दो दिवसीय ‘ऑप्टिक’ फिल्म एंड फोटोग्राफी फेस्टिवल-2019 शुरू

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Faridabad News, 18 April 2019 : जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद द्वारा आयोजित दो दिवसीय ‘ऑप्टिक’ फिल्म एंड फोटोग्राफी फेस्टिवल-2019 आज शुरू हो गया। फेस्टिवल के पहले दिन मिसेज इंडिया यूनिवर्स-2018 ईशा गुलाटी, हरियाणवी-पंजाबी पॉप सिंगर एवं एक्टर सौरव पंडित और दुर्गा हिंदी फिल्म की स्टार कास्ट आन पाराशर फेस्टिवल का मुख्य आकर्षण रहे, जोकि फेस्टिवल के दौरान प्राप्त हुई फिल्मों की स्क्रीनिंग के दौरान मुख्य जूरी के रूप में उपस्थित रहे।

फेस्टिवल का शुभारंभ कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने दीप प्रज्वलित से किया। फिल्मों की स्क्रीनिंग के लिए मौजूद अन्य जूरी सदस्यों में कई लघु फिल्मों में अपनी प्रतिभा दिखा चुकी एक्ट्रेस आन पराशर और निर्माता व निर्देशक चंदन मेहता भी उपस्थित थे। पहले दिन फेस्टिवल के दौरान प्राप्त हुई चुनिंदा 25 फिल्मों को प्रदर्शित किया गया। इस अवसर पर कार्यवाहक कुलसचिव डाॅ. राज कुमार भी उपस्थित थे। फेस्टिवल के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए मानविकी विभाग की अध्यक्ष डाॅ. पूनम सिंघल ने विभाग की गतिविधियों को ब्यौरा प्रस्तुत किया।

जर्नलिज्म व मास कम्युनिकेशन की सहायक प्रोफेसर अमनदीप कौर ने बताया कि फेस्टिवल के लिए देशभर से फिल्म श्रेणी में शॉर्ट फिल्म, डॉक्युमेंटरी, वॉक्स पॉप, कॉर्पोरेट फिल्म तथा न्यूज पैकेज आमंत्रित किये गये थे, जिनमें से फेस्टिवल के मानदंडों को पूरा करने वाली 25 प्रविष्टियों का चयन फाइनल स्क्रीनिंग के लिए किया गया। इसी प्रकार, फोटोग्राफी में भी विभिन्न श्रेणियों में लगभग 50 प्रविष्टियां हासिल हुई थी, जिन्हें स्ट्रीट, लैंडस्केप, इमोशन्स तथा वाइल्ड लाइफ की श्रेणी में रखा गया था। फिल्म व फोटोग्राफी की श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ चुनी जाने वाली एक-एक प्रविष्टि को नकद पुरस्कार दिया जायेगा, जिसकी घोषणा फेस्टिवल के दूसरे दिन की जायेगी।

फेस्टिवल में प्रविष्टि के रूप में प्राप्त हुई फोटोग्राफ्स को विश्वविद्यालय परिसर में प्रदर्शनी के रूप में लगाया गया है, जिसमें प्रतिभागियों की रचनात्मकता देखते ही बनती है। खासतौर पर विश्वविद्यालय के मीडिया के विद्यार्थियों ने विश्वविद्यालय को अपने चित्रों के माध्यम से दिखाने दिखाने का प्रयास किया है, जो सराहनीय है।

फेस्टिवल के दौरान प्रदर्शित की गई फिल्मों में सर्जिकल स्ट्राइक के सबूतों को लेकर राजनीति पर कटाक्ष करती शाॅर्ट फिल्म ‘इंडियन आर्मी’ व महिला सशक्तिकरण पर आधारित शाॅर्ट फिल्म ‘डरपोक औरत’ को काफी सराहना मिली। इसके अलावा, शाॅर्ट फिल्म रेल सेफ्टी को लेकर डाॅक्यूमेंटरी, ‘लाइफ आफ ए लेबर’, ‘राजा नाहर सिंह’, ‘एस्काॅन टेम्पल’, ‘वार हीरोज’, ‘रोडसाइड बुफे’, ‘स्वच्छता‘ तथा ‘ब्लाइंड‘ शीर्षक से प्राप्त हुई डाॅक्यूमेंटरी को भी प्रदर्शित किया गया।

