फीस के मामले में शिक्षा विभाग द्वारा निकाले गए आदेशों पर हाई कोर्ट ने स्टे देने से किया इनकार। मंच ने ऐसे अभिभावकों की जीत बताया

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Faridabad News, 22 June 2020 : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने प्रदेश के अभिभावकों को बड़ी राहत प्रदान करते हुए लॉकडाउन अवधि में हरियाणा सरकार द्वारा फीस को लेकर निकाल ले गए सभी आदेशों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। हाईकोर्ट अब अगली तारीख 7 सितंबर को दोनों पक्षों को सुनेगा। हरियाणा प्रोग्रेसिव स्कूल कांफ्रेंस की तरफ से हाइकोर्ट में याचिका दायर करके शिक्षा विभाग के मासिक आधार पर सिर्फ ट्यूशन फीस लेने के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई थी। जिस पर हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग को नोटिस जारी किया था इसी दौरान स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह की ओर से एडवोकेट अभिनव अग्रवाल व हरियाणा स्कूल पेरेंट्स वेलफेयर लीग के संयोजक व हरियाणा अभिभावक एकता मंच फरीदाबाद के जिला सचिव डॉ मनोज शर्मा की ओर से एडवोकेट प्रदीप रापड़िया, राजविंदर सिंह बैंस व एडवोकेट महेश धीर ने याचिका दायर करके अभिभावकों का भी पक्ष जानने की गुहार लगाई जिस पर प्राइवेट स्कूलों के वकील ने पुरजोर विरोध किया और कहा कि प्राइवेट स्कूलों की तरफ से शिक्षा विभाग को पार्टी बनाया गया है अतः अभिभावक पार्टी नहीं बन सकते हैं लेकिन विद्वान न्यायाधीश ने कहा कि फीस का मामला अभिभावकों से ही संबंधित है आखिरकार अभिभावकों पर ही फीस का बोझ पढ़ना है अतः उनकी राय जाननी बहुत जरूरी है। हरियाणा सरकार की ओर से भी हाईकोर्ट में पक्ष रखते हुए कहा गया कि हरियाणा सरकार को नियमानुसार पूरा अधिकार है कि वे स्कूलों के लिए किसी भी प्रकार का आदेश निकाल सकती है लॉकडाउन अवधि में अभिभावको की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है स्कूलों के पास काफी रिजर्वफंड व सरप्लस फंड होता है वह अध्यापकों की तनख्वाह में उसका प्रयोग कर सकते हैं फिर भी सरकार की ओर से अभिभावकों से कहा गया है कि वे मासिक आधार पर बिना बढ़ाई गई ट्यूशन फीस जमा कराएं। अभिभावकों के वकीलों की ओर से कोर्ट को यह भी बताया गया कि हरियाणा एजुकेशन एक्ट 1995 के सेक्शन चैप्टर छह के सेक्शन 17(5) में प्रत्येक निजी स्कूल को हर साल ऑडिट बैलेंस सीट निदेशालय के समक्ष जमा कराने के आदेश दिए हुए हैं। शिक्षा निदेशालय ने 18 दिसंबर, 2019 को प्रदेश के सभी निजी स्कूलों को क्षेत्रीय कार्यालयों में अपने स्कूल की ऑडिट बैलेंस सीट 31 दिसंबर तक जमा कराने के आदेश दिए थे। इन आदेशों में निदेशालय ने यह भी स्पष्ट किया था कि निर्धारित अवधि में ऑडिट बैलेंस सीट जमा नहीं कराने पर फार्म-6 अधूरा माना जाएगा।

प्रदेश के अधिकांश निजी स्कूलों ने शिक्षा विभाग के समक्ष ऑडिट बैलेंस सीट जमा नहीं कराई है। इस केस की आज 22 जून को हुई सुनवाई के दौरान भी प्राइवेट स्कूलों के वकील ने मुकदमे में अभिभावकों को पक्षधर बनाने का पुरजोर विरोध किया और हरियाणा शिक्षा विभाग द्वारा फीस के संबंध में निकाले गए सभी आदेशों पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की जिसे विद्वान न्यायाधीश ने अस्वीकार करते हुए कोई भी रोक लगाने से इंकार कर दिया और सुनवाई की अगली तारीख 7 सितंबर निश्चित कर दी। हरियाणा अभिभावक एकता मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने इसे अभिभावकों की जागरूकता व एकजुटता व अभिभावकों के वकीलों की गई जोरदार पैरवी की जीत बताया है और प्रदेश के सभी अभिभावकों से कहा है कि वह इसी प्रकार प्राइवेट स्कूलों की मनमानी का पुरजोर विरोध करें।

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