पिछले 6 वर्षों के दौरान केन्द्र व राज्य सरकार ने जितनी नई पहल की हैं, वे सब किसान हित में हैं : मुख्यमंत्री मनोहर लाल

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Chandigarh News, 19 July 2020 : हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि पिछले 6 वर्षों के दौरान केन्द्र सरकार व राज्य सरकार ने जितनी भी नई पहल की हैं, वे सब किसान हित में हैं । अभी हाल ही में केन्द्र सरकार द्वारा लाए गये दो अध्यादेश ‘कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020’ तथा ‘मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और सुरक्षा) समझौता अध्यादेश-2020’ से किसान अपनी उपज की बिक्री मर्जी के अनुसार न केवल अपने राज्य में बल्कि दूसरे राज्यों की मंडियों में भी कर सकता है। इस प्रकार वह अनुबंध खेती के तहत अपनी उपज पर किसी भी व्यक्ति या बैंक के साथ ई-अनुबंध कर सकता है। अब उसे फसली ऋण के लिए बैंक के पास जमीन रेहन पर रखने की आवश्यकता नहीं होगी।

मुख्यमंत्री आज यहां हरियाणा निवास में बुलाए गए एक पत्रकार सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि किसान की आय वर्ष 2022 तक दोगुणी करने के प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। पिछले दो वर्षों से फसलों की बुआई आरम्भ होने से पहले ही न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित कर दिए जाते हैं। इससे किसान अपनी इच्छा के अनुसार फसल बोने का मन बना सकता है। उन्होंने कहा कि ये दोनों अध्यादेश आने से अगर किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी अधिक दाम मंडियों से बाहर मिलते हैं तो वह फसल बेच सकता है, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर तो सरकार खरीदेगी ही अन्यथा भावांतर भरपाई योजना में फसल के भाव के अन्तराल को पूरा किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने किसानों से अपील की कि वे इन अध्यादेशों के विषय में किसी के बहकावे में न आएं। कुछ लोगों की आदत किसानों को गुमराह करने की है। किसान यूनियन के नाम पर भी देश में अलग-अलग प्रदेशों की अलग-अलग तरह की राजनीति है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के नाम पर भी कुछ नेता किसानों को बहकाते रहे, परंतु अब किसान की समझ में गया और अब किसान स्वयं अपनी फसल का बीमा करने के लिए आगे आ रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में केन्द्र सरकार द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज में एक लाख करोड़ रुपये कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए रखा गया है, जिसके तहत वेयरहाउस, एग्रो बेस्ड इन्डस्ट्री व अन्य शामिल हैं। इसमें से अधिक से अधिक राशि हरियाणा के किसान को मिले, इसके लिए योजनाएं बनाई जा रही हैं। किसानों को उसकी भूमि की उपयोगिता व आय के अनुसार वित्त प्रबन्धन किस प्रकार से किया जाए, इसके लिए हरियाणा सरकार ने 17,000 किसान मित्र लगाने का निर्णय लिया है, जो किसानों को वॉलंटियर्स के रूप में परामर्श देंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान अपना उत्पाद स्वयं एक व्यापारी बनकर बेचें, इसके लिए योजनाएं तैयार की जा रही हैं, चाहे वे एफपीओ के माध्यम से बेचें या स्वयं अपना ब्रांड बनाकर बेचें। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि शीघ्र ही सहकारिता विभाग के माध्यम से गांव व शहरों में 2000 ‘रिटेल आउटलेट’ खोले जाएंगे, जिनमें गांव व शहर का युवा अपनी योग्यता व हुनर के अनुरूप कार्य करेगा। ये ‘रिटेल आउटलेट’ मिनी सूपर मार्केट के रूप में कार्य करेंगे। इसके अलावा, हरियाणा फ्रेश के नाम से जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग मिनरल वाटर भी लॉच कर रहा है।

