बाल सलाह, परामर्श व कल्याण केन्द्र की स्थापना

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Faridabad News, 25 feb 2019 : बचपन में जो मन मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ गया वहीं आजीवन मनुष्य पर रहता है इसलिए शैक्षणिक संस्थानों वह घरेलू वातावरण में बच्चों की मूलभूत जरूरतों को समझते हुए। उन्हें सुरक्षा चाहिए उन्हें स्नेह व प्यार भरा वातावरण चाहिए। उन्हें भावनात्मक लगाव चाहिए रोटी चाहिए कपड़ा चाहिए और शिक्षा चाहिए बच्चों को उत्साह व उल्लास भरा वातावरण चाहिए। आज समय आधुनिकता का तकनीक का दूरसंचार का युग है। ऐसे में जानकारी से ज्ञान की तरफ बढ़ने की जरूरत होती है। बच्चों को सिखाएं कैसे सोचे यह नहीं कि क्या सोचे क्योंकि कल्पना ज्ञान से ज्यादा महत्वपूर्ण होती है। उक्त बातें जिला फरीदाबाद के पल्ला क्षेत्र के एस एस एम वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय फरीदाबाद में हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद की महत्वपूर्ण परियोजना बाल सलाह परामर्श व कल्याण केंद्र के राज्य नोडल अधिकारी अनिल मलिक ने स्कूली बच्चों हेतु हरियाणा राज्य के 45 वे बाल सलाह परामर्श व कल्याण केंद्र की स्थापना अवसर पर बाल सुरक्षा की समझ हर भारतीय बालक की वास्तविकता विषय पर आयोजित सेमिनार में उपस्थित करीब 500 से अधिक संख्या के किशोरावस्था के बच्चों व उनके शिक्षकों को संबोधित करते हुए कही। इस अवसर पर उनके साथ जिला बाल कल्याण अधिकारी सुंदर लाल खत्री, उदय चंद व् आजीवन सदस्य लाखन सिंह लोधी, अंजू यादव, गीता सिंह, सुमन जून, मांगेराम आदि उपस्थित रहें। अनिल मलिक ने कहां की दुनिया के किसी विश्वविद्यालय में स्थितियों को समझने का कौशल नहीं सिखाया जा सकता। इसे तो रोजमर्रा के अनुभव से ही सीखना होता है। माता पिता को अपने अनुभव से बच्चे जब गलतियां करते हैं तो उन्हें सिखाना होता है। समय रहते हुए विभिन्न विषयों पर जागरूकता ही समाधान है किशोरावस्था के शुरुआती दौर में ही बच्चों को शारीरिक व भावनात्मक स्तर पर मजबूत बनाने हेतु उन्हें बेहतर सुरक्षा व संरक्षण के दृष्टिकोण से अपने जीवन अनुभव कहानियां उदाहरणों के माध्यम से उपाय बताने होंगे उन्हें जागरूक करना होगा और साथ ही नैतिक मूल्यों की नींव डालनी होगी बाल मन में सच का बीज बोना होगा। माता पिता को चाहिए कि जैसे जैसे बच्चे किशोर होने लगते हैं दूसरों के व्यक्तियों के प्रति उनका व्यवहार सामने वाले के व्यवहार की समझ बातचीत का तरीका सुरक्षित-असुरक्षित स्पर्श विषय पर समझाना चाहिए। माता पिता को दोस्ताना व्यवहार करते हुए शरीर की गरिमा समझाएं। उन्हें जबरदस्ती किसी का आदर या सम्मान करने को ना कहें जरूरत से ज्यादा देखभाल भी बच्चों को मनोवैज्ञानिक रूप से कमजोर बनाती है। बच्चों को सामाजिक कौशल निर्णय क्षमता आत्मविश्वास आतम निर्भरता विकसित करने हेतु रचनात्मक स्वतंत्रता प्रदान करनी चाहिए बच्चों को पूरा खेलने का मौका दें गलतियां करने दे सुधारने का मौका भी दे सहयोग करें उन पर भरोसा करें क्योंकि सुरक्षा के दृष्टिकोण से यही सच्चाई हर भारतीय बच्चे की है कि उन्हें समय रहते हुए समझा नहीं जाता जरूरत अनुसार जागरूक नहीं किया जाता। बाद में सांत्वना देने से हमेशा ही पूर्व में कड़ी चेतावनी देना बेहतर होता है बाल सुरक्षा उनकी बेहतर संरक्षण के दृष्टिकोण से बच्चों के साथ हमेशा संवाद कायम रखें दोस्ताना व्यवहार करें और यह फर्ज सामाजिक भूमिका में हर आम समुदाय हर नागरिक का है। इस दौरान जिला बाल कल्याण अधिकारी फरीदाबाद सुन्दर लाल खत्री ने भी बाल सोशण पर बच्चों को जागरूक किया तथा मंच संचालन उदय चंद लेखाकार ने किया।

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