जे सी बोस विश्वविद्यालय ने हर्षोल्लास से मनाया स्थापना दिवस

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फरीदाबाद, 16 सितम्बर : जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद द्वारा आज अपना स्थापना दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय ने उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए शिक्षकों, कर्मचारियों और विद्यार्थियों को सम्मानित किया।

जे.सी. विश्वविद्यालय जोकि वर्ष 1969 में एक इंडो-जर्मन डिप्लोमा संस्थान के रूप में अस्तित्व में आया था, को पहले वाईएमसीए इंस्टीट्यूट संस्थान के रूप में जाना जाता था। इस इंजीनियरिंग संस्थान को वर्ष 2009 में राज्य सरकार द्वारा विश्वविद्यालय के स्तर पर अपग्रेड कर दिया गया था। इस तरह विश्वविद्यालय ने एक संस्थान के रूप में अपने 52 वर्ष और एक विश्वविद्यालय 12 वर्ष पूरे लिये है।

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रो. डी.पी. सिंह की वर्चुअल उपस्थिति दी, जबकि हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय महेंद्रगढ़ के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार मुख्य अतिथि रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने की। कार्यक्रम के दौरान विभिन्न क्लबों के विद्यार्थियों ने रंगारंग प्रस्तुति दी। अपने संदेश विश्वविद्यालय को शुभकामनाएं देते हुए यूजीसी अध्यक्ष प्रो. डी.पी. सिंह ने कहा कि इस संस्थान का फरीदाबाद के औद्योगित विकास में अहम योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को वैज्ञानिक ज्ञान को आगे बढ़ाने के साथ-साथ सामाजिक परिवेश में अपनी भूमिका सुनिश्चित करनी होगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के अंतर्गत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा जारी एकेडमिक बैंक आॅफ क्रेडिट सिस्टम का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अब प्रत्येक विद्यार्थी अपना एक अकादमिक अकाउंट खोल सकता है। उसे अपने पसंद के विषय पढ़ने और सीखने की छूट है। इससे शिक्षा व्यवस्था में अधिक कुशलता और लचीलापन आयेगा।

पंडित मदन मोहन मालवीय के कथन का उल्लेख करते हुए यूजीसी अध्यक्ष ने कहा कि शिक्षा संस्थानों का कर्तव्य है कि गुणवत्तापरक शिक्षा प्रक्रिया का पालन करते हुए विद्यार्थियों का बौद्धिक विकास ही नहीं अपितु उनके व्यक्तित्व में मानवीय मूल्यों का प्रतिस्थापन करना चाहिए ताकि शिक्षण संस्थानों को वैश्विक स्तर पर अकादमिक उत्कृष्टता साथ-साथ समर्थ नागरिक तैयार करने के लिए भी पहचान जाये। उन्होंने विश्वविद्यालय से नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में भी अग्रणी भूमिका निभाने का आह्वान किया।

विश्वविद्यालय में अकादमिक एवं ढांचागत विकास में कुलपति प्रो. दिनेश कुमार के योगदान की सराहना करते हुए प्रो. टंकेश्वर कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय ने काफी कम समय में गुणवत्ता मानदंडों पर खुद को साबित किया है तथा विश्वविद्यालय में प्रत्येक स्तर पर विद्यार्थियों के लिए सुविधा एवं व्यवस्था बनाई गई है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

इससे पहले कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो दिनेश कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय का स्थापना दिवस उपलब्धियों को मनाने और भावी योजनाओं पर मंथन करने का दिन है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान कई उपलब्धियां हासिल की हैं जिनमें विभिन्न राष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा मान्यता और मान्यता, शैक्षणिक विकास और ढांचागत विकास शामिल हैं। विश्वविद्यालय के शिक्षकों और छात्रों ने भी कई क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है और विश्वविद्यालय को गौरवान्वित किया है। उन्होंने कहा कि किसी शिक्षण संस्थान को ईंट या दीवार नहीं बल्कि छात्रों और शिक्षकों की उपलब्धियां ही खास बनाती हैं। विभिन्न गतिविधियों में विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान महामारी की स्थिति को देखते हुए यह सही समय है जब विश्वविद्यालय को पूर्णतः खोलने पर विचार किया जा सकता है। कार्यक्रम के समापन पर कुलसचिव डॉ. एस.के. गर्ग ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।

इस मौके पर शैक्षणिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए जेसी बोस विश्वविद्यालय और हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के बीच एक समझौता पर भी हस्ताक्षर किया गया।

कार्यक्रम के दौरान आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह में संचार एवं मीडिया प्रौद्योगिकी विभाग को सर्वश्रेष्ठ उभरते विभाग के रूप में सम्मानित किया गया। स्टोर एवं क्रय विभाग में कार्यरत हेल्पर अटेंडेंट सतीश कुमार को विश्वविद्यालय में 25 साल की सेवा के लिए पुरस्कृत किया गया। डॉ. नीलम दुहन को एआईसीटीई विश्वेश्वरैया सर्वश्रेष्ठ शिक्षक पुरस्कार 2021 और चार संकाय सदस्यों अर्थात् भौतिकी विभाग से डॉ प्रमोद कुमार और डॉ योगिता, रसायन विज्ञान विभाग से डॉ अनुराग प्रकाश तथा पर्यावरण विज्ञान विभाग से डॉ नवीन कटारिया को यूजीसी स्टार्टअप रिसर्च ग्रांट में चयन के लिए सम्मानित किया गया। इसी प्रकार, 21 शिक्षकों को प्रतिष्ठित शोध पत्रिकाओं में उनके शोध प्रकाशन के लिए और 25 विद्यार्थियों को अकादमिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और खेल गतिविधियों में उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया।

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