‘भौतिक विज्ञान के विकास में मेघनाद साहा की भूमिका’ विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन

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Faridabad News, 26 July 2019 : जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद द्वारा विज्ञान भारती, हरियाणा के संयुक्त तत्वावधान तथा विज्ञान प्रसार, नोएडा के सहयोग से ‘भौतिक विज्ञान के विकास में मेघनाद साहा की भूमिका’ विषय पर आज एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।

उद्घाटन सत्र में इंटर-युनिवर्सिटी एक्सेलरेटर सेंटर, दिल्ली के निदेशक प्रो. अविनाश चन्द्र पांडेय मुख्य अतिथि रहे तथा साहा नाभिकीय भौतिकी संस्थान, कोलकाता से प्रो. संगम बैनर्जी मुख्य वक्ता रहे। सत्र की अध्यक्षता कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने की। विज्ञान भारती, हरियाणा की अध्यक्ष प्रो. रंजना अग्रवाल, आईआईटी दिल्ली से डॉ हितेन्द्र कुमार मलिक, कुलसचिव प्रो. राज कुमार तथा भौतिकी विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. आशुतोष दीक्षित भी उपस्थित थे। सम्मेलन का समन्वयन डॉ. सोनिया बंसल ने किया। सम्मेलन के दौरान भौतिकी विज्ञान से संबंधित शोध पत्र व पोस्टर भी रखे गये। सम्मेलन में 100 से ज्यादा प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।

सत्र को संबोधित करते हुए प्रो. पांडेय ने प्रसिद्ध भारतीय खगोलविज्ञानी मेघनाथ साहा के जीवन प्रसंगों पर प्रकाश डाला और बताया कि किस तरह सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने अपनी लगन एवं क्षमताओं से भारतीय वैज्ञानिक अनुसंधान को दिशा प्रदान की और उनकी योगदान अतुलनीय है।
वे हमेशा देश के विकास के लिए सोचा करते थे। दामोदर नदी घाटी परियोजना उनकी दूरदर्शी सोच का परिणाम है, जिसका लाभ बाढ़ राहत और सिंचाई के रूप में लोगों को मिल रहा है।

प्रो. पांडेन ने भारतीय शक पंचांग के संशोधन में प्रो. साहा के योगदान पर बोलते हुए कहा कि भारतीय वैदिक पंचांग सूर्य सिद्धांत पर आधारित था और वैज्ञानिकों के समय चक्र की गणना के मुताबिक यह 0.1656 दिन अधिक था और इस अंतर में सुधार की पहल प्रो. साहा ने की, जिससे राष्ट्रीय शक पंचांग का संशोधन हुआ। प्रो. पांडेय ने बताया कि किस तरह प्रो. साहा ने विज्ञान के साथ-साथ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़कर भी कार्य किया। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रो. मेघनाद साहा के जीवन से प्रेरणा लेने तथा देश की समस्याओं के समाधान के रूप में वैज्ञानिक अनुसंधान करने की आवश्यकता पर बल दिया।

सत्र के मुख्य वक्ता प्रो. संगम बैनर्जी ने मेघनाथ साहा के जीवन, शिक्षा एवं कार्यों से जुड़े पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए उनकी तारों के ताप और वर्णक्रम के निकट संबंध के भौतिक कारणों पर आधारित शोध, जिसे साहा समीकरण के रूप में जाना जाता है, के बारे में विस्तार से बताया।
सीएसआईआर के राष्ट्रीय विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं विकास अध्ययन संस्थान, नई दिल्ली की निदेशक तथा विज्ञान प्रसार, हरियाणा की अध्यक्ष प्रो. रंजना अग्रवाल ने विज्ञान भारती द्वारा देश में विज्ञान को लोकप्रिय बनाने की दिशा में किये जा रहे कार्यों की जानकारी दी और बताया कि लगभग एक लाख स्वयंसेवी विभा से जुड़कर कार्य कर रहे है। प्रो. रंजना ने कहा कि पराधीनता के दौर में भारतीय वैज्ञानिकों ने देश का नाम विश्व पटल पर अंकित किया लेकिन आज जब अनुसंधान को लेकर सभी तरह के संसाधन मौजूद है तो विज्ञान में हम पीछे क्यों रहे। उन्होंने विभा द्वारा महिला सशक्तिकरण की दिशा में चलाये जा रहे शक्ति अभियान की भी जानकारी दी।

सत्र को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने कहा कि देश के प्रसिद्ध वैज्ञानिकों ने सीमित संसाधनों के बावजूद वैज्ञानिक अनुसंधान द्वारा नोबल पुरस्कार प्राप्त किया, जिसका मूल कारण उनकी विज्ञान को लेकर लगन थी। उन्होंने कहा कि आज के युग में युवा प्रौद्योगिकी का गुलाम बनता जा रहा है। जिस तरह से साधारण सी गणना के लिए कैलकुलेटर उपयोग और रास्ते ढूंढने के लिए जीपीएस की प्रयोग हो रहा है, हमने अपने दिमाग पर जोर डालना बंद कर दिया है। उन्होंने विद्यार्थियों को विज्ञान में रूचि लेने तथा नवीनतम खोज के लिए प्रेरित किया।

सत्र को आईआईटी दिल्ली में भौतिकी विज्ञान के प्रोफेसर डॉ हितेन्द्र कुमार मलिक ने भी संबोधित किया तथा इलेक्ट्रॉन से संचालित प्रौद्योगिकी तथा नाभिकीय सिद्धांतों पर अपने विचार रखे। सत्र के समापन कुलपति प्रो. दिनेश कुमार एवं विश्वविद्यालय के अन्य पदाधिकारियों ने मुख्य अतिथि एवं वक्ताओं को स्मृति चिह्न भेंट किया।

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