संसाधनों की कमी व चुनौतियों के बावजूद एसएमई सैक्टर कार्बन जीरो कमिटमैंट के प्रति जागरूक : राजीव चावला

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फरीदाबाद। भारतीय एसएमई सैक्टर वर्तमान में विभिन्न चुनौतियों के बावजूद व संसाधनों की कमी के बाद भी अपनी कार्बन जीरो कमिटमैंट के प्रति न केवल जागरूक हैं बल्कि अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में अपना प्रभावी योगदान दे रहे हैं।
प्रमुख औद्योगिक संगठन आईएमएसएमई आफ इंडिया के चेयरमैन श्री राजीव चावला ने यहां सैंटर फॉर रिस्पोंसिबल बिजनेस 9वें अडिशन में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि एमएसएमई सैक्टर के समक्ष पिछले कुछ समय में कई चुनौतियां सामने आई हैं। परंतु इस सैक्टर ने न केवल इन चुनौतियों का सामना किया बल्कि अपनी नेट ज़ीरो कार्बन कमिटमैंट को बनाए रखने के लिये संकल्पता को दोहराया।
श्री चावला ने कहा कि डीजल टैक्सियों और आटो रिक्शा को सीएनजी में परिवर्तित करना, पटाखों पर रोक, डीजल जनरेटर सैटों पर रोक,  सिंगल यूज़ प्लॉस्टिक उत्पादों पर पूर्ण पाबंदी, प्लास्टिक कैरीबैग के लिये नई नीतियों सहित कई ऐसे निर्णय हैं जिनका वित्तीय कुप्रभाव एमएसएमई सैक्टर पर पड़ा। एमएसएमई सैक्टर ने न केवल इन चुनौतियों को स्वीकार किया बल्कि सस्टेनबिल्टी की ओर अपने कदमों को बनाए रखा।
श्री चावला ने रोल आफ एसएमई फॉर इंडियाज कमिटमैंट टू नेट जीरो विषय पर आयोजित वार्ता में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जो एसएमई सैक्टर्स ओईएम उत्पादन से जुड़े हैं और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर निर्यात कर रहे हैं वे पूर्ण रूप से EHS (इनवायरन्मेंट हैल्थ व सेफ्टी मानकों का पालन कर रहे हैं । ग्रीन ईनीशिएटिव पर ध्यान के साथ साथ स्थायित्व व प्रगतिशील कदम बने रहे। श्री चावला ने कहा कि मैन्यूफैक्चरिंग व प्रोसैस सिस्टम को वातावरण अनुकूल बनाने के लिए एमएसएमई सैक्टर्स ने बेहतरीन कदम उठाए और सरकार वि विभिन्न संस्थानों ने भी इसमें सहयोग दिया । आपने इस हेतु एमएसएमई मंत्रालय भारत सरकार, सिडबी व अन्य विभागों की सराहना करते हुए कहा कि जैड सर्टिफिकेशन, एमएसएमई सैक्टर्स के लिये नई तकनीक, एनर्जी एफीशिएंसी और ग्रीन टैक्रोलॉजी के लिये जो प्रोत्साहन दिये गये उससे एमएसएमई सैक्टर्स का मनोबल बढ़ा।
श्री चावला ने कहा कि नेट जीरो एमीशन के प्रति जो कमिटमैंट एसएमई सैक्टर्स में देखी गई वह सराहनीय है।
श्री चावला ने एसएमई सैक्टर के लिये फंडिंग, टैक्नोलॉजी, लोकल बैंकिंग सैक्टर इत्यादि के लिये प्रभावी पग उठाने की आवश्यकता पर बल देते कहा कि एसएमई सैक्टर्स को डिजीटल मैनेजमेंट टूल पर ध्यान देना होगा। राईट स्किल्स के लिये योजना तैयार करनी होगी और अपनी पूरी प्रक्रिया को बेहतर से बेहतरीन बनना होगा।
इस अवसर पर एसपन नेटवर्क आफ डेवलपमैंट आंत्रेप्यूनर्स की इंडिया चैप्टर हैड सुश्री सुचित्रा कामथ ने कहा कि एसएमई सैक्टर को नये परिवेश के अनुरूप न केवल तैयार रहना होगा बल्कि नेट जीरो कमिटमैंट के प्रति अपनी पहचान को और साशक्त बनाना होगा।
उन्होंने कहा कि एसएमई सैक्टर द्वारा देश में सोलर व वायु आधारित ऊर्जा को अपनाने की आवश्यकता है ।
एसएमई क्लाईमैंट हब द्वारा किये गये सर्वे के अनुसार 63 प्रतिशत एमएसमई ने माना कि वे आवश्यक स्किल को नहीं अपना पाते और केंद्र व राज्य सरकारों की विभिन्न नीतियों के प्रति जागरूकता के अभाव के कारण वह सुविधाएं नहीं ले पाते जिसकी आवश्यकता है।
कार्यक्रम में अन्य वक्ताओं यूनिडो के भारत में रीजनल आफिस हैड रिने वैन बरकल, एमएसएमई इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर जनरल एस गलोरी स्वरूपा, पामिला ज्योबिन की निदेशक, एसएमई क्लाईमेट हब के निदेशक, इंटैलियंस सोल्यूशन के कल्याणी पतंगी एफएमसी के मुकेश गुलाटी और सिडबी के राजेंद्र प्रसाद, एमएसएमई कलस्टर डा0 कमल सरकार ने भी वर्तमान समय में एमएसमएई सैक्टर्स के समक्ष आने वाली चुनौतियों और संभावनाओं सहित विभिन्न नीतियों व योजनाओं को विस्तारपूर्वक बताया।

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