वैदिक गणित पर दस दिवसीय मूल्य वर्धित पाठ्यक्रम का आयोजन

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फरीदाबाद, 19 अक्टूबर – जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के गणित विभाग एवं कम्प्यूटर इंजीनियरिंग विभाग द्वारा शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में वैदिक गणित पर दस दिवसीय मूल्य वर्धित पाठ्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। यह पाठ्यक्रम अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद द्वारा प्रायोजित है।

पाठ्यक्रम के उद्घाटन सत्र में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव श्री अतुल कोठारी मुख्य अतिथि रहे तथा कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने सत्र की अध्यक्षता की। सत्र में विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय के डीन प्रो. आशुतोष दीक्षित, कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष प्रो. कोमल कुमार भाटिया, गणित विभाग की अध्यक्षा प्रो. नीतू गुप्ता तथा शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सह-संयोजक श्री राकेश भाटिया भी मुख्य रूप से उपस्थित थे। सत्र में अमरावती विश्वविद्यालय, महाराष्ट्र के अमोलचंद कॉलेज से सेवानिवृत्त व्याख्याता डॉ. श्रीराम चौथावळे मुख्य वक्ता रहे।
सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि श्री अतुल कोठारी ने कहा कि वैदिक गणित तर्क और गणितीय कार्यप्रणाली पर आधारित एक प्राचीन भारतीय तकनीक है जो अंकगणितीय की जटिल गणना को सरल एवं रोचक बनाती है। उन्होंने कहा कि वैदिक गणित केवल गणित नहीं, अपितु पुरातन भारत की बौद्धिक समृृद्धि का अनूपम उदाहरण है। उन्होंने वैदिक गणित को विश्वविद्यालय के सभी छात्रों के लिए अनिवार्य पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने का सुझाव दिया।

अपने संबोधन में कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने दैनिक जीवन में वैदिक गणित की उपयोगिता पर प्रकाश डाला तथा विद्यार्थियों एवं संकाय सदस्यों के ज्ञानवर्धन के लिए पाठ्यक्रम आयोजित करने को सराहनीय पहल बताया।

इसे पहले गणित विभाग की अध्यक्षा प्रो. नीतू गुप्ता ने मूल्य वर्धित पाठ्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की तथा बताया कि यह पाठ्यक्रम प्रतिभागियों को अंकगणितीय गणना, संख्या सिद्धांत और जटिल गुणा आदि के बारे में जानने में मदद करेगा। सत्र को प्रो. आशुतोष दीक्षित तथा श्री राकेश भाटिया ने भी संबोधित किया।
सत्र केे मुख्य वक्ता डॉ. श्रीराम चौथावळे ने प्रतिभागियों को भारतीय गणित और वैदिक गणित के इतिहास से परिचित करवाया। देश में वैदिक गणित बढ़ावा देने के लिए डॉ. चौथावळे भारतीय गणित और वैदिक गणित के इतिहास से संबंधित कई आमंत्रित व्याख्यान दे चुके हैं। सत्र के अंत में प्रो. कोमल कुमार भाटिया ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।

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