जे सी बोस विश्वविद्यालय में रेडियो के स्वर्णिम इतिहास पर ‘रेडियो अब तक’ कार्यक्रम का आयोजित

0
543
Spread the love
Spread the love

फरीदाबाद, 11 फरवरी – चैपालों और खेलों की लाइव कमेंट्री से लेकर कार में सफर करते हुए रेडियो ने अपने सफर में अहसासों को जिया है। रेडियो विविध भारती के जयमाला से एफएम चैनल के यादों का इडियट बॉक्स तक संवेदनाओं से भरा है। यह विचार रेडियो महारानी की वरिष्ठ प्रबंधक सपना सूरी ने जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद ने दो दिवसीय रेडियो उत्सव ’रेडियो फीएस्टा’ के समापन सत्र में बतौर विशिष्ट अतिथि व्यक्त किये।

विश्वविद्यालय द्वारा अंतरराष्ट्रीय डिजिटल रेडियो – रेडियो महारानी के साथ मिलकर ‘विश्व रेडियो दिवस’ के उपलक्ष्य में 10 एवं 11 फरवरी को दो दिवसीय रेडियो उत्सव ’रेडियो फीएस्टा’ का आयोजन किया गया। मीडिया विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए सपना सूरी ने कहा कि सामाजिक सशक्तिकरण, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शिक्षा के प्रचार प्रसार में रेडियो की अहम भूमिका रही है। विभिन्न सामाजिक क्षेत्रों में रेडियो के महत्व को समझने के लिए ‘विश्व रेडियो दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से हुई। कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. पवन मलिक, एसोसिएट प्रोफेसर, संचार एवं मीडिया तकनीकी विभाग ने अतिथियों का स्वागत किया और कार्यक्रम का संक्षिप्त परिचय दिया। डॉ. पवन मलिक ने कहा कि लकड़ी के डिब्बे वाले ट्रांजिस्टर से मोबाइल के चिप में सिमटने वाले रेडियो ने अपने लंबे सफर में कई दौर देखे हैं। परिवर्तन के इस दौर में भी रेडियो दिलों की धड़कन बना रहा। लोगों में रेडियो को लेकर दीवानगी है। जहां एक तरफ सरकारी रेडियो स्टेशन लोगों तक ज्ञान का भंडार पहुँचा रहे हैं, वही प्राइवेट रेडियो स्टेशन मनोरंजन को एक अलग स्तर पर लेकर जा रहे है। रेडियो के विकास और विस्तार में भारतीय वैज्ञानिक श्री जगदीश चंद्र बोस का योगदान प्रमुख रहा है जिन्होंने रेडियो और सूक्ष्म तरंगों की प्रकाशिकी पर कार्य किया।

इस कार्यक्रम में डीन आॅफ इंस्टीट्यूशन्स प्रो. तिलक राज मुख्यातिथि रहे। प्रो तिलकराज ने कहा कि रेडियो की शुरुआत जनसेवा प्रसारण से हुई और यह एफएम से होते हुए डिजिटल रेडियो और पॉड्कास्ट तक पहुँचा है। रेडियो सूचनाओं के आदान प्रदान, नेटवर्किंग और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए प्रोत्साहित करता है।
कार्यक्रम ने रेडियो महारानी के आरजे आनंद ने जहाँ अपनी रेडियो जाॅकिंग कला से समाँ बांधा, वही आरजे गौरव ने रेडियो प्रोग्रैमिंग से सम्बंधित रोचक जानकारियाँ मीडिया विद्यार्थियों के साथ सांझी की। आरजे मोनिक, आरजे तुषार, आरजे गीत और आरजे सुखदीप ने भी मीडिया के छात्रों से संवाद किया।

कार्यक्रम के अंत में लिबरल आर्ट्स एंड मीडिया स्टडीज के डीन प्रो. अतुल मिश्रा ने अतिथियों का साधुवाद किया तथा इस अवसर पर आयोजित प्रतियोगिता के विजेताओं को बधाई दी। उन्होंने कहा कि समय एवं तकनीक के साथ संचार माध्यमों में कई बदलाव आये और नव माध्यमों का भी उदय हुआ लेकिन रेडियो की प्रासंगिकता वैसी ही बनी रही। आज भी यह देश-विदेश के हर कोने में, हर आयु वर्ग तक के व्यक्तियों में रुचि से सुना जाता है। मीडिया विद्यार्थियों के लिए इस क्षेत्र में विशेष अवसर है और विद्यार्थियों को इसके लिए प्रयास करने चाहिए। कार्यक्रम में रेडियो महारानी की ओर से अमित भाटिया और आलोक अरोड़ा उपस्थित रहे।

इस अवसर पर रेडियो उत्सव ’रेडियो फीएस्टा’ में आयोजित प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। आरजे हंट में अगम सिंह ने प्रथम स्थान, मंथन चंद्रा में द्वितीय स्थान और सौरभ शुक्ला ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। पॉड्कास्ट में विशाल पाठक ने प्रथम, वसुंधरा कम्बोज ने द्वितीय और सौरभ शुक्ला एवं तनु कौशिक ने संयुक्त रूप से तृतीय स्थान प्राप्त किया। रेडियो जिंगल में महक माहेश्वरी ने प्रथम स्थान, योगेश भारद्वाज ने द्वितीय स्थान और साहिल कौशिक ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here