सम्राट आदिनाथ तपस्या कर भगवान आदिनाथ बने, यह नाट्य रूपांतर के माध्यम से दर्शाया

0
1553
Spread the love
Spread the love

Faridabad News : जनकल्याण के लिए कैसे आदिनाथ राजपाट छोड कर सन्यासी हो गये। सम्राट आदिनाथ तपस्या कर भगवान आदिनाथ बने। यह जनकल्याणक में नाट्य रूपांतर के माध्यम से आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर डबुआ कालोनी में बहुत ही सिसौदित तरीके से दर्शाया गया। यह कार्यक्रम चार धंटे चला। इसमें आदिनाथ के पुत्रों की भूमिका भरत चक्रवती, विनीत जैन और बाहुबली अक्षत जैन ने निभाई। इन्ही भरत चक्रवती के नाम पर बाद में हमारे देश का नाम भारत पड़ा। आचार्य मुनिश्री मंगलानंद जी के आशीर्वाद से सात दिवसीय पंचकल्याणक महौतसव के पांचवे दिन तप कल्याणक में युवराज आदिनाथ का पाणिग्रह, राज अभिषेक और समर्पण, ब्रहामी सुंदरी की शिक्षा, छठक्रम, निलान्जना-नृत्य, भरत बाहुबली को राज्य सौंपकर सन्यास ग्रहण करना, माता को आतिश, वनगमन और दीक्षा संस्कार को बहुत ही सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया गया।

इस कार्यक्रम में नवीन जैन तथा नंद जैन आदिनाथ भगवान के माता पिता के रूप में प्रस्तुत हुए। जबकि सौधर्म इन्द्र अरूण जैन व रेणु जैन, धनपति कुबेर राहुल जैन व श्रीमती गुंजन, महायज्ञ नायक अन्नत जैन व कुसुम जैन, राजस्व प्रयांग महेश जैन व राजरानी, राजा सोम अशोक कुमार एवं मिथलेश, यज्ञ नायक अजय जैन व श्रीमती अंजना, महामण्डलेश्वर राजा मुकेश जैन व अंजना, इशांन इन्द्र विनोद जैन व राजनी, तानत इन्द्र पवन जैन व रविकांता, माहेन्द्र मनोज जैन गंगनवाल व मनीषा जैन के अलावा अष्टकुमारियों में शैफाली, अनीषा, पुनम, दर्पिता, ज्योति, कोमल, रूचिका, व गरिमा ने भूमिका निभाई। निलांजना के रूप में रिया और आरती ने बहुत ही सुंदर अभिनय किया। ब्रहाम्री के रूप में मान्या व सुंदरी के रूप में रिधि का अभिनय बहुत ही मनमोहक रहा।

स्वर्ण सोभाग्यवती के रूप में चमन जैन, ज्योति, डिम्पल व शैफाली की सभी ने सराहना की। आई.एस.जैन व मधु जैन तथा आदित्य जैन व मीनाक्षी मण्डलेश्वर राजा के रूप में प्रस्तुत हुए। भगवान की बुआ के रूप में नम्रता जैन तथा तक्ष के रूप में सुरेश जैन व रंजना जैन काफी आकर्षक रही। मंदिर परिसर में हुए कवि सम्मेलन में कवि सौरभ जैन सुमन ने मंच का संचालन किया जबकि डा. अनामिका जैन अम्बर, पंकज जैन फनकार, सुरिभ जैन चितौडगढ, कमलेश जैन बंसत तिजारा, अजय अङ्क्षहसा वाकल मध्यप्रदेश, एवं सत्येंद्र जैन सरस दिल्ली ने हजारो श्रोताओ का अपनी रचनाओ से मन मोह लिया। इस कवि सम्मेलन में सत्य, अहिंसा, परिग्रह व जैन धर्म के सिद्धांतों पर बल रहा साथ ही हास्यिका भी बेहद रोचक रहा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here