आयशर विद्यालय में स्पिकमैके द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘विरासत’

0
1488
Spread the love
Spread the love

Faridabad News : आयशर विद्यालय सैक्टर-46, फरीदाबाद में स्पिक मैके द्वारा आयोजित कार्यक्रम विरासत के तीसरेचरणका शुभारंभ हुआ।कार्यक्रम के तीसरे चरण के मुख्य कलाकार पद्मश्री की उपाधि से सम्मानित बिरजूमहाराज की शिष्या प्रसिद्ध कथक नृत्यागंना गुरु शोवनानारायण एवं पद्मभूषण से विभूषित विश्व प्रसिद्ध श्री राजन एवं साजन मिश्र बंधु रहे।कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन से हुआ।

कार्यक्रम के दौरान सिटमजिस्ट्रेट मतिबलिना, आई.जी. आलोक मित्तल एच.सी.एस. काली रमणा, गुडअर्थफाउन्डेशन के चेयरमैन एच.डी.एस. मल्होत्रा,  मति बेला मल्होत्रा, स्कूल प्रबंधक श्री अर्जुन जोशी एवं स्पिकमैके के मूलक (फाउन्डर) किरण सेठ विशेष रुप से उपस्थित रहे। बिरजूमहाराज की शिष्या प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना गुरु शोवनानारायण जी ने सर्वप्रथम ‘कथक’ नृत्य’ के अर्थ से परिचित करवाते हुए कहा कि यह वैदिक शब्द कथा से लिया गया हैं जिसका अर्थ है ‘कहानी’। यह हाथ व पैरों का लयबद्ध संगम है जिसमें भावों की प्रधानता है। उन्होंने स्पिकमैके व आयशर विद्यालय की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंन बच्चों के लिए ऐसे अवसर प्रदान किए है जिनसे वे अपनी संस्कृति के और करीब आ सके। उन्होंन सर्वप्रथम ‘विष्णुवंदना’ प्रस्तुत की। उसके बाद कृष्ण व शिव को समर्पित नृत्य किया। महाभारत, का द्रौपदी चीरहरण, कृष्ण व राधा का झूला दृश्य महात्माबुद्ध की कथा को नृत्य के रुप में इस प्रकार प्रस्तुत किया मानों दर्शक उन सभी दृश्यों को सजीव रुपमें देख रहे हो। उनके साथ हारमोनियम पर संगत एवं बोल श्री माधव प्रसाद जी ने दिए घुंघरुओं के साथ तबले पर संगत उस्ताद शकील अहमद खान जी ने दी।पखावज पर संगत महावीर गंगानीजी ने दी। उनके बाघयंत्रों ने शोवना जी के नृत्य में चार चाँद लगा दिए। उन्होंने पाँच घूंघट व पाँच नजर को नृत्य द्वारा दर्शाया तब सारा हॉल तालियों से गूंज उठा। कथकनृत्य शैली में पांवों द्वारा भाव प्रस्तुति अद्भुत थी। कार्यक्रम का अंत उन्होंने कबीर के इस दोहे से किया ‘‘जब मैं था तब हरि नाहि अब हरि हैं मैं नाहि’’।

कार्यक्रम के दूसरे कलाकार पद्मभूषण की उपाधि से सम्मानित विश्वविख्यात राजन व साजन मिश्र बन्धु थे। उन्होंने विद्यालय के बच्चों के संस्कारों की प्रशंसा करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभ कामना की उन्होंने बताया कि संगीत एक पूजा है तपस्या है निरंतर अभ्यासरत होकर ही हम इसमें पारंगत हो सकते हैं। उन्होंने सबसे पहले ‘मेघराग’गाया उनके राग को सुनकर ऐसा लगा कि वे दो शरीर एक आत्मा हैं। कार्यक्रम के अंतमें ए.पी.एस. प्रीता जैन के अनुरोध पर उन्होंने भजन, चलो मन बृन्दावन की ओर गया, जिससे मन श्री कृष्ण के चरणों मे चला गया व दर्शक आनन्द में सरोबार हो गए। स्पिकमैके द्वारा आयोजित कार्यक्रम‘ विरासत’ का आयशर विद्यालय सैक्टर-46, फरीदाबाद में यह समापन दिवस था। विद्यालय की ओर से सभी कलाकारो को आभार स्वरुप स्मृति चिन्ह दिया गया। स्पिकमैके के इस कृत्य पर भारत को ही नही पूरे विश्व को गर्व है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here