मुख्यमंत्री ने इस बात की भी जानकारी दी कि अन्तर्राष्ट्रीय फल एवं सब्जी टर्मिनस, गन्नौर, सोनीपत के लिए भी एक परामर्शदाता नियुक्त किया गया है और शीघ्र ही यहां से ट्राजेक्शन शुरू हो जाएगा। इसी प्रकार, पिंजौर की सेब मंडी का कार्य भी आगे चल रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आरम्भ में मेरा पानी-मेरी विरासत का भी कुछ लोगों ने विरोध किया था। यह योजना भावी पीड़ी के लिए जल संरक्षण की योजना है। उन्होंने कहा कि सरकार ने एक लाख हैक्टेयर क्षेत्र में धान के स्थान पर अन्य कम पानी वाली फसलें की बुआई करने का लक्ष्य रखा था, परंतु किसानों ने योजना के महत्व को समझा और 1,18,128 हैक्टेयर क्षेत्र का मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर रजिस्टे्रशन करवाया है कि वे धान के स्थान पर अन्य फसल की बुआई करेंगे। इसी प्रकार मृदा स्वास्थ्य कार्ड भी किसान को उनके निकट स्थानों पर ही उपलब्ध हो, इसके लिए स्कूलों व कॉलेजों की प्रयोगशालाओं में पानी व मृदा की जांच की जाएगी। मृदा स्वास्थ्य कार्ड पूरे प्रदेश में 70 लाख एकड़ क्षेत्र के लिए हर तीन साल में जारी किए जाएंगे ताकि किसान को उसकी भूमि की उर्वरा शक्ति की जानकारी हो और उसके अनुसार वह फसल की बिजाई कर सके।

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों में 13-14 हजार कृषि नलकूपों के कनैक्शन जारी किए गये हैं। दस हॉर्सपावर की मोटर किसान अपनी मर्जी से खरीद सकता है। अगर किसान ने बिजली निगमों के पास सिक्योरिटी जमा करवा दी है तो उसे ब्याज सहित लौटाया जाएगा। इसी प्रकार, किसान क्रेडिट कार्ड की तर्ज पर पशुपालन के्रडिट कार्ड योजना लागू की गई है और अब तक 1,40,000 पशुपालकों के फार्म भरवाए जा चुके हैं।

उन्होंने कहा कि किसानों की आढ़तियों पर निर्भरता कम करने के लिए नई-नई योजनाएं लाई जा रही हैं। इस बार गेहूं व सरसों की रबी फसलों की खरीद प्रक्रिया में नई व्यवस्था की गई और पहली बार किसानों के खाते में फसल बिक्री का भुगतान किया गया। हालांकि पहले किसानों का यह भुगतान आढ़ती के माध्यम से होता था और किसान को पता नहीं होता था कि उसका कितना पैसा आया है। किसानों को फसली ऋण जीरो प्रतिशत पर उपलब्ध करवाया जा रहा है। आमतौर पर फसल ऋण पर ब्याजदर 7 प्रतिशत, जिसमें 3 प्रतिशत केन्द्र सरकार तथा 4 प्रतिशत राज्य सरकार वहन करती है। किसान अपना फसली ऋण चक्र आढ़ती की बजाए बैंकों से सीधा करवाए और किसान आढ़ती से उचंती पैसा न ले, यही योजना का मुख्य उद्देश्य है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पारदर्शी तरीके से कार्य करना उनकी प्राथमिकता है। केन्द्र सरकार ने इसे पहले जीएसटी व नोटीबंदी जैसे निर्णय लिए जिनकी पहले आलोचना भी हुई, अब लोगों को समझ आ गया है कि यह सब अच्छे के लिए हुआ।

कोविड-19 के दौरान सरकार के प्रयासों के सम्बन्ध में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में मुख्यमंत्री ने कहा कि इस दौरान 16 लाख परिवारों को 4000 से 5000 रुपये तक की वित्तीय सहायता सरकार की ओर से मुहैया करवाई गई है। चाहे वह मुख्यमंत्री परिवार समृद्घि योजना के तहत हो या भवन निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड के माध्यम से हो। इसी प्रकार, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत भी लोगों को राहत दी जा रही है और नवम्बर तक जरूरतमंदों को मुफ्त राशन दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि कोविड-19 एक वैश्विक आपदा है, किसी देश व प्रदेश की अपदा नहीं है। मुख्यमंत्री ने इस बात की भी जानकारी दी कि राजस्व प्राप्तियां कोविड-19 के बाद पिछले वर्ष की तुलना में 95 प्रतिशत तक पहुंच गई हैं, जो जुलाई में लगभग बराबर होने की सम्भावना है।

पीटीआई भर्ती के मामले में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सर्वोच्च न्यायालय का फैसला है कि भर्ती प्रक्रिया सही नहीं थी और हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की अनुपालन कर रहा है, चाहे वह उम्मीदवारों की लिखित परीक्षा लेने का हो या कोई और।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजेश खुल्लर, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव वी ऊमा शंकर, मुख्यमंत्री के ओएसडी भूपेश्वर दयाल, सूचना, जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग की अतिरिक्त निदेशक (प्रशासन) श्रीमती वर्षा खनगवाल के अलावा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

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