विशेषज्ञों का मानना है कि कोविड-19 के गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए एक्यूट किडनी इंजुरी के कारण बढ़ रहा है खतरा

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Gurugram News, 19 May 2020 : कोविड-19 की अप्रत्याशित महामारी ने लगभग पैंडोरा बॉक्स (दुःखों और तकलीफों से भरा बक्सा) खोल दिया है। अन्य चुनौतियों के अलावा, यह वर्तमान स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था का परीक्षण भी कर रहा है। कोविड-19 से संक्रमित उन लोगों में, बहुत ही कम में गुर्दों से संबंधित आसामान्यताएं विकसित हो रही हैं, जिन्हें पहले गुर्दों से संबंधित कोई समस्या नहीं थी। कुछ मरीजों में एक्यूट किडनी इंजुरी (एकेआई) भी विकसित हो रही है, जो मरीज के जीवित रहने की संभावनाओं को प्रभावित करने वाली स्थिति है।

इसके अलावा, इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ नेफ्रोलॉजी (आईएसएन) की एक हालिया रिपोर्ट को मानें तो कोविड-19 से संक्रमित 25-50 प्रतिशत लोगों में गुर्दों से संबंधित आसामान्यताओं के मामले देखे गए हैं। जो मूत्र में प्रोटीन और खून के रिसाव की कमी से प्रकट हुए, जिसकी वजह से लगभग 15 प्रतिशत मरीजों में एकेआई विकसित हो गया, और इसी कारण कोविड-19 गुर्दों पर भी आक्रमण कर रहा है।

गुरूग्राम स्थित मेदांता अस्पताल के इंटेन्सिविस्ट, डॉ. दीपक गोविल ने बताया, ‘’सामान्यतौर पर यह माना जाता है कि कोविड-19 प्रकार के वायरस श्वसन तंत्र से उत्पन्न होते हैं और फेफड़ों को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं, लेकिन इस बात के भी पर्याप्त प्रमाण हैं कि कोविड-19 गुर्दों पर भी आक्रमण करता है या तो प्रत्यक्ष रूप से या गंभीर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में मध्यस्था के रूप में, जो कोविड-19 के गंभीर मरीजों में देखा जाता है। सार्स और मर्स-कोव संक्रमणों की पूर्व रिपोर्टों के अनुसार, इनके 5-15 प्रतिशत मामलों में एक्यूट किडनी इंजुरी (एकेआई) विकसित हुई थी, लेकिन उन मामलों में से लगभग 60-90 प्रतिशत मामलों में मृत्यु दर दर्ज की गई। जबकि कोविड-19 की प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, एकेआई के मामले काफी कम (3-9 प्रतिशत) थे, बाद की रिपोर्टें इस ओर इशारा करती हैं कि गुर्दों से संबंधित आसामान्यताओं के मामले तेजी से बढ़े हैं। कोविड-19 के 59 रोगियों के अध्ययन में पाया गया कि लगभग दो-तिहाई मरीजों में अस्पताल में रहने के दौरान मूत्र में प्रोटीन का भारी रिसाव हुआ।”

कोविड-19 के मरीजों में जिनमें ये लक्षण दिखाई दे रहे हैं, उन्हें जो उपचार दिया जा रहा है उसमें सम्मिलित, सामान्य और सहायक प्रबंधन और किडनी रिप्लेसमेंट थेरेपी शामिल है। प्रभावी एंटीवायरल थेरेपी की अनुपस्थिति में, कुछ मामलों में तीव्र या तत्काल डायलिसिस, लगातार रीनल रिप्लेसमेंट थेरेपी (सीआरआऱटी) की आवश्यकता पड़ती है। यह तीव्र डायलिसिस तकनीकों के संग्रह के लिए इस्तेमाल की जाती है, जो विशेषरूप से गंभीर बीमार मरीजों को हैं या जिनकी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया अत्यधिक तीव्र है उन्हें दिन के चौबीसों घंटे सपोर्ट कर सकती है।

विशेषज्ञ इस बात पर एकमत हैं कि तीव्र डायलिसिस तकनीकें जैसे कि सीआरआरटी, कोविड-19 और सेप्सिस सिंड्रोम वाले रोगियों के उपचार में भी प्रभावी हो सकती हैं, भले ही उनके गुर्दों की कार्यप्रणाली कैसी भी हो। कोविड-19 के बढ़ते मरीजों और इसके कारण किडनी की कार्यप्रणाली के प्रभावित होने के बढ़ते मामलों के देखते हुए इस प्रकार की एक्स्ट्रा-कार्पोरियल थेरेपीज़ गंभीर रूप से बीमार मरीजों के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। विशेषज्ञों द्वारा सही समय पर सही उपचार के द्वारा उन संक्रमित लोगों की जान बचाई जा सकती है जो जीवन और मृत्यु के बीच जूझ रहे हैं।

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