लोगों की चावल के दाने पर नाम लिखवाने में दिलचस्पी

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Faridabad/ Surajkund News : आदमी अगर ठान ले तो उसके लिए कोई भी काम असंभव नहीं। सूरजकुंड में चल रहे 32वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड शिल्प मेले में पहुंचे अंबाला जिले के गांव टुंडला से षिल्पकार श्री पवन कुमार व उनकी धर्मपत्नी रेणुबाला इसे बखूबी साबित कर रहे हैं।

पवन कुमार को चावल के दाने पर लोगों के नाम लिखने से लेकर तरह-तरह की कलाकृतियों जैसे की रिंग आदि पर नाम उकेरने में महारत हासिल है। उनकी कला को देखकर पर्यटक दांतों तले अंगुली दबा लेते हैं। पवन कुमर ने बताया कि वे पिछले कई सालों से यहां आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने छोटी उम्र से ही चावल के दानों पर लिखना या आकृतियां उकेरना शुरू कर दिया था। अब वह अपने काम में इतने पारंगत हैं कि चावल पर नाम के अलावा विभिन्न देशों के झंडे, फूल, देवी-देवताओं के चित्र भी उकेर सकते हैं।

चावल पर यह आकृति उकेरने के बाद वह उन्हें खास तरह के शीशे में बंद करके देते हैं। इससे चावल पर लिखा चित्र बड़े आकार में दिखाई देता है। पवन  ने बताया कि चावल पर वह ब्रश और वाटर कलर के सहारे चित्र उकेरते हैं। चावल के दाने पर कुछ लिखने के लिए वह ट्रिपल जीरो ब्रश का इस्तेमाल करते हैं, जिसे वह खुद तैयार करते हैं। उनका अगला उदेश्य चावल पर कोई बड़ी कलाकृति बनाना है, जिसके लिए वह लगातार प्रयासरत हैं। वह मात्र 20 से 30 सेकंड में चावल पर किसी का भी नाम लिख सकते हैं। उन्होंने बताया कि वे घरों के लिए नेम प्लेट भी डिजाईन करते हैं।  सूरजकुंड मेला में दिल्ली से अपनी पत्नी संग मेला घूमने आए शोभित त्यागी ने बताया कि उन्होंने भी अपने घर के लिए एक नेम प्लेट बनवाई है जो बहुत ही सुन्दर है। इसी प्रकार हरियाणा के जिला झज्जर से आए हुए धर्मेन्द्र गुलिया ने बताया कि वे सूरजकुंड मेला में पहली बार मेला देखने आए हैं। उनके साथ उनके दोस्त तथा सगे-संबंधी हैं। गुलिया का कहना है कि मेले में रौनक देखते ही बनती है और यहां के कीकर के वृक्षों को भी एक नया एंबियंष दिया गया है, जिन्हें देखकर काफी अच्छा महसूस हो रहा है। उनका कहना था कि ऐसा लग रहा है जैसे जंगल में मंगल हो गया हो।

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