अंग्रेजी हुकूमत में था तीनों क्रांतिकारियों का भय : अनीता शर्मा

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Faridabad News, 23 March 2019 : 23 मार्च 1931 की मध्यरात्रि को अंग्रेजी हुकूमत ने अदालती आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए भगत सिंह, सुखदेव एवं राजगुरु तीनों क्रांतिकारियों को लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी पर चढ़ा दिया। उस समय तीनों क्रांतिकारियीं की उम्र महज 23 और 24 साल के आसपास की थी। जनता में इनकी लोकप्रियता को देखते हुए अंग्रेजी हुकूमत को भय था कि इनकी फांसी की खबर अगर सार्वजनिक हो गयी तो पूरे देश में हंगामा मच जायेगा, इसलिए उनको 11 घंटे पहले फांसी दे दी गई। उक्त वक्तव्य भाजपा नेत्री एवं समाजसेवी अनीता शर्मा ने शनिवार शहीदी दिवस के अवसर पर एन.एच.5 स्थित शहीद भगत सिंह चौक पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में कहे। इस मौके पर सैंकड़ों लोगों ने शहीद ए आजम भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरू की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया गया और शहीदों की जय-जयकार के नारे लगाए। इस अवसर व्यापार प्रकोष्ठ के चेयरमैन राजन मुथरेजा ने कहा कि शहीदी दिवस हमें न केवल देश के प्रति सम्मान और हिंदुस्तानी होने के गौरव का अनुभव कराता है, बल्कि वीर सपूतों के बलिदान को भीगे मन से श्रृद्धांजलि देता है। आज हम केवल इन अमर क्रांतिकारियों को बस याद कर सकते हैं कि ऐसे मानव भी इस दुनिया में हुए हैं, जिन्होंने अपने प्राणों की परवाह नहीं की और चेहरे पर मुस्कान लिए फांसी के तख्ते पर झूल गए। इस अवसर पर राजकुमार गौड, मोतीलाल शर्मा, सोनू शर्मा, सतीश कौशिक, गगनजीत सिंह रिंकू, गीता, किरन, प्रीति, ज्योति रंधावा, रेखा गुप्ता, बाला, सुरेन्द्र बब्बर, बिन्दु कौर, ललिता, राजू, रवि वाजपेयी, राज भाटिया, आर डी व्यास, प्रवीन कुमार बॉबी, योगेश कुमार, संगीता रावत, बी बी कथूरिया, तिलक बिधुड़ी, मित्तल जी, सोमदत्त गौड, नरेन्द्र गौड, प्रेमचंद गौड, हिमांशु अग्रवाल, संगीता रावत एडवोकेट, मनीषा शर्मा, बबीता रानी, कुसुम शर्मा, अजय अमरपाल, विजय थपलियाल, राकेश पंडित, ने भी शहीदों की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए।

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