IIAG ज्योतिष संस्थान के तत्वावधान में “राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन” डी.सी. मॉडल स्कूल के सभागार में हुआ आयोजित

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Faridabad News : आज के वैज्ञानिक युग में ज्योतिष का महत्व निरंतर बढ़ता जा रहा है| नित-नूतन ज्योतिष के क्षेत्र में अनुसन्धान हो रहे है| इसी कड़ी में IIAG ज्योतिष संस्थान के तत्वावधान में “राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन” सेक्टर-9, डी.सी. मॉडल स्कूल के सभागार में आयोजित किया गया|

संगोष्ठी का शुभारम्भ मुख्य अतिथि पंडित मूलचंद शर्मा विधायक के.पी. शिरोमणि रविन्द्रनाथ चतुर्वेदी, वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त शर्मा के द्वारा दीपशिखा प्रज्जवलित करके किया| इस सम्मेलन में देश के अनेक राज्यों से शोधार्थी, ज्योतिष विद्यार्थी, वास्तु विशेषज्ञ, परामनोवैज्ञानिक एवम् अध्यात्मिक मनीषीगण एकत्रित हुए|

सम्मेलन में मुख्य विषय रहा “ज्योतिष के क्षेत्र में अनुभूत व्यवाहरिक सूत्र”! संगोष्ठी में ज्योतिष के भिन्न-भिन्न विषय सन्तान, विवाह, रोग एवम् व्यवसाय आदि को लेकर मुख्य चर्चा की गई| विशेष रूप से कृष्णमूर्ति पद्धति ज्योतिष पर अनेक वक्ताओं ने प्रकाश डाला| इस अवसर पर संगोष्ठी का “बीज वक्तव्य” ज्योतिष भास्कर पी.पी.एस राणा ने प्रस्तुत किया| जिसमे उन्होंने प्रश्न शास्त्र के विषय में प्रकाश डालते हुए कहा जातक के दो प्रकार के अदृढ कर्मज और दृढ कर्मज पहले वालों का कही हद तक उपचार किया जा सकता है मगर दुसरे कर्म तो अवश्य ही भोगने होंगे| मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. सुरेश चन्द्र मिश्रा वैदिक ज्योतिष पर प्रकाश डालते हुए कहा जन्म कुंडली का सही आकलन वही देवज्ञ कर सकता हैं जो पंचांग तिथि, नक्षत्र, योग, करण वार को पूर्ण रूप से जानकर भविष्य कथन करता हैं|

कंप्यूटर युग में आज के ज्योतिषियों ने महत्व देना कम कर दिया हैं जिसके चलते भविष्य कथन सही प्रकार से नही कर पाता| पंचांग का अध्ययन जड़ में पानी देना हैं| संगोष्ठी के प्रथम सत्र में डॉ. किशोर घिल्दियाल ने जैमिनी ज्योतिष में कारकंश लग्न की भूमिका, ज्योतिष आचार्य भारत भूषण ने ज्योतिष के माध्यम से रोग और उपाय, 12 वर्षीय ज्योतिषी भव्या चतुर्वेदी का वक्तव्य के. पी. ज्योतिष को 5 मिनट में कैसे सीखे काफी प्रभावी रहा| अमर चतुर्वेदी ने बताया शारीरिक, मानसिक रोगों को रेकी, हीलिंग एवम् चक्रों के माध्यम से कैसे सही किया जा सकता हैं|

दितीय सत्र के मुख्य वक्ता कृष्णमूर्ति पद्धति के विशेषज्ञ रविन्द्रनाथ चतुर्वेदी ने कृष्णमूर्ति पद्धति पर प्रकाश डालते हुए कहा यह ज्योतिष दिनों और घंटो में भविष्य कथन कहने में सक्षम हैं| पाराशर ज्योतिष में ग्रह को आधार मानकर भविष्य कहा जाता हैं जिसका भविष्य कथन स्थूल हैं जबकि इसमें ग्रहों से सूक्ष्म नक्षत्र, नक्षत्र का भी नवांश और उसके बाद नक्षत्रांश से भी परे जाकर घटनाओं की बारीकी में जा सकते हैं| प्रसिदध ज्योतिष डी. के. गुप्ता ने भी जन्म कुंडली में अशुद्ध समय को शुद्ध कैसे किया जाता हैं इस विषय का प्रयोग करके दिखाया| इस अवसर पर IIAG के निदेशक डॉ. यज्ञदत्त शर्मा ने वैदिक ज्योतिष व कृष्णमूर्ति पद्धति पर आधारित बने “नक्षत्र गोल्ड सॉफ्टवेयर” का प्रदर्शन करके दिखाया और बताया कि हमारा लक्ष्य है कि इस सोफ्टवेयर के जरिए आम व्यक्ति भी आसानी से सिख कर जीवन की घटनाओं के बारे में जान सके| संगोष्ठी संयोजक डॉ. बांकेबिहारी ने कविता के माध्यम से ज्योतिष के ज्योतिष के सूत्रों को प्रस्तुत किया ताकि आम जन्न आसानी से याद कर सके| उन्होंने बताया इस संगोष्ठी के जरिये ज्योतिष और अन्य विषयों के विद्वानों को बुलाकर उनके जीवन के अनुभवों और अर्जित ज्ञान को एक सम्मेलन के माध्यम से ज्योतिष के शोधार्थी और विद्यार्थियों के ज्ञान को नव नूतन और संवर्धन कराना रहा है|

समापन समारोह में मुख्य अतिथि पंडित टेकचंद शर्मा संगोष्ठी के आयोजक ज्योति जिंदल,सुभाष गुप्ता, शरद गोयल,वी. के. गोयल व पूनम गोयल द्वारा संगोष्ठी के प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह एवम् प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए| इस अवसर पर मुख्य रूप से संगोष्ठी के प्रतिभागियों व् मास्टर विशनदत्त पन्हैडा, ज्योतिषाचार्य पंडित परशुराम, देवदत्त शर्मा, सॉफ्टवेयर इं. मुकेश गुप्ता, प्रो. मुकेश गोयल, प्रवीण शर्मा,ज्योतिषाचार्य मोहिनी, ज्योति, मीनू शर्मा, पंडित भगवत प्रसाद शर्मा, राकेश जी, धर्म चौधरी, अनिल जी व IIAG के सदस्यों को प्रमाण पत्र व स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया गया|

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