बेल्जियम से सम्बद्ध विश्वस्तरीय टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर अब फरीदाबाद में भी

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Faridabad News : “बाँझपन या निःसंतानता” अंधिवाश्वास से जुड़ी कुरीति नहीं बल्कि अन्य बीमारियों की तरह एक आम समस्या है और इसका सफल इलाज संभल है। विभिन्न कारणों से स्त्री पुरुष संतान सुख से वंचित रहते है और समय पर समुचित इलाज न कराने की वजह से हताशा एवं निराशा का जीवन जीते है। सुप्रसिद्ध बाँझपन रोग विशेषज्ञ डॉ. गौरी अग्रवाल से एक मुलाकात (साक्षात्कर) के दैरान हुई बातचीत से जानकारी मिली कि प्रजन्न तंत्र की खराबी, पौष्टिक भोजन न लेना, प्रदूषण, मोबाइल व लैपटॉप का अधिक प्रयोग, अधिक उम्र में विवाह तथा कीटनाशक का प्रयोग बाँझपन के कारम हो सकते है। अपने अन्तर्राष्ट्रीय गुणवत्ता वाले अस्पताल सीड्स ऑफ इनोसेन्स की संस्थापक एवं बाँझपन रोग विशेषज्ञ डॉ. गौरी अग्रवाल के अपने नये केन्द्र (अस्पताल) का फरीदाबाद में उदघाटन माननीय सांसद लोक सभा एवं राज्य मंत्री सोशल जस्टिस एवं एम्पावरमेंट श्री किशन पाल गुर्जर तथा भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता माननीय श्री डॉ. सुधाशुं त्रिवेदी जी के कर कमलों द्वारा आज हुआ और इस शुभ अवसर पर बोलते हुए उन्होंने बताया कि सीड्स ऑफ इनोसेन्स का यह पांचवा अस्पताल है, इससे पूर्व हमारी सुविधायें मालवीय नगर, ईस्ट दिल्ली, गाजियाबाद एवं मेरठ में एक लम्बे अन्तराल से उपलब्ध है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि दिल्ली, एन.सी.आर. में अनेक बाँझपन समाधान अस्पताल है परन्तु सीड्स ऑफ इनोसेन्स का अपना विशिष्ट स्थान हमारी गुणवत्ता, अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार इलाज की सुविधा एवं कुशल डॉक्टर तथा स्टॉफ के कारण है। हमारी कोशिश रहती है कि न सिर्फ शहर अपितु गाँव एवं दूर दराज के लोग भी इलाज की सुविधा का लाभ उठा सकें। इसके लिए हम लोग विभिन्न शहरों एवं गाँवों में निःशुल्क कैम्प का आयोजन कर मरीज को बाँझपन के कारण एवं निवारण को समझाते है और उनके समुचित इलाज का प्रबंध करते हैं।

डॉ. गौरी अग्रवाल से यह पुछने पर कि क्या टेस्ट ट्यूब बेबी की सफलता दर 100% होती है? उन्होंने बाताय कि विश्व स्तर पर भी यह सफलता केवल लगभग 45% तक ही है और यह एक मुख्य कारण है जिसकी वजह से मरीज अपना इलाज कराने में कतराता है। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए हमने अपने आनुवांशिक केन्द्र ‘जीनकार्ट’ का शुभारम्भ माननीय केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जे.पी. नड्डा की उपस्थिति में किया जिसका मुख्य उद्देश्य आई.वी.एफ. सफलता दर बढ़ाकर 78% तक ही करना नहीं है अपितु भ्रूण की आनुवांशिक जाँच करके स्वस्थ सन्तान प्रदान करना भी है। सीड्स ऑफ इनोसेन्स उत्तर भारत का प्रथम टेस्ट ट्यूब अस्पताल है जिसके पास स्वयं यह सुविधा उपलब्ध है। डॉ. गौरी अग्रवाल (डारेक्टर – सीड्स ऑफ इनोसेन्स आई.वी.एफ. एवंम सेरोगेसी समूह) ने सभी उपस्थित अतिथियों से आग्रह किया कि वे बाँझपन के कारणों एवं उपलब्ध इलाज को भली भांति समझे और अपने आस पास के सभी लोगों को शिक्षित करे जिससे भारत के प्रत्येक प्रान्त से यह समस्या दूर हो सके और अधिक से अधिक लोगों को विस्वस्तरीय इलाज की सुविधा मिल सके।

इस अवसर पर यशोदा अस्पताल समूह के चैयरमैन डॉ. दिनेश अरोड़ा, वाइस चैयरमैन डॉ. शशी अरोड़ा. मैनेजिंग डॉरेक्टर डॉ. पी. एन. अरोड़ा, डायरेक्टर श्रीमति उपासना अरोड़ा, मेडिकल डारेक्टर डॉ. रजत अरोड़ा एवंम श्रीमति वत्सला खेडा एवंम भरत खेडा विशेष रूप से मौजूद थे।

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