75 वर्षीय मरीज की निमोनिया, सीओपीडी और निगलने में होने वाली परेशानी जैसी कई बीमारियों का सफलतापूर्वक उपचार किया गया

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Faridabad News, 20 Sep 2019 : फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल के डॉक्टरों की टीम ने हाल ही में जेनकर्स डाइवर्टिकुलम से पीड़ित 75 वर्षीय मरीज़ का उपचार करने के लिए एंडोस्कोपिक स्टैपलिंग तकनीक का इस्तेमाल किया जो असामान्य तौर पर होने वाली गले की बीमारी है। यह ऐसी परिस्थिति है जिसमें गले में श्आउट पोचिंगश् यानी बाहर की ओर आने की प्रवृत्ति होती है क्योंकि खाना सीधे खाने की पाइप में जाने के बजाय कहीं और जाने लगता है। टीम का नेतृत्व डॉण् अमित मिगलानीए वरिष्ठ सलाहकारए गैस्ट्रोएंट्रोलॉजीए फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटलए फरीदाबाद ने किया।

फरीदाबाद के श्री सुरिंदर को निगलने में मुश्किलए बुखार और सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। गंभीर ऑब्सट्रक्टिव पल्मनरी डिजीज़ए निमोनिया और अधिक बुखार की वजह से उनकी स्थिति लगातार खराब हो रही थी। वह बेहद कमज़ोर हो गए थे जब उन्होंने फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटलए फरीदाबाद में अपना उपचार कराया।

ज़रूरी क्लिनिकल परीक्षण के बाद डॉण् अमित मिगलानी ने पाया कि वह जेनकर डाइवर्टिकुलम से पीड़ित है। उनकी उम्र और सेहत से जुड़ी अन्य मुश्किलों को देखते हुए उपचार के लिए सावधानीपूर्वक योजना बनाई गई और इसके लिए एंडोस्कोपिक स्टैपलिंग तकनीक की मदद लेने का फैसला किया गया। यह कम से कम नुकसान करने वाला उपचार का विकल्प है जो मुश्किल सर्जरी के जोखिमों को खत्म करता है। इसकी वजह से सेप्टम डाइवर्टिकुलम टूट गया और श्री सुरिंदर की तबियत में नाटकीय रूप से सुधार हुआ। एंडोस्कोपी होने के एक दिन के भीतर उन्हें बेहतर महसूस होने लगा और तरल रूप से खाना शुरू कर दिया। इसके अलावा उनके फेफड़े का संक्रमण और सांस लेने की परेशानी काफी हद तक कम हो गई। सफल उपचार के बाद मरीज़ को दो दिन के भीतर डिस्चार्ज कर दिया गया।

जेनकर्स डाइवर्टिकुलम के ज़्यादातर मामलों में उपचार के लिए जटिल सर्जरी की सलाह दी जाती है। मरीज़ की अधिक उम्र के साथ.साथ उनकी सेहत को देखते हुए किसी भी जोखिम को कम करने के लिए अनोखी प्रक्रिया चुनी गई।

डॉण् अमित मिगलानीए वरिष्ठ सलाहकारए गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभागए फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटलए फरीदाबाद ने कहाएश्हमारे लिए यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है था कि मरीज़ की परेशानी खत्म हो और न के बराबर जोखिम के साथ उपचार के इस विकल्प में नुकसान की गुंजाइश बेहद कम थी। अगर हम ने सर्जरी का विकल्प चुना होता तो मरीज़ की स्थिति खराब हो सकती थी और सुधार की प्रक्रिया दर्दनाक हो सकती थी और इसमें काफी समय लग सकता था। इसके अलावा मरीज़ के प्रमुख अंग अच्छी तरह काम नहीं कर रहे थे और इसलिए सर्जरी करना बहुत जोखिम भरा था। इस मामले को अलग बनाने वाली बात यह थी कि हम ने उपचार का अपारंपरिक तरीका अपनाया. ऐसे मामले में आम तौर पर एंडोस्कोपी नहीं की जाती है। मुझे खुशी है कि श्री सुरिंदर में कोई परेशानी नहीं है और बेहतर जीवन जी रहे हैं।श्

श्री मोहित सिंहए फेसिलिटी निदेशकए फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटलए फरीदाबाद ने कहाएश्ऐसे मामले इनोवेट करने और हमारे दृष्टिकोण को मरीज़ केंद्रित बनाने की हमारी क्षमता का प्रमाण हैं। हमारी क्लिनिकल विशेषज्ञता और कुशलताएं हमें उपचार के नए विकल्पों और सॉल्यूशंस पर विचार करने का मौका देती हैं। हम हमेशा ऐसे संभावित उपचार तलाशने की कोशिश करते हैं जिसमें जोखिम कम से कम हो और परिणाम ज़्यादा से ज़्यादा।श्

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