इस अवसर विश्वविद्यालय की वार्षिक पत्रिका ‘दर्पण’ तथा जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन विद्यार्थियों के न्यूजपेपर संचार के विशेषांक का विमोचन भी किया गया।

नये सत्र से बीजेएमसी शुरू करेगा विश्वविद्यालयः प्रो. दिनेश कुमार
फेस्टिवल के आयोजन पर मानविकी विभाग के प्रयासों की सराहना करते हुए कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने कहा कि सबसे छोटा विभाग होने के बावजूद जर्नलिज्म व मास कम्युनिकेशन ने विश्वविद्यालय में अपना एक अलग प्रभाव छोड़ा है, जिसके लिए विभाग के शिक्षक व विद्यार्थी बधाई के पात्र है। उन्होंने प्रसन्नता जताई कि पढ़ाई के साथ-साथ कई विद्यार्थी सक्रिय रूप से मीडिया का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में रिकाॅर्डिंग स्टूडियो तथा क्लाउड रेडियो जैसी परियोजनाओं पर भी काम चल रहा है, जिसके बाद विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय में रहकर व्यवहारिक प्रशिक्षण मिल सकेगा।

इस अवसर पर उन्होंने नये सत्र से जर्नलिज्म व मास कम्युनिकेशन में बैचुलर (बीजेएमसी) पाठ्यक्रम शुरू करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि मीडिया के क्षेत्र में विभिन्न स्तरों पर रोजगार के बढ़ते अवसरों को देखते हुए यह जरूरी है कि विद्यार्थी मीडिया की कार्य प्रणाली तथा आवश्यक तकनीकी ज्ञान हासिल करें। उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय जर्नलिज्म व मास कम्युनिकेशन में एमए पाठ्यक्रम पहले से चला रहा है।

जब कुलपति ने पूछा, ‘क्या आप हमारे विद्यार्थियों को भी पढ़ा सकती है ?’
कुलपति प्रो. दिनेश कुमार से बातचीत के दौरान ईशा गुलाटी ने बताया कि अकादमिक करियर को लेकर अपनी दिलचस्पी के बारे में बताया। ईशा ने बताया कि वे इंस्टीट्यूट आफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स आफ इंडिया से सीए है और कई शिक्षण संस्थानों में गेस्ट फैकल्टी के रूप में भी अपनी सेवाएं देती रही है। इस पर कुलपति ने पूछा कि क्या आप हमारे विद्यार्थियों को भी पढ़ा सकती है? प्रो. दिनेश कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय ने हमेशा शिक्षा एवं अकादमिक गुणवत्ता को महत्व दिया है और यदि वे विश्वविद्यालय को अकादमिक रूप से अपना कोई योगदान देना चाहती है तो विश्वविद्यालय के दरवाजे उनके लिए खुले है।

आपकी शिक्षा और ज्ञान ही आपको दूसरों से अलग करता हैः ईशा गुलाटी
विद्यार्थियों से अपने अनुभव साझा करते हुए ईशा गुलाटी ने बताया कि जब वे मिसेज इंडिया युनिवर्स प्रतियोगिता के लिए गई तो वह एक पांच साल के बच्चे की मां थी। चूंकि प्रतियोगिता मैरिड वुमैंस के लिए थी। यह एक सुनहरा अवसर था, जिसके लिए उसे घर से पूरा सहयोग मिला। ईशा ने कहा कि प्रतिभा हर किसी में हो सकती है लेकिन जब तक प्रतिभा को मंच न मिले तो यह बेकार है। यदि आप प्रतिभावान होने के साथ-साथ मेहनती भी है तो आपके लिए कुछ भी मुश्किल नहीं है।

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