राक्षसों का वध करने के लिए ही मां कालरात्रि का जन्म हुआ: भाटिया

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Faridabad News  : नवरात्रों के सातवें दिन सिद्धपीठ महारानी श्री वैष्णोदेवी मंदिर में भगवती दुर्गा के सातवें अवतार मां कालरात्रि की भव्य पूजा की गई। मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने प्रातकालीन पूजा का शुभारंभ करवाया।

पूजा अर्चना के अवसर पर मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने उपस्थित श्रद्धालुओं को बताया कि दुर्गा जी का सातवां स्वरूप कालरात्रि है। इनका रंग काला होने के कारण ही इन्हें कालरात्रि कहते हैं। असुरों के राजा रक्तबीज का वध करने के लिए देवी दुर्गा ने अपने तेज से इन्हें उत्पन्न किया था।

देवी कालरात्रि का शरीर रात के अंधकार की तरह काला है इनके बाल बिखरे हुए हैं तथा इनके गले में विधुत की माला है। इनके चार हाथ है जिसमें इन्होंने एक हाथ में कटार तथा एक हाथ में लोहे कांटा धारण किया हुआ है। इसके अलावा इनके दो हाथ वरमुद्रा और अभय मुद्रा में है। इनके तीन नेत्र है तथा इनके श्वास से अग्नि निकलती है। कालरात्रि का वाहन गर्दभ(गधा) है।

मंदिर में सातवें नवरात्रे पर मां कालरात्रि की पूजा अर्चना में आज शहर के प्रमुख उद्योगपति केसी लखानी, उद्यमी आनंद मल्होत्रा, रमेश बत्तरा, पूर्व विधायक चंदर भाटिया, दिनेश भाटिया, सुरेंद्र गेरा, गिर्राजदत्त गौड़, अनिल भाटिया, राजेश भाटिया, राहुल मक्कड़, विनोद पांडे, नेतराम, अजय नाथ, राजा शर्मा, बलजीत बेदी, सुभाष रत्तरा, बाबा आढती, कांशीराम एवं सुभाष शर्मा विशेष रूप से उपस्थित हुए।

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