न्याय के लिए 31 वर्षों का संघर्ष- सीधेश्वरी प्रमोटर्स एंड बिल्डर्स द्वारा भूमि की धोखाधड़ी के खिलाफ 500 परिवारों का विरोध

0
1983
Spread the love
Spread the love

Noida News, 06 Aug 2019 : भूमि धोखाधड़ी के मामले में सैकड़ों भूमि मालिक सीधेश्वरी प्रमोटर्स एंड बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ अपनी आवाज उठा रहे हैं। इस प्रस्तावित कॉलोनी विक्रांत विहार (सेक्टर 139, नोएडा, विलेज इलाहाबास, तहसील दादरी) में भूखंड मालिक वर्ष 1988 से आवंटन मिलने का इंतजार कर रहे हैं। इनमें से ज्यादातर सेवानिवृत सैन्यकर्मी, कश्मीरी पंडित या निम्न मध्यवर्गीय परिवार हैं।

भूमि धोखाधड़ी के इस मामले में डेवलपर (तब महामाया प्रमोटर्स एंड बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड) ने 80 के दशक के अंत में सदस्य नामांकन के लिए विज्ञापन प्रकाशित कराया था और दावा किया था कि उन्हें नोएडा अथॉरिटी से अनुमति मिल गई है, साथ ही सभी सदस्यों को अनुमति पत्र भी साझा किए गए थे। नोएडा अथॉरिटी से मंजूरी पत्र की वैधता भी सवालों के घेरे में है।

विक्रांत विहार प्लॉट ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष भरत कौल ने 500 से ज्यादा परिवारों के लिए न्याय के लंबे इंतजार के बारे में जानकारी देते हुए कहा, ‘हम तीन दशक से अधिक समय से अपने अधिकार के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। नोएडा अथॉरिटी इस अन्याय पर मूकदर्शक बना नहीं रह सकता। नोएडा अथॉरिटी एक तरफ यह कह रहा है कि यह एरिया विकास की योजना के दायरे में है, वहीं उसने उन प्रमोटरों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है जिन्होंने शुरू से ही अथॉरिटी से एनओसी मिलने का दावा किया था।’

विक्रांत विहार प्लॉट ऑनर्स एसोसिएशन के वरिष्ठ परामर्शदाता सेवानिवृत कर्नल सुरजीत रथ ने 500 से अधिक सदस्यों के हितों को ध्यान में रखते हुए कहा, ‘यदि हमें बिल्डर या संबद्ध अथॉरिटी से कोई सकारात्मक आश्वासन नहीं मिलता है तो हम व्यापक स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।’

एसोसिएशन के सचिव राकेश कुमार ने कहा, ‘बिल्डर लोगों से बातचीत नहीं कर रहा है और उसने हमारे किसी भी आधिकारिक संवाद का जवाब नहीं दिया है। हमारा अनुरोध है कि सरकार और संबंधित प्राधिकरणों को इस मामले को गंभीरता से देखना चाहिए।’

भूखंड विकसित होने और सौंपे जाने तक सदस्यों को इंस्टॉलमेंट में भुगतान करना था। सड़कों और विद्युत खंभों के शुरूआती विकास के बाद, डेवलपर ने सभी विकास कार्य रोक दिए और इसकी वजह भी सदस्यों को नहीं बताई गई। इसे लेकर अस्पष्टता की वजह से कई सदस्यों ने इंस्टॉलमेंट का भुगतान भी बंद कर दिया। यह माना जा रहा है कि सीधेश्वरी प्रमोटरों का बड़ा हिस्सा एस सी महेश्वरी को स्थानांतरित कर दिया गया और नए निदेशक मंडल का गठन किया गया था जिससे सदस्यों में फिर अनिश्चितता गहरा गई थी। स्वामित्व हस्तानांतरण के बाद नए प्रबंधन ने भूखंडों को उन लोगों के नाम रजिस्टर्ड नहीं कराया जो पूरा भुगतान कर चुके थे।

जब न सिर्फ प्रमोटरों बल्कि नोएडा अथॉरिटी के साथ भी शिकायत किए जाने और बैठकें किए जाने के बाद कोई अपेक्षित परिणाम नहीं निकला तो लंबे समय के बाद अपने अधिकारों के लिए दर्शकों ने अपना दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया। वर्ष 2009 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस भूमि को आवासीय घोषित किया और जब सदस्य 2013 में कंपनी प्रबंधन के साथ बैठक करने में सफल रहे तो यह निर्णय लिया गया था कि भूखंड धारक की ओर से आवदेन प्रत्यारोप के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय में पेश किया जाएगा जिससे कि पूरा भुगतान कर चुके सदस्यों को कंपनी द्वारा सेल डीड मिल सके। लेकिन प्रमोटरों ने सदस्यों के नाम उस याचिका में शामिल करने या पूरा भुगतान कर चुके सदस्यों को भूखंडों की रजिस्ट्री कराने में दिलचस्पी नहीं दिखाई।

मौजूदा समय में विक्रांत विहार में भूखंड धारकों की तीन श्रेणिया हैंः

(ए) वे भूखंड धारक, जिन्होंने पूरा भुगतान कर दिया है और उनके नाम भूखंड रजिस्टर्ड हैं।

(बी) वे, जो पूरा भुगतान कर चुके हैं, लेकिन प्रमोटरों से मंजूरी नहीं मिलने की वजह से उनके प्लॉटों की रजिस्ट्री नहीं हुई है।

(सी) वे, जिन्होंने अनिश्चित स्थिति और सहयोग एवं संपर्क के अभाव की वजह से सिर्फ पार्ट-पेमेंट किया है।

अधिक जानकारी के लिए कृपया संपर्क करें

भरत कौल, अध्यक्ष, विक्रांत विहार प्लॉट ऑनर्स एसोसिएषन

एक्स सीनियर मैनेजर- बैंक ऑफ इंडिया, एनआरआई ब्रांच, नई दिल्ली, 8826555888

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here