय संस्कृत संभाषण सप्ताह का ऑनलाइन आयोजन किया गया जिसमें वेद मंदिर के वेद पाठी शिक्षार्थी सहित पूरे देश में क्रियान्वित मंथन-सम्पूर्ण विकास केंद्र (मंथन-SVK) के 20 केंद्रों के विद्यार्थियों एवं शिक्षकों ने भाग लिया।
मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. विजय सिंह (संस्कृत भारती), श्री विनायक (संस्कृत भारती), आचार्य सूरज उनियाल (संस्कृत अध्यापक केंद्रीय विद्यालय, बेल गावी कर्नाटक), आचार्य उपेंद्रप्र.नौटियाल (केंद्रीय विद्यालय, गंगटोक सिक्किम), प्रभाकर मणि त्रिपाठी (संस्कृत भारती), अर्जुन पंडित एवं गणेश पंडित तथा दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के प्रचारक शिष्य स्वामी यादवेंद्र नंद एवं शिष्या साध्वी शिवानी भारती, साध्वी मृदुला भारती, साध्वी आशा भारती, साध्वी रजनी भारती, साध्वी योग दिव्या भारती, साध्वी दीपा भारती, साध्वी श्यामा भारती, साध्वी प्रतिभा भारती ने इस आयोजन समारोह की शोभा बढ़ाई। संस्कृत सप्ताह दिवसों का सञ्चालन अंशु सोनी (मंथन कार्यकर्ता) ने किया।

सात दिन के इस समारो हमें जहाँ छात्र-छात्राओं ने विभिन्न क्रिया कलापों एवं गतिविधियों के माध्यम से संस्कृत में संभाषण किया तो वहीं DJVM के वेद पाठियों ने वेदमंत्रों के विलक्षण प्रभाव को संप्रेषित करने हेतु गुरूस्त्रोतम् और स्वस्ति वाचनम्कास स्वर एवं विशुद्ध उच्चारण किया जिससे संपूर्ण वातावरण सकारत्मकता से तरंगित हो उठा। मंथन-SVK के छात्रों ने विविध क्रिया कलापों जैसे शिवतांडव स्त्रोतम्स्तुति, संस्कृत गीत (मृदपिचन्दनम्), मातृ भूमिगीत, लघुकथा, महापुराशस्य अभिनय, ध्यान मन्त्रगायन, गुरू अष्टकम गायन, सरस्वती मन्त्र उच्चारण, कोरोना पर आधारित संस्कृत में कविता, सुभाषिता निश्लो कव्याख्या सहित आदि पर प्रस्तुति कर संस्कृत भाषा को पुनःजीवंत कर दिया। बच्चों द्वारा संस्कृत में किये गए मधुर गायन एवं प्रस्तुतियों ने सभी उपस्थित अतिथिगणों को अभिभूत कर दिया और सभी ने अनुभव किया जैसे वैदिक युग पुनः धरती पर अवतरित हो गया हो।

अतिथियों के प्रेरणदायी विचारों ने इस समारोह को गति प्रदान कीI उन्होंने अपने मनोभावों को व्यक्त करते हुए कहाकि संस्कृत भाषा भारत की महान सभ्यता की द्योतक हैI संपूर्ण भारत में संस्कृत के अध्ययन से ही भारतीय भाषायों में अधिकाधिक एक रूपता आयेगी जिससे भारतीय एकता बलवती होगीI इस भाषा के महत्व को पश्चिमी लोगों ने भी स्वीकार किया है। किन्तु वर्तमान समय में संस्कृत भाषा का अलोप होता जा रहा हैI ऐसे में विस्मृत होती संस्कृत ज्ञान की समृद्ध परंपरा को पुनर्जीवित करना एक मानवीय व सामाजिक आवश्यकता है। एक भारतीय होने के नाते हमारा यह कर्त्तव्य बनता है कि हम अपनी भारतीय गरिमा की रक्षा करेंI अपनी संस्कृति से जुडें और सुसंस्कृत होंवे। इस प्रयास में वेद मंदिर की भूमिका अत्यंत प्रशंसनीय है।

DJVM के प्रेरणा स्त्रोत सर्व श्री आशुतोष महाराज के आशीर्वाद एवं प्रेरणा से देश भर में ऐसे कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं, जिनका लाभ जनसाधारण को प्राप्त हो रहा है। सर्व श्री आशुतोष महाराज को श्रद्धानमन अर्पित करते हुए और शांति मन्त्र के त्रुटिरहित उच्चारण के साथ व सर्वमंगल की कामना करते हुए समारोह को विराम दिया जाता है।

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